Babu Gulabrai Ki Rachnaye in Hindi: बाबू गुलाबराय, एक ऐसा व्यक्तित्व, जिनकी रचनाएँ हमेशा ही मिसाल रही हैं। उन्होंने अपनी सफलताओं की कभी चर्चा न करके, अपनी असफलता पर खुलकर विचार व्यक्त करने का साहस किया है। वह एक काबिल-ए- तारीफ आलोचक और निबंधकार थे। उनका जन्म 17 जनवरी, 1888 को इटावा में हुआ और आगरा कर्मभूमि रही। इस ब्लॉग में बाबू गुलाबराय की प्रमुख रचनाएँ (Babu Gulabrai Ki Rachnaye In Hindi) और उनकी भाषा शैली के बारे में जानेंगे।
नाम | बाबू गुलाबराय |
काम | अध्यापक और लेखक |
जन्म-मृत्यु | 17 जनवरी 1888 – 13 अप्रैल 1963 |
भाषा | हिंदी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | आधुनिक काल |
विधा | गद्य |
विषय | व्यंग्य, निबंध, साहित्य शास्त्र |
उल्लेखनीय काम | हिंदी काव्य विमर्श |
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शुक्ल युग और बाबू गुलाबराय
हिंदी साहित्य के इतिहास में आधुनिक काल को गद्यकाल के नाम से जाना जाता है। इससे पहले के समय, जैसे आदिकाल, भक्तिकाल और रीतिकाल में कविता का महत्व सबसे अधिक था। लेकिन आधुनिक काल में हिंदी गद्य ने कई नए रूप लिए और विकसित हुआ। हिंदी गद्य साहित्य में निबंध एक बहुत ही मजबूत और प्रभावशाली विधा बनकर उभरा। यह बात सभी जानते हैं कि हिंदी निबंध के तीसरे दौर को शुक्ल युग कहा जाता है। यह दौर हिंदी निबंध के विकास का सुनहरा समय था।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल (1920-1950 ई.) और उनके साथ के दूसरे लेखकों ने हिंदी निबंध साहित्य को हर तरह से आगे बढ़ाया। इस समूह के निबंधकारों में श्री बाबू गुलाबराय एक ऐसे व्यक्ति थे जिनमें कई तरह की प्रतिभाएं थीं। साहित्यकार गुलाबराय ने निबंध लिखने के साथ-साथ काव्यशास्त्र, दर्शन और आलोचना जैसे विषयों पर भी लिखा और गद्य की कई अलग-अलग शैलियों को अपनी प्रतिभा से सजाया। गुलाबराय जी के निबंधों में उनके अपने व्यक्तित्व की एक खास छाप दिखाई देती है।
बाबू गुलाबराय का व्यक्तित्व और प्रारंभिक जीवन
बाबू गुलाबराय, जिनका निबंध साहित्य विशिष्ट पहचान रखता है, वे दर्शनशास्त्र और साहित्यशास्त्र के प्रकांड विद्वान थे। 17 फरवरी, 1888 को इटावा में जन्मे, धार्मिक माता-पिता के प्रभाव में पले-बढ़े गुलाबराय ने मैनपुरी और आगरा के कॉलेजों से शिक्षा प्राप्त की। दर्शन और साहित्य में गहरी रुचि के चलते वे अध्यापन और लेखन में सक्रिय रहे। 13 अप्रैल, 1963 को उनका निधन हो गया, जबकि 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया।
बाबू गुलाबराय की प्रमुख रचनाएँ
बाबू गुलाबराय ने आलोचना, निबंध, यात्रा वृत्तांत, डायरी, रेखाचित्र और संस्मरण साहित्य जैसे कई क्षेत्रों में अपनी रचनाएँ लिखीं। लेकिन वे मुख्य रूप से एक आलोचक और निबंधकार के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपना पूरा जीवन साहित्य की साधना में बिताया। अगर हम यह कहें कि बाबूजी अपनी साहित्यिक रचनाओं के कारण हिंदी साहित्य के लिए हमेशा याद किए जाएंगे, तो यह बिल्कुल सही होगा। बाबू गुलाबराय की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:-
काव्यशास्त्र
- नवरस
- सिद्धांत और अध्ययन
- काव्य के रूप
- हिंदी विमर्श
आलोचना
- अध्ययन और आस्वादन
- हिंदी काव्य विमर्श
- हिंदी साहित्य का सुबोध इतिहास
दर्शन
- मन की बातें
- तर्कशास्त्र
- कर्तव्यशास्त्र
- बौद्ध धर्म एवं पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास
निबंध संग्रह
- मेरी असफलताएँ
- ठलुआ क्लब
- फिर निराशा क्यों?
