भारत का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। 65,000 साल पहले, पहले आधुनिक मनुष्य, या होमो सेपियन्स, अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुँचे थे, जहाँ वे पहले विकसित हुए थे। सबसे पुराना ज्ञात आधुनिक मानव आज से लगभग 30,000 वर्ष पहले दक्षिण एशिया में रहता है। भारत का इतिहास 3 अवधियों में विभाजित है, प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक। Ancient history for UPSC Hindi के बारे में विस्तार से जानने के लिए यह ब्लॉग पूरा पढ़ें।
The Blog Includes:
- प्राचीन कालीन भारत का इतिहास
- प्रागैतिहासिक काल (3300 ईसा पूर्व तक)
- सिंधु घाटी सभ्यता
- वैदिक सभ्यता (1500 ईसापूर्व–600 ईसापूर्व)
- जैन धर्म
- बौद्ध धर्म
- महाजनपद
- मौर्य राजवंश (321-185 ईसापूर्व)
- गुप्त राजवंश
- प्राचीन भारत के राजवंश और उनके संस्थापक
- यूपीएससी के लिए प्राचीन भारत इतिहास पीडीएफ
- प्राचीन कालीन इतिहास के लिए बेस्ट बुक्स
- इंडियन हिस्ट्री की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें
- प्राचीन इतिहास UPSC महत्वपूर्ण प्रश्न
- FAQs
प्राचीन कालीन भारत का इतिहास
प्राचीन कालीन भारत के इतिहास को आसानी से समझने के लिए हमने एक टेबल दी है:
विषय | क्षेत्र |
पाषाण युग -पाषाण काल -मध्य पाषाण -निओलिथिक -ताम्र सिंधु घाटी सभ्यता वैदिक संस्कृति | पाषाण काल- वैदिक संस्कृति |
-वैदिक काल -जैन धर्म -बुद्ध धर्म -महाजनपद | वैदिक काल- बुद्ध धर्म |
बौद्ध धर्म की लोकप्रियता और पतन मौर्य राजवंश -चंद्रगुप्त -बिन्दुसार -अशोक | मौर्य काल |
गुप्त युग -राजनीतिक और प्रशासनिक -समाज, धर्मकला और वास्तुकला | गुप्त काल |
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प्रागैतिहासिक काल (3300 ईसा पूर्व तक)
Ancient History for UPSC Hindi में पहला काल प्रागैतिहासिक काल है। भारत में मानव जीवन का सबसे पहला प्रमाण 100,000 से 80,000 साल पहले का है। पाषाण युग (भीमबेटका, मध्य प्रदेश) की चट्टानों पर चित्रों का कालक्रम 40,000 ईसा पूर्व से 9000 ईसा पूर्व माना जाता है। 9000 साल पहले पहली स्थायी बस्तियाँ बनीं। उत्तर-पश्चिम में सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 7000 ईसा पूर्व विकसित हुई, जो 26 वीं शताब्दी ईसा पूर्व और 20 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच चरम पर थी। वैदिक सभ्यता का कालक्रम भी 4000 ईसा पूर्व का है।
सिंधु घाटी सभ्यता
Ancient History for UPSC Hindi में सबसे महत्वपूर्ण और प्रचलित सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता है। सिन्धु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है। सिन्धु इण्डस नदी के किनारे बसने वाली सभ्यता थी और भाषा की भिन्नताओं की वजहों से इस इण्डस को सिन्धु कहने लगे, आगे चल कर इसी से यहाँ के रहने वाले लोगों के लिये हिन्दू उच्चारण का जन्म हुआ। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से इस सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। अतः विद्वानों ने इसे सिन्धु घाटी की सभ्यता का नाम दिया। सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8,000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है।
