बशीर बद्र उर्दू भाषा की एक लोकप्रिय प्रसिद्ध उर्दू शायर थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में प्रेम, जीवन, मृत्यु, प्रकृति सहित विभिन्न सामाजिक विषयों का बखूबी चित्रण किया। डॉ॰ बशीर बद्र एक ऐसे लोकप्रिय शायर थे, जिन्हें “ग़ज़ल का बादशाह” नाम से भी जाना जाता है। बशीर बद्र के शेर, शायरी और ग़ज़लें विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को उर्दू साहित्य की खूबसूरती और साहित्य की समझ से परिचित करवाने का काम करती हैं। साथ ही बशीर बद्र की रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी कभी अपने मूल समय में थीं। इस ब्लॉग के माध्यम से आप चुनिंदा Dr Bashir Badr Shayari पढ़ पाएंगे, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास करेंगी।
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बशीर बद्र का जीवन परिचय
बशीर बद्र का जन्म 15 फरवरी 1935 को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में हुआ था। बशीर बद्र ने वर्ष 1959 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में MA की उपाधि प्राप्त की। बशीर बद्र की ग़ज़लें आम आदमी की ज़िंदगी की कहानियों को गाती थी, जिसमें उन्होंने प्यार, दोस्ती, तथा समाज की समस्याओं को उकेरने का प्रयास किया।
बशीर बद्र का असली नाम सय्यद मुहम्मद बशीर था। वास्तविकता में बशीर बद्र की ग़ज़लों में हमेशा एक नाटकीयता और रोमांच होता था, जिसने उनकी पहचान बाकि शायरों से अलग बनाई। साहित्य के क्षेत्र में अपना मुख्य योगदान देने वाले बशीर बद्र को वर्ष 1999 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री तथा वर्ष 2005 में उर्दू अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2018 में, बशीर बद्र का 83 वर्ष की आयु में भोपाल में निधन हुआ था।
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बशीर बद्र की शायरी – Dr Bashir Badr Shayari
बशीर बद्र की शायरी पढ़कर युवाओं में साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो उन्हें उर्दू साहित्य की खूबसूरती से रूबरू कराएगी, जो इस प्रकार है –
“ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
-बशीर बद्र
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है…”
“बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
-बशीर बद्र
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता…”
“दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
-बशीर बद्र
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों…”
“यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
-बशीर बद्र
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे…”
“मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
-बशीर बद्र
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी…”
“कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
-बशीर बद्र
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो…”
“हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
-बशीर बद्र
दिल हमेशा उदास रहता है…”
“मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
-बशीर बद्र
यक़ी आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है…”
“शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
-बशीर बद्र
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है…”
“तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
-बशीर बद्र
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा…”
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मोहब्बत पर बशीर बद्र की शायरी
मोहब्बत पर बशीर बद्र की शायरियाँ जो आपका मन मोह लेंगी –
“उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए…”
-बशीर बद्र
“न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की…”
-बशीर बद्र
“मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला…”
-बशीर बद्र
“पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा…”
-बशीर बद्र
“इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे…”
-बशीर बद्र
“तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो…”
-बशीर बद्र
“हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे…”
-बशीर बद्र
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बशीर बद्र के शेर
बशीर बद्र के शेर पढ़कर युवाओं को बशीर बद्र की लेखनी से प्रेरणा मिलेगी। बशीर बद्र के शेर युवाओं के भीतर सकारात्मकता का संचार करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं;
“लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में…”
-बशीर बद्र
“इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं…”
-बशीर बद्र
“वो चेहरा किताबी रहा सामने
बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई…”
-बशीर बद्र
“उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते…”
-बशीर बद्र
“भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली…”
-बशीर बद्र
“कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता…”
-बशीर बद्र
“दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे…”
-बशीर बद्र
“घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला…”
-बशीर बद्र
“सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत…”
-बशीर बद्र
“अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा…”
-बशीर बद्र
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बशीर बद्र की दर्द भरी शायरी
बशीर बद्र की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं –
“कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता…”
-बशीर बद्र
“हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में…”
-बशीर बद्र
“ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला…”
-बशीर बद्र
“तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली…”
-बशीर बद्र
“आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा…”
-बशीर बद्र
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बशीर बद्र शायरी २ लाइन्स
बशीर बद्र शायरी २ लाइन्स पढ़कर आप बशीर बद्र की लेखनी के बारे में आसानी से जान पाएंगे, Dr Bashir Badr Shayari कुछ इस प्रकार है-
“अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो…”
-बशीर बद्र
“भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले
न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिजक गई…”
-बशीर बद्र
“अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है…”
-बशीर बद्र
“अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे…”
-बशीर बद्र
“ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे…”
-बशीर बद्र
“इसी शहर में कई साल से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उन का कोई पता नहीं…”
-बशीर बद्र
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बशीर बद्र की गजलें
बशीर बद्र की गजलें आज भी प्रासंगिक बनकर बेबाकी से अपना रुख रखती हैं, जो नीचे दी गई हैं-
कहाँ आँसुओं की ये सौग़ात होगी
कहाँ आँसुओं की ये सौग़ात होगी
नए लोग होंगे नई बात होगी
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी
चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
परेशाँ हो तुम भी परेशाँ हूँ मैं भी
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी
चराग़ों की लौ से सितारों की ज़ौ तक
तुम्हें मैं मिलूँगा जहाँ रात होगी
जहाँ वादियों में नए फूल आए
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी
सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएँ
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
-बशीर बद्र
होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते
होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते
साहिल पे समुंदर के ख़ज़ाने नहीं आते
पलकें भी चमक उठती हैं सोते में हमारी
आँखों को अभी ख़्वाब छुपाने नहीं आते
दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है
अब लोग यहाँ रात जगाने नहीं आते
यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं
ये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते
अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते
-बशीर बद्र
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आइने में देर तक चेहरा नहीं रहता
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता
हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में
अजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता
-बशीर बद्र
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