मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा की आप PhD करके आगे रिसर्च में अपना करियर बनाना चाह रहे हैं। PHd करने के लिए मास्टर डिग्री जरूरी है क्योंकि PhD एक पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरेट डिग्री हैं। MA पीजी कोर्स है और इसके बाद आप पीएचडी कर सकते हैं। अगर आप रिसर्च या फिर एनालिसिस के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। PhD की पढ़ाई पूरी होने में लगभग 4 से 5 साल लगता है। यह छात्र पर निर्भर करता है कि वह अपना थीसिस कितने दिन में पूरा करता है।
MA के बाद पीएचडी करने के लिए प्रवेश प्रक्रिया
phd में आवेदन, प्रवेश परीक्षा और योग्यता आधारित प्रवेश दोनों के माध्यम से कर सकते है। छात्र के पास मास्टर्स डिग्री में 50% अंक होना आवश्यक है। छात्रों को केवल अपने अनुसंधान के लिए विषय के बारे में कुछ बातें बतानी होती है, जिसके आधार पर उन्हें चुना जाता है। प्रवेश परीक्षा द्वारा आवेदन करने का अर्थ है कि पहले प्रवेश परीक्षा देनी होती है और उसके अंक के आधार पर चयन किया जाता है। आवेदन करने के लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म कॉलेज द्वारा कॉलेज और यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर प्रदान किए जाते हैं।
M.a. के बाद phd के कितने फायदे हैं?
M.a. के बाद phd करने के क्या फायदे हैं और आप इस कोर्स क्यों करें के बारे में नीचे बताया गया है-
- कैंडिडेट्स को अपने सब्जेक्ट पर रिसर्च करने का अवसर मिलता है।
- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी के स्टूडेंट्स को किसी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना होता है, बल्कि वह शांति के साथ अपने शोध को पूरा कर सकते हैं।
- लोगों के लिए रिसर्च बताने की आवश्यकता है।
- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्रों के नाम के आगे डॉक्टर की उपाधि लग जाती है। जो कि किसी भी व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।
M.A. के बाद PhD करने की पात्रता
M.A. के बाद PhD करने के लिए आपके पास निम्नलिखित पात्रता होनी चाहिए –
- उम्मीदवार के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से M.A. या समकक्ष (Postgraduate) डिग्री होनी चाहिए।
- न्यूनतम 55% अंक (General Category) और 50% अंक (SC/ST/OBC/PwD) आवश्यक होते हैं।
- यदि आपने M.Phil किया है, तो कुछ विश्वविद्यालय आपको सीधे PhD में प्रवेश दे सकते हैं।
- बता दें कि अधिकतर विश्वविद्यालयों में PhD प्रवेश परीक्षा जैसे- UGC-NET/JRF, GATE और CSIR-NET आदि से होकर गुजरना पड़ता है।
- PhD प्रवेश के लिए एक रिसर्च प्रपोजल लिखना होता है, जिसमें आपके रिसर्च का विषय, उद्देश्य और संभावित परिणाम होते हैं।
- PhD प्रवेश के लिए एक रिसर्च प्रपोजल लिखना होता है, जिसमें आपके रिसर्च का विषय, उद्देश्य और संभावित परिणाम होते हैं।
- ज्यादातर विश्वविद्यालयों में वर्क एक्सपीरियंस की जरूरत नहीं होती। लेकिन कुछ संस्थान शिक्षण अनुभव या रिसर्च फेलोशिप को प्राथमिकता देते हैं।
M.A. के बाद PhD करने के दौरान आने वाली चुनौतियाँ
M.A. के बाद PhD करने के दौरान आपके सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ आती हैं, जो इस प्रकार हैं –
- PhD में एडमिशन के लिए कई प्रतियोगी परीक्षाएं (UGC-NET, JRF, GATE आदि) देनी पड़ती हैं। इसके लिए विश्वविद्यालयों में सीमित सीटें होती हैं, जिससे प्रवेश प्रक्रिया कठिन हो जाती है।
- PhD के लिए कई बार रिसर्च टॉपिक का चयन करना बड़ा ही कठिन हो जाता है, जो एक बड़ी चुनौती को जन्म देता है।
- PhD का कोर्स लंबा (3-5 साल या अधिक) हो सकता है, जिसमें धैर्य बनाए रखना मुश्किल होता है। कई छात्र जॉब और PhD साथ में करते हैं, जिससे उनके सामने समय प्रबंधन करने में कठिनाई आती है।
- PhD के दौरान छात्रों की कोई निश्चित आय नहीं होती है। बता दें कि रिसर्च के लिए फील्डवर्क, डेटा कलेक्शन और अन्य खर्चों के कारण भी छात्रों के सामने कई प्रकार की चुनौतियाँ आती हैं। कई बार स्कॉलरशिप न मिलने से भी आर्थिक समस्याओं को बढ़ावा मिलता है।
- रिसर्च पेपर लिखना और उन्हें पब्लिश कराना एक कठिन कार्य होता है। थीसिस लेखन के लिए बहुत अधिक अध्ययन और डेटा विश्लेषण की जरूरत होती है, जो एक बड़ी चुनौती के रूप में छात्रों के सामने उभरकर आती है।
M.A. के बाद PhD करने के दौरान आने वाली चुनौतियों का समाधान