इसका विकास सिन्धु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसंबर 2014 में भिरड़ाणा को सिन्धु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यन्त विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं।
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वैदिक सभ्यता (1500 ईसापूर्व–600 ईसापूर्व)
Ancient History for UPSC Hindi में सिंधु घाटी सभ्यता के पश्चात भारत में जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ उसे ही आर्य सभ्यता अथवा वैदिक सभ्यता के नाम से जाना जाता है। इस काल की जानकारी हमे मुख्यत: वैदिक साहित्य से प्राप्त होती है, जिसमे ऋग्वेद सबसे प्राचीन होने के कारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वैदिक काल को ऋग्वैदिक या पूर्व वैदिक काल (1500–1000 ई.पू.) तथा उत्तर वैदिक काल (1000–600 ई.पू.) में बांटा गया है।
ऋग्वेद
ऋग्वेद देवताओं की स्तुति से सम्बंधित रचनाओं का संग्रह है। यह 10 मंडलों में विभक्त है। इसमे 2 से 7 तक के मंडल प्राचीनतम माने जाते हैं। प्रथम एवं दशम मंडल बाद में जोड़े गए हैं। इसमें 1028 सूक्त हैं। इसकी भाषा पद्यात्मक है।ऋग्वेद में 33 प्रकार के देवों (दिव्य गुणों से युक्त पदार्थो) का उल्लेख मिलता है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र जो सूर्य से सम्बंधित देवी गायत्री को संबोधित है, ऋग्वेद में सर्वप्रथम प्राप्त होता है। ‘असतो मा सद्गमय’ वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है। ऋग्वेद में मंत्र को कंठस्त करने में स्त्रियों के नाम भी मिलते हैं, जिनमें प्रमुख हैं- लोपामुद्रा, घोषा, शाची, पौलोमी एवं काक्षावृती आदि।
यजुर्वेद
- यजु का अर्थ होता है यज्ञ। इसमें धनुर्यवीद्या का उल्लेख है।
- यजुर्वेद वेद में यज्ञ की विधियों का वर्णन किया गया है।
- इसमे मंत्रों का संकलन आनुष्ठानिक यज्ञ के समय सस्तर पाठ करने के उद्देश्य से किया गया है।
- इसमे मंत्रों के साथ साथ धार्मिक अनुष्ठानों का भी विवरण है, जिसे मंत्रोच्चारण के साथ संपादित किए जाने का विधान सुझाया गया है।
- यजुर्वेद की भाषा पद्यात्मक एवं गद्यात्मक दोनों है।
- यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं- कृष्ण यजुर्वेद तथा शुक्ल यजुर्वेद।
- कृष्ण यजुर्वेद की चार शाखाएं हैं- मैत्रायणी संहिता, काठक संहिता, कपिन्थल तथा संहिता। शुक्ल यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं- मध्यान्दीन तथा कण्व संहिता।
- यह 40 अध्याय में विभाजित है।
- इसी ग्रन्थ में पहली बार राजसूय तथा वाजपेय जैसे दो राजकीय समारोह का उल्लेख है।
सामवेद
सामवेद की रचना ऋग्वेद में दिए गए मंत्रों को गाने योग्य बनाने हेतु की गयी थी।
- इसमे 1810 छंद हैं जिनमें 75 को छोड़कर शेष सभी ऋग्वेद में उल्लेखित हैं।
- सामवेद तीन शाखाओं में विभक्त है- कौथुम, राणायनीय और जैमनीय।
- सामवेद को भारत की प्रथम संगीतात्मक पुस्तक होने का गौरव प्राप्त है।
अथर्व वेद
- इस वेद में रहस्यमय विद्याओं, चमत्कार, जादू टोने, आयुर्वेद जड़ी बूटियों का वर्णन मिलता है।
