OECD in Hindi: ओईसीडी (OECD) यानी ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट एक अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय संगठन है, जो वैश्विक आर्थिक प्रगति और व्यापार सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नीतियां तैयार करता है। इसका मुख्य उद्देश्य सभी के लिए समृद्धि, समानता और अवसर सुनिश्चित करना है। वर्तमान में 38 देश इसके सदस्य हैं। ओईसीडी की स्थापना 1961 में वैश्विक व्यापार और आर्थिक विकास को मजबूत करने के लिए की गई थी। इस ब्लॉग में ओईसीडी से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से दी गई है।
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ओईसीडी के बारे में – OECD in Hindi
ओईसीडी (OECD) का पूरा नाम ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट है। यह 38 देशों का एक बहुपक्षीय संगठन है, जो आम वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए मिलकर कार्य करता है। इसके सदस्य देश मुख्य रूप से विकसित, लोकतांत्रिक और उच्च आय वाले राष्ट्र हैं, जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और जर्मनी।
ओईसीडी आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, शिक्षा सुधार, कौशल विकास, जलवायु परिवर्तन से निपटने और पर्यावरण संरक्षण जैसे विभिन्न मुद्दों पर कार्य करता है। यह संगठन नीतियों को सभी के लिए अधिक समावेशी और प्रभावी बनाने के लिए ज्ञान और विचारों का आदान-प्रदान करता है, जिससे वैश्विक प्रगति को बढ़ावा मिलता है।
ओईसीडी की संरचना
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की संरचना इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि यह सदस्य देशों को वैश्विक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी सहयोग प्रदान कर सके। इसकी संरचना मुख्य रूप से चार प्रमुख घटकों—परिषद, स्थायी प्रतिनिधि, समितियाँ और सचिवालय—से मिलकर बनी है। ओईसीडी की संरचना इसे एक प्रभावी और सुव्यवस्थित संगठन बनाती है, जो अपने सदस्य देशों को न केवल आर्थिक विकास और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन देता है, बल्कि उन्हें वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस नीतियाँ बनाने में भी मदद करता है।
1. परिषद (Council)
परिषद ओईसीडी का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है, जो संगठन की नीतियों और दिशा-निर्देशों को तय करता है। इसमें 38 सदस्य देशों के प्रतिनिधि और यूरोपीय संघ का एक प्रतिनिधि शामिल होते हैं। परिषद की जिम्मेदारी ओईसीडी की समग्र रणनीति तय करना, प्रमुख नीतिगत फैसले लेना और संगठन की वार्षिक मंत्रिस्तरीय परिषद बैठक (Ministerial Council Meeting) आयोजित करना है।
2. स्थायी प्रतिनिधि (Permanent Representatives)
स्थायी प्रतिनिधि वे राजनयिक या वरिष्ठ अधिकारी होते हैं जो ओईसीडी में अपने देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे संगठन की विभिन्न चर्चाओं और बैठकों में भाग लेते हैं, नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करते हैं और अपने देश तथा ओईसीडी के बीच समन्वय स्थापित करते हैं। ये प्रतिनिधि ओईसीडी के भीतर अपने देशों की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने और संगठन की सिफारिशों को अपने राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3. समितियाँ (Committees)
ओईसीडी की 300 से अधिक विशेषज्ञ समितियाँ और कार्यकारी समूह हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में शोध और नीति निर्माण का कार्य करते हैं। इनमें आर्थिक नीति, व्यापार, निवेश, शिक्षा, पर्यावरण, विज्ञान और नवाचार से जुड़े विषयों पर विशेषज्ञ चर्चा होती है। इन समितियों में सदस्य देशों के विशेषज्ञ और अधिकारी भाग लेते हैं और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए नीतियों का विकास करते हैं।
4. सचिवालय (Secretariat)