- मेरे निबंध
- जीवन और जगत
- कुछ उथले कुछ गहरे
- मनोवैज्ञानिक निबंध
- राष्ट्रीयता
- जीवन रश्मियाँ तथा प्रबंध प्रभाकर
संपादन
- प्रसाद की कला
- आलोचक रामचंद्र शुक्ल
निबंधकार के रूप में बाबू गुलाबराय
बाबू गुलाबराय जी ने सन् 1920 से साहित्य सृजन शुरू किया और अगले 50 वर्षों तक वे हिंदी गद्य साहित्य को समृद्ध करते रहे। गुलाबराय जी के प्रसिद्ध निबंध संग्रहों का क्रम इस प्रकार है:-
निबंध संग्रह | सन् |
प्रबंध प्रभाकर (निबंध संग्रह) | 1933 |
निबंध रत्नाकर (निबंध संग्रह) | 1934 |
कुछ उथले, कुछ गहरे (निबंध संग्रह) | 1955 |
मेरे निबंध (निबंध संग्रह) | 1956 |
अध्ययन और आस्वादन (निबंध संग्रह) | 1956 |
जीवन रश्मियाँ (निबंध संग्रह) | 1962 |
निबंध माला (निबंध संग्रह) | 1962 |
बाबू गुलाबराय की भाषा और शैली
बाबू गुलाबराय जी की भाषा अपने पहले के निबंधकारों से अलग और प्रभावशाली थी। उन्होंने अपनी भाषा को नए तरीके से सजाया और निखारा था। उन्होंने भाषा में शुद्ध खड़ी बोली का इस्तेमाल करके भाषा की एक नई शैली अपनाई। उनके व्यक्तिगत निबंधों में सरल, सरस और बहती हुई भाषा का प्रयोग मिलता है। उन्होंने मुहावरों, कहावतों, लोकोक्तियों और अच्छी बातों का खूब और सही इस्तेमाल किया है। इस तरह, उनकी भाषा में संस्कृत के शब्दों का भी बोलबाला रहा।
FAQs
बाबू गुलाबराय का जन्म 17 जनवरी, 1888 को इटावा, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
बाबू गुलाब राय आधुनिक युग के लेखक थे। वे हिंदी साहित्य के प्रमुख निबंधकार और आलोचकों में से एक थे।
मेरी असफलताएं।
प्रबंध प्रभाकर बाबू गुलाबराय जी की रचना है।
गद्य विधा।
नवरस, हिंदी साहित्य का सुबोध इतिहास हिंदी, नाट्य विमर्श, आलोचना कुसुमांजलि, काव्य के रूप, सिद्धांत और अध्ययन कर्तव्य शास्त्र, तर्क शास्त्र, बौद्ध धर्म, पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास, भारतीय संस्कृति की रूपरेखा आदि।
बाबू गुलाबराय का सन 1963 में आगरा में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको इस ब्लॉग में गुलाबराय की प्रमुख रचनाएँ (Babu Gulabrai Ki Rachnaye In Hindi) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही ट्रेंडिंग इवेंट्स और जनरल नॉलेज से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।