- इसमें कुल 20 अध्याय में 5687 मंत्र हैं।
- अथर्ववेद आठ खंड में विभाजित है। इसमें भेषज वेद और धातु वेद दो प्रकार मिलते हैं।
जैन धर्म
जैन धर्म के दो तीर्थकरों – ऋषभनाथ तथा अरिष्टनेमि- का उल्लेख ऋग्वेद में पाया जाता है। कुछ विद्वानों का मत है कि हड़प्पा की खुदाई में जो नग्न धड़ की मूर्ति मिली है वो किसी तीर्थकर की है। पार्श्वनाथ तेइसवें तीर्थकर तथा भगवान महावीर चौबीसवें तीर्थकर थे। वर्धमान महावीर जो कि जैनों के सबसे प्रमुख तथा अन्तिम तीर्थकर थे, का जन्म 540 ईसापूर्व के आसपास वैशाली के पास कुंडग्राम में हुआ था। 42 वर्ष की अवस्था में उन्हें कैवल्य (परम ज्ञान) प्राप्त हुआ।
महावीर ने पार्श्वनाथ के चार सिद्धांतों को स्वीकार किया –
- अहिंसा – जीव हत्या न करना
- अमृषा – झूठ न बोलना
- अस्तेय – चोरी न करना
- अपरिग्रह – सम्पत्ति इकठ्ठा न करना
इसके अतिरिक्त उन्होंने अपना पांचवा सिद्धांत भी अपने उपदेशों में जोड़ा –
- ब्रह्मचर्य – इंद्रियों पर नियंत्रण
इस सम्प्रदाय के दो अंग हैं – श्वेताबर तथा दिगंबर
बौद्ध धर्म
जैन धर्म की तरह इसका मूल भी एक उच्चवर्गीय क्षत्रिय परिवार से था। गौतम नाम से जन्में महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसापूर्व में शाक्यकुल के राजा शुद्धोदन के घर हुआ था। इन्होंने भी सांसारिक जीवन जीने के बाद एक दिन अचानक से अपना घर छोड़कर सत्य की खोज में चल पड़े।
बुद्ध के उपदेशों में चार आर्य सत्य समाहित हैं –
- दुख
- दुख समुद्दय
- दुख निरोध
- दुख निरोध गामिनी प्रतिपदा।
उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का सुझाव दिया जिसका पालन करके मनुष्य पुनर्जन्म के बंधन से दूर हो सकता है –
- सम्यक वाक्
- सम्यक कर्म
- सम्यक आजीविका
- सम्यक व्यायाम
- सम्यक स्मृति
- सम्यक समाधि
- सम्यक संकल्प
- सम्यक दृष्टि
महाजनपद
बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय के अनुसार कुल सोलह (16) महाजनपद थे –
- काशी
- कोशल
- अंग (अङ्ग)
- मगध
- वज्जि
- मल्ल
- चेदि
- वत्स
- कुरु
- पांचाल (पञ्चाल)
- मत्स्य (या मछ)
- शूरसेन
- अश्मक
- अवन्ति
- गांधार
- कंबोज (या कम्बोज)
मौर्य राजवंश (321-185 ईसापूर्व)
मौर्य राजवंश प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था। मौर्य राजवंश ने 137 वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मंत्री चाणक्य (कौटिल्य) को दिया जाता है।
यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने 321 ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपने साम्राज्य का विस्तार किया। 316 ईसा पूर्व तक मौर्यवंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्यवंश का वृहद स्तर पर विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ।
मौर्य राजवंश के शासकों की सूची
- सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य – 321-298 ईसा पूर्व (24 वर्ष)
- सम्राट बिन्दुसार मौर्य – 298-271 ईसा पूर्व (28 वर्ष)
- सम्राट अशोक महान – 269-232 ईसा पूर्व (37 वर्ष)
- कुणाल मौर्य – 232-228 ईसा पूर्व (4 वर्ष)
- दशरथ मौर्य –228-224 ईसा पूर्व (4 वर्ष)