ओईसीडी सचिवालय संगठन की दैनिक गतिविधियों को संचालित करता है और सदस्य देशों को तकनीकी और शोध सहायता प्रदान करता है। यह फ्रांस के पेरिस में स्थित है और इसमें अर्थशास्त्री, वकील, वैज्ञानिक, सांख्यिकीविद् और नीति विशेषज्ञ शामिल होते हैं। सचिवालय संगठन के विभिन्न कार्यक्रमों और नीतिगत अनुसंधान को कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ओईसीडी का इतिहास
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की जड़ें ऑर्गेनाइजेशन फॉर यूरोपियन इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (OEEC) से जुड़ी हुई हैं, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के पुनर्निर्माण और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। यह संगठन मार्शल प्लान के तहत अमेरिका और कनाडा द्वारा दी गई आर्थिक सहायता के प्रबंधन के लिए 1948 में बनाया गया था।
OEEC ने यूरोपीय देशों के बीच आर्थिक समन्वय को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन समय के साथ इसकी भूमिका वैश्विक हो गई। इसी के परिणामस्वरूप, 14 दिसंबर 1960 को पेरिस के शैटॉ डे ला मुएट में एक नए कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने OEEC को OECD (Organisation for Economic Co-operation and Development) में बदल दिया। इसके बाद, 30 सितंबर 1961 को OECD आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया और इसका दायरा यूरोप से बाहर अन्य विकसित देशों तक विस्तारित हुआ।
ओईसीडी के उद्देश्य
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक सुधार, समावेशी विकास और स्थिरता को बढ़ावा देना है। ओईसीडी वैश्विक आर्थिक सहयोग को मजबूत करने, व्यापार के विकास को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण-सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए काम करता है। इसका उद्देश्य न केवल सदस्य देशों में बल्कि विश्व स्तर पर आर्थिक सुधार और समृद्धि को बढ़ावा देना है। इसके प्रमुख उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- आर्थिक विकास और सहयोग को बढ़ावा देना – ओईसीडी सदस्य देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सतत आर्थिक वृद्धि और सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए नीतियों का विकास करता है।
- आर्थिक स्थिरता और गरीबी उन्मूलन – संगठन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य आर्थिक स्थिरता को मजबूत करना और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाकर गरीबी कम करना है।
- पर्यावरणीय सततता और सामाजिक विकास – ओईसीडी यह सुनिश्चित करता है कि आर्थिक विकास की नीतियाँ पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक उत्थान को ध्यान में रखते हुए बनाई जाएँ, जिससे सतत विकास को प्रोत्साहित किया जा सके।
- वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना – संगठन स्वतंत्र और निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देकर आर्थिक समृद्धि में योगदान देता है, जिससे सभी देशों को लाभ हो।
- नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार – ओईसीडी ने शिक्षा, रोजगार, नवाचार और सामाजिक नीतियों के माध्यम से कई देशों में जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ओईसीडी के कार्य और जिम्मेदारियाँ
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) वैश्विक आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ओईसीडी वैश्विक आर्थिक नीति निर्धारण, कर प्रणाली सुधार, भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। इसकी सिफारिशें और नीतियाँ सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को आर्थिक समृद्धि और पारदर्शिता बढ़ाने में सहायता करती हैं।
इसके प्रमुख कार्य और जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित हैं:
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना – ओईसीडी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग को मजबूत करने, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत सिफारिशें प्रदान करता है।
