Ashtami Kab Hai : दुर्गा अष्टमी व्रत देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित अनुष्ठान है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष के आठवें दिन (अष्टमी तिथि) यानी मां दुर्गा का अष्टमी पूजन किया जाता है। कुछ लोग इस शुभ दिन पर अस्त्र पूजा नामक एक अनुष्ठान भी करते हैं, जिसे विराष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अष्टमी को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा और व्रत किया जाता है। इस ब्लाॅग में हम Ashtami Kab Hai दुर्गा अष्टमी के दिन क्या खास होता है और मां का शक्तिपीठ कहां-कहां है के बारे में जानेंगे।
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Ashtami Kab Hai?
प्रतिवर्ष हिंदू माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हम सब दुर्गाष्टमी का व्रत रखते हैं। इस व्रत को मां दुर्गा का मासिक व्रत भी कहा जाता है। यह अष्टमी का पर्व हम प्रति वर्ष दो बार एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में मनाते हैं।
आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि के त्योहार के दौरान आने वाली अष्टमी और चैत्र नवरात्रि के त्योहार के दौरान आने वाली अष्टमी को महाष्टमी और दुर्गाष्टमी कहा जाता है। जो देवी दुर्गा के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
चैत्र अष्टमी तिथि
चैत्र अष्टमी को हम शुभ कार्यों के लिये बहुत शुभ मानते हैं और इस के लिये शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखते हैं।
दिन | दिन | तिथि | पूजा-अनुष्ठान |
09 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना |
10 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी पूजा |
11 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | मां चंद्रघंटा पूजा |
12 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 4 | चतुर्थी | मां कुष्मांडा पूजा |
13 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 5 | पंचमी | मां स्कंदमाता पूजा |
14 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 6 | षष्ठी | माँ कात्यायनी पूजा |
15 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 7 | सप्तमी | मां कालरात्रि पूजा |
16 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 8 | अष्टमी | मां महागौरी दुर्गा महाअष्टमी पूजा |
17 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 9 | नवमी | मां सिद्धिदात्री, राम नवमी |
18 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 10 | दशमी | नवरात्रि पारण |
नवरात्रि का 8वां दिन
नवरात्रि के 8वे दिन को दुर्गा अष्टमी कहते हैं, इस दिन लोग पूजा महूर्त का विशेष ध्यान रखते हैं-
दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा | पूजा महूर्त |
16 अप्रैल 2024 (मंगलवार) | संधि पूजा दोपहर 12:59 बजे शुरू |
संधि पूजा दोपहर 01:47 बजे समाप्त |
अष्टमी का महत्व
दुर्गा अष्टमी व्रत के अनुष्ठान करने वाले लोग सुबह जल्दी उठते हैं और माँ की प्रतिमा को एक चौकी में रख कर नौ दिनों तक अनुष्ठान का संकल्प करते हैं। प्रतिदिन माँ देवी दुर्गा को फूल, चंदन का लेप और धूप (धूप) जैसी विभिन्न चीजें भेंट और देवी के लिए नैवेद्य नामक एक विशेष भोजन प्रसाद तैयार किया जाता है।
दुर्गा अष्टमी व्रत के दौरान नौ दिनों के उपवास का बहुत महत्व होता है। इस व्रत को करने वाले पूरे दिन भोजन और तरल पदार्थ का सेवन करने से परहेज करते हैं। और खास कर इन दिनों विशेष कर मांसाहारी और शराब का सेवन करना सख्त मना होता है।