- सम्प्रति मौर्य – 224-215 ईसा पूर्व (9 वर्ष)
- शालिसुक मौर्य –215-202 ईसा पूर्व (13 वर्ष)
- देववर्मन मौर्य– 202-195 ईसा पूर्व (7 वर्ष)
- शतधन्वन् मौर्य – 195-187 ईसा पूर्व (8 वर्ष)
- बृहद्रथ मौर्य 187-185 ईसा पूर्व (2 वर्ष)
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गुप्त राजवंश
गुप्त राजवंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। इतिहासकारों द्वारा इस अवधि को भारत का स्वर्ण युग माना जाता है। मौर्य वंश के पतन के बाद लंबे समय तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के बाद तीसरी शताब्दी ईस्वी में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्ति, दक्षिण में वाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनः स्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।
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प्राचीन भारत के राजवंश और उनके संस्थापक
Ancient History for UPSC Hindi में जानिए प्राचीन भारत के राजवंश और उनके संस्थापक के बारे में जोकि हैं :
राजवंश | राजधानी | संस्थापक |
---|---|---|
गुहिल(सिसौदिया) | मेवाड(चितौड) | बप्पा रावल (कालभोज) |
हर्यक वंश | राजगृह, पाटलिपुत्र | बिम्बिसार |
शिशुनाग वंश | पाटलिपुत्र, वैशाली | शिशुनाग |
नन्द वंश | पाटलिपुत्र | महापद्मनन्द |
मौर्य वंश | पाटलिपुत्र | चंद्रगुप्त मौर्य |
शुंग वंश | विदिशा | पुष्यमित्र शुंग |
कण्व वंश | पाटलिपुत्र | वसुदेव |
सातवाहन वंश | पैठन | सिमुक |
चेदि वंश | सोत्थवती | महामोघवाहन |
हिंद-यवन | शाकल ( सियालकेट ) | डेमेट्रियस |
कुषाण वंश | पुरुषपुर पेशावर | कुजुल कडफिसेस |
कदम्ब वंश | बनवासी | मयूरशर्मन |
गंग वंश | तलकाड | कोंकणिवर्मा |
गुप्त वंश | पाटलिपुत्र | श्रीगुप्त |
मौखरी वंश | कन्नौज | ईशानवर्मा |
हूण वंश | स्यालकोट | तोरमाण |
मैत्रक वंश | वल्लभी | भट्टारक |
उत्तरगुप्त वंश | पाटलिपुत्र | कृष्णगुप्त |
गौड़ वंश | कर्णसुवर्ण, मुर्शिदाबाद | शशांक |
पुष्यभूति वंश | थानेश्वर | प्रभाकरवर्धन |
पाल वंश | मुंगेर | गोपाल |
सेन वंश | राढ़ | सामन्तसेन |
राष्ट्रकूट वंश | मान्यखेत | दन्तिवर्मन |
गुर्जर प्रतिहार वंश | कन्नौज | नागभट्ट प्रथम |
कलचुरी चेदि वंश | त्रिपुरी | कोक्कल प्रथम |
परमार वंश | धारा | कृष्णराज/ उपेन्द्र |
लोदी वंश | दिल्ली | |
महदेले लोधी वंश | मोहली | दृगपाल/महदेले |
सोलंकी वंश | अन्हिलवाड़ | मूलराज प्रथम |
चन्देल वंश | खजुराहो (महोबा) | नन्नुक |
गहड़वाल वंश | कन्नौज | चन्द्रदेव |
चौहान वंश | अजमेर | वासुदेव |
तोमर वंश | ढिल्लिका | अनंगपाल |
चालुक्य वंश (बादामी) | बादामी | पुलकेशिन प्रथम |
चालुक्य वंश (कल्याणी) | मान्यखेत | तैलप द्वितीय |
चालुक्य वंश (वेंगि) | वेंगि | विष्णुवर्धन |
पल्लव वंश | कांची | सिंहवर्मा |
चोल वंश | तंजौर, तंजावुर | विजयालय |
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यूपीएससी के लिए प्राचीन भारत इतिहास पीडीएफ
प्राचीन कालीन इतिहास के लिए बेस्ट बुक्स
- भारत का प्राचीन इतिहास
- Prachine Bharat Ka Itihas
- PRACHIN BHARAT (ANCIENT INDIA)
- Prarambhik Bharat Ka Parichay Hindi Edition