- मॉडल टैक्स कन्वेंशन प्रकाशित करना – ओईसीडी मॉडल टैक्स कन्वेंशन प्रकाशित करता है, जो विभिन्न देशों के बीच कराधान अधिकारों (Taxation Rights) के आवंटन के लिए एक मानक ढांचा प्रदान करता है। यह कर विवादों को कम करने और दोहरे कराधान (Double Taxation) से बचने में मदद करता है।
- आर्थिक रिपोर्ट और डेटा विश्लेषण – ओईसीडी आर्थिक दृष्टिकोण (Economic Outlook), सांख्यिकीय डेटाबेस, विश्लेषण और पूर्वानुमान प्रकाशित करता है, जिससे देशों को अपने आर्थिक निर्णयों के लिए सटीक डेटा और अंतर्दृष्टि मिलती है।
- सामाजिक मुद्दों का आर्थिक विकास पर प्रभाव – संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक असमानता जैसे विषयों का अध्ययन करता है और यह विश्लेषण करता है कि ये कारक आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं।
- वैश्विक आर्थिक सुधार और सिफारिशें – ओईसीडी सदस्य देशों और अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को नीतिगत सिफारिशें प्रदान करता है, जिससे वे अधिक समावेशी और सतत विकास हासिल कर सकें।
- भ्रष्टाचार और वित्तीय अपराधों से निपटना – संगठन रिश्वतखोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और कर अपराधों को रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश और नीतियाँ विकसित करता है।
- असहयोगी कर पनाहगाहों (Tax Havens) की निगरानी – ओईसीडी ने 2000 में ‘Harmful Tax Competition Report’ जारी किया था, जिसमें टैक्स हेवन देशों की पहचान की गई थी। यह ‘Global Forum on Transparency and Exchange of Information for Tax Purposes’ के माध्यम से टैक्स पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
- G20 कर सुधारों को प्रोत्साहित करना – संगठन G20 देशों के साथ मिलकर वैश्विक कर सुधारों (Tax Reforms) को बढ़ावा देने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी (Base Erosion and Profit Shifting – BEPS) को रोकने के लिए पहल करता है।
ओईसीडी के सदस्य देश
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) में वर्तमान में 38 सदस्य देश शामिल हैं, जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों और बाजार अर्थव्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध हैं। ये देश न केवल वैश्विक आर्थिक नीतियों के विकास में योगदान देते हैं, बल्कि टैक्स, व्यापार, शिक्षा, नवाचार और सतत विकास जैसे मुद्दों पर भी सहयोग करते हैं। ओईसीडी के सदस्य देश मिलकर वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यरत हैं। इन देशों की भागीदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर, पारदर्शी और समावेशी बनाने में मदद करती है।
ओईसीडी के सदस्य देश विभिन्न महाद्वीपों में फैले हुए हैं और निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं:
- यूरोप: ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ़िनलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम।
- उत्तर और दक्षिण अमेरिका: कनाडा, चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र: ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड, इज़राइल।
ओईसीडी सदस्य देशों की भूमिका
- वैश्विक नीतिगत समन्वय: सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सुधारों और वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए मिलकर कार्य करते हैं।
- व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना: यह संगठन मुक्त और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नीतियाँ तैयार करता है।
- आर्थिक विकास और नवाचार: ओईसीडी सदस्य देश शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग कर नवाचार और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करते हैं।
- सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन: संगठन जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा नीतियों और सतत आर्थिक विकास के लिए नीतिगत दिशानिर्देश प्रदान करता है।
भारत ओईसीडी का सदस्य क्यों नहीं है?