M.A. के बाद PhD करने के दौरान आने वाली चुनौतियों के समाधान को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है, जो इस प्रकार हैं –
- M.A. के बाद PhD करने के लिए अच्छे विश्वविद्यालयों और उनके गाइडलाइंस पर शोध करने के साथ ही, इसकी जल्दी तैयारी शुरू करें। इसके साथ ही UGC-NET और अन्य परीक्षाओं की रणनीति बनाकर उनका अध्ययन करें।
- अपने विषय की गहराई से जानकारी रखने के साथ-साथ रिसर्च प्रपोजल पहले से तैयार करें।
- हमेशा याद रखें कि रिसर्च के विषय चयन में अपनी रुचि और विषय के अनुसार उनके टॉपिक्स को प्राथमिकता दें। पुराने शोध पत्र (Research Papers) और थेसिस पढ़ें ताकि आप एक नया विषय खोज सकें।
- विषय चयन करते समय गाइड से परामर्श करें और अपने विषय को लेकर एक व्यापक चर्चा करें। इसके साथ ही डेटा स्रोत और रिसर्च सामग्री की भी पहले से ही जांच कर लें।
- स्मार्ट वर्क अपनाकर आप टाइम मैनेजमेंट की स्ट्रैटेजी बनाएं, इसके साथ ही आप अपने मासिक और वार्षिक लक्ष्यों को पहले से ही निर्धारित करें।
- JRF (Junior Research Fellowship), UGC-NET स्कॉलरशिप और अन्य सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन करें, इससे आप आर्थिक चुनौती का सामना कर पाएंगे। बता दें कि विभिन्न विश्वविद्यालयों और प्राइवेट रिसर्च फंडिंग ऑप्शंस के माध्यम से भी आप अपने ऊपर आने वाले आर्थिक बोझ को कम कर सकते हैं।
- समय रहते शोध पत्र और थीसिस लिखने की तकनीक सीखें। प्लेज़रिज़्म (Plagiarism) से बचने के लिए अपने विचारों को मौलिक रूप में पेश करना उचित विकल्प के रूप में उभर सकता है। इसके लिए आप अपने गाइड और प्रोफेसरों से सुझाव लें और समय-समय पर उनका फीडबैक भी लेते रहें।
FAQs
पीएचडी कोर्स में आसान सब्जेक्ट्स संस्कृत, इंग्लिश, पॉलिटिकल साइंस आदि हैं।
भारत में PhD के लिए UGC-NET, स्टेट लेवल या अन्य एंट्रेंस एग्ज़ाम पास करना आवश्यक है।
नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत PhD कोर्स में एडमिशन के लिए NET क्वालीफाई होना जरूरी है।
M.A. में न्यूनतम 55% अंकों के साथ पास होना आवश्यक है (आरक्षित वर्ग के लिए छूट हो सकती है)। कई विश्वविद्यालयों में UGC-NET, JRF या विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा पास करना जरूरी होता है।
PhD के लिए आमतौर पर तीन चरण होते हैं –
(1) प्रवेश परीक्षा (NET, JRF या यूनिवर्सिटी की खुद की परीक्षा)
(2) इंटरव्यू/रिसर्च प्रपोजल प्रेजेंटेशन
(3) मेरिट के आधार पर अंतिम चयन।
PhD करने के निम्नलिखित फायदे हैं-
शिक्षण क्षेत्र में प्रोफेसर बनने का अवसर
रिसर्च और अकादमिक करियर में ग्रोथ
सरकारी एवं निजी संस्थानों में उच्च पदों पर नौकरी
विशेषज्ञता हासिल करना और अपने क्षेत्र में नई खोज करना
हां, अगर आपने JRF क्वालीफाई किया है तो UGC आपको हर महीने स्कॉलरशिप प्रदान करता है। इसके अलावा, कई विश्वविद्यालय और सरकारी संस्थान रिसर्च फेलोशिप देते हैं।
हां, कई विश्वविद्यालय अपनी खुद की प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं, जिसे पास करके आप PhD में दाखिला ले सकते हैं। हालांकि, JRF मिलने से छात्रवृत्ति का लाभ मिलता है।
PhD करने में आमतौर पर 3 से 5 साल लगते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह 6 साल तक भी बढ़ सकता है, खासकर अगर रिसर्च वर्क ज्यादा विस्तृत हो।
PhD में शोध प्रबंध (थीसिस) लिखना, रिसर्च पेपर पब्लिश करना, कांफ्रेंस में भाग लेना, टीचिंग असिस्टेंटशिप करना आदि शामिल होता है।
- GK Questions for Class 10 in Hindi: कक्षा 10 के लिए 120+ जीके प्रश्न
- Arunachal Pradesh Ki Bhasha: अरुणाचल प्रदेश में कौन सी भाषा बोली जाती है?
- Republic Day Anchoring Script in Hindi: गणतंत्र दिवस पर मंच संचालन कैसे करें?
- गणतंत्र दिवस पर भाषण कैसे दें: प्रभावी और प्रेरणादायक भाषण तैयार करने के टिप्स
- भारत में कितनी भाषाएं बोली जाती हैं?
- GK aur GS kya hai: GK और GS की परिभाषा, महत्व, अंतर और तैयारी करने के लिए उपयोगी टिप्स
- Lakshadweep Ki Rajdhani Kya Hai: लक्षद्वीप की राजधानी क्या है?
- संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाएं हैं?
- क्या आप जानते हैं केरल में कौन सी भाषा बोली जाती है?
- आंध्र प्रदेश में कौन सी भाषा बोली जाती है?
हमें उम्मीद है कि इस ब्लॉग में आपको M.a. के बाद PhD का क्या प्रोसीजर है और कितने फायदे हैं? के बारे में सभी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार आपके सवाल से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।