असम के अहोम राजवंश की 700 साल पुरानी अद्वितीय टीला-दफ़नाने की प्रणाली चराइदेव मोइदम्स को दिनांक 26 जुलाई 2024 को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया। यह इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल होने वाली भारत की 43वीं संपत्ति बन गई है।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री की घोषणा
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बात की घोषणा करते हुए मीडिया को बताया, “यह ऐतिहासिक मान्यता चराइदेव में अहोम राजाओं की अद्वितीय 700 साल पुरानी टीले की अंत्येष्टि प्रणाली की ओर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करती है, तथा असम और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करती है।”
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पिछले एक दशक में भारत की 13 धरोहरें हुईं यूनेस्को लिस्ट में शामिल
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बात पर बेहद खुशी प्रकट की। उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए आगे बताया कि भारत ने पिछले एक दशक में सांस्कृतिक विरासत के गढ़ के रूप में दुनिया का ध्यान खींचा है। उन्होंने आगे बताया कि यूनेस्को की प्रतिष्ठित सूची में पिछले एक दशक में भारत की लगभग 13 धरोहरें शामिल हो चुकी हैं।
प्रधानमंत्री ने भी जताई खुशी
असम के अहोम राजवंश की 700 साल पुरानी अद्वितीय टीला-दफ़नाने की प्रणाली चराइदेव मोइदम्स को यूनेस्को वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुशी जाहिर की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पूरे देश के लिए गर्व का पल बताया है। उन्होंने बताया कि इससे भारत के पर्यटन में भारी इजाफा होगा।
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386 टीलों का किया गया था सर्वे
यूनेस्को की टीम की ओर से असम के कुल 386 चराइदेव मोइदम्स टीलों का सर्वेक्षण किया गया था जिनमें से कुल 90 टीलों को यूनेस्को वैश्विक धरोहर सूची में शामिल करने का निर्णय लिया गया।
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