भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से Chandrayaan-3 मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लाॅन्च किया गया है। भारत 4 साल में दूसरी बार अपना मिशन मून लॉन्च कर रहा है, जिसमें कई जरूरी बदलाव किए गए हैं। इस मिशन की लाॅन्चिग के बाद हम जानेंगे कि चंद्रयान-3 को पहुँचने में क्यों लगेंगे और यह कैसे सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है।
मिशन का नाम | Chandrayaan-3 |
बाॅडी | ISRO |
लाॅन्चिंग डेट | 14 जुलाई 2023 |
चंद्रमा पर पहुंचने की डेट | 23 अगस्त (संभावित) |
चंद्रयान-3 लाॅन्चिग जगह | आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से। |
चंद्रयान-3 मिशन की डायरेक्टर | साइंटिस्ट ऋतु करिधाल |
चंद्रयान-3 की रफ्तार | 1,627 किमी प्रति घंटा। |
चंद्रयान-3 की वजन | करीब 3,900 किलोग्राम है |
ऑफिशियल वेबसाइट | isro.gov.in |
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Chandrayaan-3 | चंद्रयान-3 क्या है?
ISRO ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लॉन्च किया है। चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट से लॉन्च किया गया है। लॉन्चिंग के बाद Chandrayaan-3 ने 4 चरण सफलता पूर्वक पूरे कर लिए हैं। चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा।
चंद्रयान-3 को पहुँचने में क्यों लगेंगे इतने दिन?
चंद्रयान-3 मिशन अलग और खास माना जा रहा है, क्योंकि यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा। चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचने में 40 दिन तक का समय लग सकता है, लेकिन चंद्रमा तक पहुंचने में इतना समय क्यों लगेगा के बारे में विस्तार से बताया गया हैः
- चंद्रयान में ईंधन की मात्रा सीमित है और इसे सीधे चंद्रमा पर भेजेंगे तो सारा ईंधन खर्च हो जाएगा।
- ISRO एक घुमावदार मार्ग का उपयोग करता है, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का लाभ उठाता है।
- ISRO के पास इतना शक्तिशाली रॉकेट नहीं जो चंद्रयान-3 को सीधे चांद पर भेज दे।
- चंद्रयान-3 दूसरे रास्ते से जा रहा है और इसमें भूमि की अलग-अलग कक्षाओं और इंजन बर्न्स का इस्तेमाल कर इसकी स्पीड बढ़ा दी जाएगी।
चंद्रयान-3 चाँद के कितने करीब पंहुचा?
Chandrayaan-3 अभी पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। क्रॉयोजनिक इंजन चंद्रयान-3 को पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट में स्थापित कर देगा और इसके बाद इसके सौर पैनर खुलेंगे। पृथ्वी के चक्कर लगाने के बाद धीरे-धीरे चांद अपनी कक्षा को बढ़ाएगा और चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा।
यह भी पढ़ें- जानिए ISRO साइंटिस्ट कौन होते हैं और ISRO साइंटिस्ट कैसे बनें?
चंद्रयान 3 अभी कहां पर है?
चंद्रयान-3 को पहुँचने में क्यों लगेंगे इतने दिन जानने के साथ ही यह जानना जरूरी है कि चंद्रयान-3 अभी कहां है। Chandrayaan-3 पृथ्वी की एक ऑर्बिट में है। इस ऑर्बिट की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 173 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 41,762 किलोमीटर है।
चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर कब तक लैंड हो सकता है?
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के 23 अगस्त की शाम करीब 5.47 बजे चांद पर लैंड करने की उम्मीद है। हालांकि, कई फैक्टर्स के चलते इसमें बदलाव हो सकता है। चंद्रयान-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। इसकी शुरुआती रफ्तार 1,627 किमी प्रति घंटा होगी और लॉन्चिंग के 108 सेकंड बाद 45 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट होगा।
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FAQs
ISRO की फुल फाॅर्म Indian Space Research Organization है।
शक्तिशाली राॅकेट की कमी से इतना समय लगता है।
आदित्य L1 को को लॉन्च करने की डेट की अभी तक ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं की गई है, इसे जुलाई में लाॅन्च किया जा सकता है।
Chandrayaan-3 को लॉन्च करने की घोषणा 29 मई 2023 को इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने की थी।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको चंद्रयान-3 को पहुँचने में क्यों लगेंगे इतने दिन के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।