दुर्गा अष्टमी व्रत के दिन पूजा अनुष्ठान पूरा करने के बाद लोग कन्याओं को और ब्राह्मणों को भोजन और दान (दक्षिणा) देते हैं। सभी मानते हैं की इस दिननों में माँ का आशीर्वाद सभी के लिए बहुत महत्व रखता है।
कहां-कहां हैं मां के 52 शक्तिपीठ
माँ दुर्गा के भक्तों के लिए यह नवरात्रि के पर्व का बहुत ही खास माना जाता है। यह समय भक्ति में डूब जाने सामान होता है, जिसमें हम सभी 9 दिनों तक माता के नौ रूपों की अराधना कर मां को प्रसन्न करते हैं। हिंदू धर्म में लोग अलग- अलग देवी-देवताओं को मानते हैं, किसी की भक्ति कृष्ण में है, तो किसी की शिव में और जैसे चार धाम की यात्रा, 12 ज्योर्तिलिंगो का दर्शन करने का अपना महत्व है, वैसे ही मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों का भी बहुत महत्व है, जोकि इस प्रकार हैंः
श्री माँ नयना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश | सुगंधा (सुनंदा) शक्तिपीठ शिकारपुर बांग्लादेश |
महामाया शक्ति पीठ, कश्मीर | मां ज्वाला देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश |
मां त्रिपुरमालिनी मंदिर, पंजाब | माँ अम्बाजी मंदिर, गुजरात |
गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल | मानसा-दाक्षायणी माता, तिब्बत |
विरजा देवी मंदिर उड़ीसा | गण्डकी शक्तिपीठ मुक्तिनाथ नेपाल |
बहुला शक्तिपीठ मंदिर केतुग्राम, पश्चिम बंगाल | त्रिपुर सुंदरी मंदिर, त्रिपुरा |
उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका मंदिर, पश्चिम बंगाल | भवानी शक्तिपीठ, चट्टल ढाका |
भ्रामरी शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल | कामाख्या देवी मंदिर, असम |
युगाद्या शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल | कालीघाट शक्तिपीठ, कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
प्रयाग शक्तिपीठ (ललिता देवी मंदिर), उत्तर प्रदेश | जयंती मंदिर, बांग्लादेश |
श्रीशैल शक्तिपीठ बांग्लादेशकिरीट विमला शक्तिपीठ / माता मुक्तेश्वरी मंदिर, पश्चिम बंगाल | विशालाक्षी शक्तिपीठ, उत्तरप्रदेश |
कन्याकुमारी शक्ति पीठ, कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माता भ्रमराम्बा देवी शक्ति पीठ मंदिर आन्ध्र प्रदेश |
जनस्थान शक्तिपीठ, महाराष्ट्र | चंद्रभागा शक्ति पीठ, गुजरात |
माँ अंबिका शक्तिपीठ विराट भरतपुर राजस्थान | अवंती या भैरव पर्वत शक्तिपीठ, मध्यप्रदेश |
सावित्री शक्तिपीठ, कुरुक्षेत्र, हरियाणा | रत्नावली शक्तिपीठ, हुगली, पश्चिम बंगाल |
मणिबंध शक्ती पीठ, अजमेर, राजस्थान | विभाष शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल |
देवगर्भा शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल | करतोयातट- अपर्णा शक्तिपीठ, बांग्लादेश |
कालमाधव शक्तिपीठ, मध्य प्रदेश | पंच सागर शक्तिपीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) |
शोणदेश शोणाक्षी शक्तिपीठ, मध्य प्रदेश | शुचि-नारायणी शक्तिपीठ, तमिलनाडु |
रामगिरि शक्तिपीठ, उत्तरप्रदेश | श्री उमा शक्ति पीठ वृन्दावन, उत्तरप्रदेश |
जयदुर्गा शक्तिपीठ पार्वती मंदिर बैजनाथ धाम देवघर झारखंड | नलहाटी- कालिका तारापीठ, पश्चिम बंगाल |
महिषमर्दिनी शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल | कर्णाट जयादुर्गा शक्ति पीठ, हिमाचल प्रदेश |
यशोर- यशोरेश्वरी शक्तिपीठ, बांग्लादेश | अट्टाहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल |
नंदीपुर शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल | इन्द्राक्षी शक्तिपीठ कोनेश्वरम मंदिर ट्रिंकोमाली श्रीलंका |
गोदावरीतीर सर्वेशेल शक्तिपीठ, कोटिलिंगेश्वर राजामुंद्री आंध्रप्रदेश | मिथिला शक्तिपीठ, बिहार |
माता हिंगलाज मन्दिर, पाकिस्तान |
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