भारत और ऑस्ट्रेलिया पिछले 50 साल से भी अधिक समय से भी अधिक समय से शिक्षा के क्षेत्र में साझेदार रहे हैं। इस समय 70,000 से भी अधिक स्टूडेंट्स ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहे हैं। यह ऑस्ट्रेलिया में विदेशी स्टूडेंट्स की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।अब ऑस्ट्रेलिया ने इस दोस्ती को और आगे बढ़ाते हुए शिक्षा के क्षेत्र में भारत के लिए नई पहल की है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत की न्यू एजुकेशन पॉलिसी की तारीफ़ की
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एल्बनीज़ ने इसे एक अच्छा कदम बताते हुए भारत की तारीफ़ की है। उनके अनुसार ये भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी निर्णय है और इससे भारत की शिक्षा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। इसके अलावा भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ऑस्ट्रेलिया के शिक्षामंत्री जैसन ने भी शिक्षा को दोनों देशों को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी बताया।
शिक्षा के क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच हुआ समझौता
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अभी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया से ग्रजुएशन करने वाले भारतीय स्टूडेंट्स को भारत में आगे पढ़ने या नौकरी करने में कोई समस्या नहीं होगी और उनकी डिग्री पूरी तरह से मान्य होगी।
- इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया की तरफ से भी यह आश्वासन दिया है कि ऑस्ट्रेलिया भी भारत के 12वीं के एजुकेशन सर्टिफिकेट को मान्यता देगा और अपनी यूनिवर्सिटीज़ में भारतीय स्टूडेंट्स को एडमिशन देगा।
- ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज़ भारत में अपने कैम्पस खोल सकेंगी।
भारतीयों के लिए वीज़ा पॉलिसी को आसान बनाएगा ऑस्ट्रेलिया
अच्छी एजुकेशन क्वालिटी के कारण ऑस्ट्रेलिया शुरू से ही पढ़ाई के लिए भारतीय स्टूडेंट्स के पसंदीदा देशों में से एक रहा है। दुनिया की टॉप 100 यूनिवर्सिटीज़ में से 7 ऑस्ट्रेलिया की हैं। इसलिए भारतीय स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में ऑस्ट्रेलिया पढ़ने जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया अपनी वर्किंग वीज़ा पॉलिसी में बदलाव करेगा ताकि ऑस्ट्रेलिया से पढ़ाई करने के बाद वहां के स्टूडेंट्स के लिए ऑस्ट्रेलिया में ही काम करना आसान हो सके।
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