समादृत साहित्यकार गुरदयाल सिंह का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान

1 minute read
गुरदयाल सिंह का जीवन परिचय

गुरदयाल सिंह पंजाबी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। पंजाबी भाषा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 1999 में उन्हें प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्रदान किया गया। ‘अमृता प्रीतम’ के बाद वे दूसरे पंजाबी साहित्यकार थे, जिन्हें यह पुरस्कार प्राप्त हुआ। गुरदयाल सिंह को उनके लेखन के लिए वर्ष 1975 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, वर्ष 1989 में ‘पंजाब साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू सम्मान’ और वर्ष 1998 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया गया। ‘मढ़ी दा दीवा’, ‘अथ चाँदनी रात’, ‘पांचवां पहर’, ‘सब देश पराया’ (उपन्यास) ‘क्या जानूँ मैं कौन?’ (आत्मकथा) ‘सग्गी फुल्ल’, ‘चान्न दा बूटा’ व ‘रूखे मिस्से बंदे’ (कहानी-संग्रह) उनकी प्रमुख कृतियां हैं। इस लेख में गुरदयाल सिंह का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं की जानकारी दी गई है।

नाम प्रो. गुरदयाल सिंह
जन्म 10 जनवरी, 1933
जन्म स्थान जैतो, पंजाब
पिता का नाम जगत सिंह 
माता का नाम निहाल कौर 
पेशा प्राध्यापक, साहित्यकार 
भाषा पंजाबी
मुख्य रचनाएँ ‘मढ़ी दा दीवा’, ‘परसा’, ‘रेत दी इक्क मुट्ठी’, ‘बेगाना पिंड’ ‘रूखे मिस्से बंदे’, ‘फरीदा रातीं वड्डीयां’ आदि।
पुरस्कार एवं सम्मान पद्मश्री (1998), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1999), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1975) व ‘सोवियत लैंड नेहरू सम्मान’ आदि। 
निधन 16 अगस्त, 2016

पंजाब के जैतो शहर में हुआ था जन्म

गुरदयाल सिंह का जन्म 10 जनवरी, 1933 को पंजाब के फरीदकोट ज़िले के जैतो नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘जगत सिंह’ और माता का नाम ‘निहाल कौर’ था। कहा जाता है कि प्रतिकूल पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उनका बचपन संघर्षमय रहा। किंतु जीवन की तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा पूर्ण की।

वर्ष 1957 में लिखी थी पहली कहानी

गुरदयाल सिंह ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत वर्ष 1954 से 1970 तक एक विद्यालय में अध्यापक के रूप में कार्य किया। माना जाता है कि इसी अवधि के दौरान उन्होंने साहित्यिक क्षेत्र में पदार्पण किया। वर्ष 1957 में उनकी पहली कहानी ‘भागां वाले’ प्रतिष्ठित पत्रिका ‘पंच दरिया’ में प्रकाशित हुई। बाद में, जब वे एक कॉलेज में प्राध्यापक नियुक्त हुए, तो उन्हें अपने ही उपन्यासों को पढ़ाने का अवसर मिला। अंततः विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे पूर्ण रूप से लेखन कार्य में जुट गए।

‘मढ़ी दा दीवा’ उपन्यास पर बनी फिल्म 

वर्ष 1962 में उनका पहला कहानी-संग्रह ‘सग्घी फुल्ल’ प्रकाशित हुआ। इसके बाद वर्ष 1964 में लिखे गए उनके पहले ही उपन्यास ‘मढ़ी दा दीवा’ ने उन्हें विश्व स्तर के लेखकों की श्रेणी में ला खड़ा किया। इसी उपन्यास पर आधारित एक फिल्म वर्ष 1989 में बनाई गई, जिसे ‘नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट फीचर फिल्म इन पंजाबी’ से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि ‘मढ़ी दा दीवा’ उपन्यास का हिंदी, अंग्रेज़ी सहित कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।

गुरदयाल सिंह की प्रमुख रचनाएँ

गुरदयाल सिंह ने मुख्यतः गद्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। वे ठेठ ग्रामीण परिवेश और भावबोध के लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं की सूची नीचे दी गई है:

उपन्यास 

उपन्यास प्रकाशन 
मढ़ी दा दीवावर्ष 1964 
अणहोए वर्ष 1966 
रेत दी इक्क मुट्ठीवर्ष 1967
कुवेला वर्ष 1968
अध चानणी रातवर्ष 1972
पांचवां पहरअज्ञात 
सब देश पराया अज्ञात 

कहानी-संग्रह

कहानी-संग्रहप्रकाशन 
सग्गी फुल्लवर्ष 1962
चान्न दा बूटावर्ष 1964
रूखे मिस्से बंदेवर्ष 1984
बेगाना पिंडवर्ष 1985
करीर दी ढींगरीवर्ष 1991

नाटक

नाटक प्रकाशन 
फरीदा रातीं वड्डीयां वर्ष 1982
विदायगी दे पिच्छीं वर्ष 1982
निक्की मोटी गलवर्ष 1982

आत्मकथा 

  • क्या जानूँ मैं कौन?

पुरस्कार एवं सम्मान 

गुरदयाल सिंह को पंजाबी साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किए गए हैं, जिनकी सूची इस प्रकार है:-

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1975
  • पंजाब साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1989
  • सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
  • शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार – वर्ष 1992
  • पद्मश्री – वर्ष 1998
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार – वर्ष 1999

बठिंडा में हुआ था निधन 

गुरदयाल सिंह ने कई दशकों तक अपनी लेखनी के माध्यम से पंजाबी साहित्य को समृद्ध किया। किंतु उम्र से संबंधित बीमारियों के कारण 16 अगस्त, 2016 को 83 वर्ष की आयु में उनका निधन एक निजी अस्पताल में हो गया। बावजूद इसके, आज भी वे अपनी लोकप्रिय कृतियों के लिए साहित्य-जगत में विख्यात हैं।

FAQs

गुरदयाल सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

10 जनवरी 1933 को पंजाब के फरीदकोट ज़िले के जैतो नगर में गुरदयाल सिंह का जन्म हुआ था।

गुरदयाल सिंह के माता-पिता का नाम क्या है?

गुरदयाल सिंह की माता का नाम ‘निहाल कौर’ जबकि पिता का नाम ‘जगत सिंह’ था। 

गुरदयाल सिंह को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब मिला था?

वर्ष 1999 में गुरदयाल सिंह को प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

गुरदयाल सिंह ने अपनी पहली कहानी कब लिखी थी?

वर्ष 1957 में गुरदयाल सिंह ने अपनी पहली कहानी ‘भागां वाले’ वाली लिखी थी, जो ‘पंच दरिया’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।

गुरदयाल सिंह की मृत्यु कब हुई थी?

16 अगस्त, 2016 को 83 वर्ष की आयु में गुरदयाल सिंह का निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको प्रख्यात साहित्यकार गुरदयाल सिंह का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*