- प्राचीन भारत का इतिहास (वस्तुनिष्ठ)
- NCERT Class XI – An Introduction to Indian Art
- NCERT Class XI – Living Craft Traditions of India (Chapters 9 & 10)
- NCERT Class XII – History – Themes in Indian History Part I
- Centre for Cultural Resources and Training (CCRT) official Website
- The Wonder That Was India – A.L. Basham (For religion and philosophy)
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इंडियन हिस्ट्री की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें
- जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारत की खोज
- गांधी के बाद भारत: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र रामचंद्र गुहा का इतिहास
- द अमेजेंटेटिव इंडियन बाय अमर्त्य सेन
- डोमिनिक लैपियर और लैरी कोलिन्स द्वारा आधी रात को स्वतंत्रता
- यशमिन खान द्वारा महान विभाजन
- अल बाशम द्वारा द वंडर दैट वाज़ इंडिया
- द लास्ट मुगल बाय विलियम डेलरिम्पल
- भारत: ए हिस्ट्री बाय जॉन केय
- प्लासी से विभाजन तक: ए हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न इंडिया सेखर बंद्योपाध्याय
- मध्यकालीन भारत का इतिहास: आरएस चौरसिया द्वारा 1000 ईस्वी से 1707 ईस्वी तक
- केए नीलकंठ शास्त्री द्वारा नंद और मौर्यों की आयु
प्राचीन इतिहास UPSC महत्वपूर्ण प्रश्न
A.ह्वेनसांग
B.मेगास्थनीज
C.इत्सिंग
D.फाह्यान
उत्तर : मेगास्थनीज
A.तक्षशिला
B.विक्रमशिला
C.नालंदा
D.कोशाम्बी
उत्तर : कोशाम्बी
A.वराहमिहिर
B.आर्यभट्ट
C.भास्कर
D.इनमें से कोई नहीं
उत्तर : आर्यभट्ट
A.पत्थर के बने अस्त्र
B.पत्थर के बने औजार और उपकरण
C.बड़े पत्थरों से घेरी गई समाधियाँ (कब्रों)
D.पत्थर से बनी हुई दैनिक उपयोग की सामग्री
उत्तर : बड़े पत्थरों से घेरी गई समाधियाँ (कब्रों)
A.हितोपदेश
B.अभिज्ञान शाकुन्तलम
C.पंचतंत्र
D.कथासरित सागर
उत्तर : पंचतंत्र
A.प्राचीन पांडुलिपियों का अध्ययन
B.सिक्कों व धातुओं का अध्ययन
C.ताल पत्रों का अध्ययन
D.ताम्र पत्रों का अध्ययन
उत्तर : सिक्कों व धातुओं का अध्ययन
A.बाणभट्ट
B.भवभूति
C.नारायण पंडित
D.विष्णु शर्मा
उत्तर : नारायण पंडित
A.वसुमित्र
B.अश्वघोष
C.भरत मुनि
D.वात्स्यायन
उत्तर : भरत मुनि
A.58 ई० पू०
B.78 ई०
C.57 ई० पू०
D.73 ई० पू०
उत्तर : 58 ई० पू०
A.वियतनाम
B.तिब्बत
C.इंडोनेशिया
D.कम्बोडिया
उत्तर : कम्बोडिया
FAQs
(A) माउण्ट ऑफ लिविंग
(B) माउण्ट ऑफ स्केलेटन्स
(C) माउण्ट ऑफ स्लेव्स
(D) माउण्ट ऑफ डेड
Ans. (D) माउण्ट ऑफ डेड
(A) फिरदौसी
(B) श्रीहर्ष
(C) श्रीधर
(D) हेमचन्द्र
Ans. (A) फिरदौसी
(A) पीपल
(B) साल
(C) नीम
(D) आम
Ans. (B) साल
प्राचीन कालीन इतिहास पाषाण कल से लेकर गुप्त काल तक माना जाता है।
यूपीएससी की तैयारी के लिए सबसे पहले NCERT की बुक्स पढ़ने की सलाह दी जाती है।
आशा करते हैं कि आपको ancient history for UPSC Hindi का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800 572 000 पर कॉल करके 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कर सकते हैं।
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