भारत आर्थिक, नीतिगत और संस्थागत कारणों से अभी तक ओईसीडी का सदस्य नहीं बना है। ओईसीडी में मुख्य रूप से उच्च आय वाले, विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देश शामिल हैं। हालांकि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन गरीबी, असमानता और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी चुनौतियों के कारण इसे विकासशील देश के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
भारत अक्सर खुद को वैश्विक दक्षिण (Global South) के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करता है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों की वकालत करता है। अगर भारत ओईसीडी का सदस्य बनता है, तो उसे कराधान, व्यापार और सब्सिडी से जुड़े नियमों में अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, यह कदम भारत के कूटनीतिक रुख को भी प्रभावित कर सकता है। भारत अपनी आर्थिक और नीतिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देता है, जिससे वह घरेलू आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय ले सके।
ओईसीडी का महत्व
ओईसीडी वैश्विक नीतियों को आकार देने और देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है। यह संगठन कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- अंतर्राष्ट्रीय मानक और दिशानिर्देश: ओईसीडी कराधान, व्यापार, शिक्षा और कॉर्पोरेट प्रशासन जैसे क्षेत्रों में वैश्विक मानक और नीतिगत दिशानिर्देश विकसित करता है।
- डेटा-संचालित नीतियाँ: यह सरकारों को डेटा और अनुसंधान आधारित अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिससे प्रभावी सार्वजनिक नीतियाँ बनाई जा सकें।
- आर्थिक सहयोग और विकास: 38 सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
- वैश्विक संवाद का मंच: यह विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच नीति-निर्माण पर चर्चा और सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।
- पर्यावरण और ऊर्जा पहल: ओईसीडी जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करता है और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी: यह G7, G20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों के साथ मिलकर काम करता है।
- गैर-सदस्य देशों के साथ सहयोग: विकसित देशों का संगठन होने के बावजूद, ओईसीडी भारत, चीन और ब्राजील जैसे गैर-सदस्य देशों के साथ भी साझेदारी करता है और नीति-संबंधी सहयोग को बढ़ावा देता है।
ओईसीडी से संबंधित यूपीएससी प्रश्न
यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में ओईसीडी से जुड़े संभावित प्रश्न इस प्रकार हो सकते हैं:
- ओईसीडी क्या है, और इसके प्राथमिक उद्देश्य क्या हैं?
- OECD की उत्पत्ति और विकास पर चर्चा करें।
- भारत OECD का सदस्य क्यों नहीं है?
- वैश्विक शासन में OECD के प्रमुख योगदानों पर प्रकाश डालें।
- OECD की प्रमुख आलोचनाएँ क्या हैं?
- जलवायु परिवर्तन और आर्थिक असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में OECD की भूमिका की व्याख्या करें।
- OECD भारत जैसे गैर-सदस्य देशों के साथ कैसे सहयोग करता है?
FAQs
OECD परिषद संगठन की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इसमें सदस्य देशों के राजदूत और यूरोपीय आयोग के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जबकि इसकी अध्यक्षता महासचिव करते हैं। परिषद नीतिगत मामलों पर चर्चा, विचार-विमर्श और सर्वसम्मति से निर्णय लेने के लिए नियमित बैठकें आयोजित करती है।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) एक बहुपक्षीय मंच है, जहां मुक्त बाजार आधारित अर्थव्यवस्था वाले 38 लोकतांत्रिक देश सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नीति मानकों का निर्माण और सहयोग करते हैं।
OECD में 38 सदस्य देशों और यूरोपीय संघ के एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है। महासचिव इस संगठन की अध्यक्षता करते हैं और संगठन की रणनीतिक दिशा तय करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
नहीं, भारत OECD का पूर्ण सदस्य नहीं है। हालांकि, भारत OECD की चयनित समितियों और सहायक निकायों में भाग लेता है। भारत और OECD के बीच सहयोग उत्पादकता बढ़ाने, सतत विकास को प्रोत्साहित करने और वैश्विक कनेक्टिविटी बढ़ाने पर केंद्रित है। इसके अलावा, भारत की G20 अध्यक्षता (2023) के दौरान भी OECD ने भारत की भूमिका का समर्थन किया था।
OECD विभिन्न नीति क्षेत्रों में प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों और हितधारकों को एक साथ लाता है। यह बेहतर जीवन के लिए बेहतर नीतियां तैयार करने पर केंद्रित एक मंच और ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करता है। संगठन विभिन्न देशों और साझेदार संस्थाओं के साथ मिलकर नवाचार और सर्वोत्तम नीतियों पर कार्य करता है।
OECD का वित्त पोषण मुख्य रूप से सदस्य देशों द्वारा दिए गए अनिवार्य मूल्यांकन शुल्क और स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से किया जाता है। संगठन की कार्य योजना और बजट द्विवार्षिक (2-वर्षीय) कार्यकाल के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं।
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