21 जुलाई 2022 को भारत और यूके ने दोनों देशों द्वारा एक MoU में एक-दूसरे की उच्च शैक्षणिक योग्यता को मान्यता देने के लिए एक एग्रीमेंट साइन किया गया है। ब्रिटिश सरकार ने अपनी वेबसाइट पर एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी साझा की है।
यह समझौता यूके-इंडिया Enhanced Trade Partnership (ETP) का एक हिस्सा है। इसकी शुरुआत पिछले साल भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के पीएम बोरिस जॉनसन ने की थी।
इस MoU के चलते ब्रिटिश A-लेवल्स, बैचलर्स डिग्री और मास्टर्स डिग्री अब भारत में विश्वविद्यालयों द्वारा मान्यता प्राप्त होगी। इससे ब्रिटिश विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएशन करने वाले भारतीय छात्रों के लिए भारत में सरकारी क्षेत्र में मास्टर्स कोर्सेज या करियर बनाना आसान हो जाएगा।
यूके पहले से ही भारतीय छात्रों के लिए विदेश में एक लोकप्रिय स्टडी अब्रॉड डेस्टिनेशन है, जिसमें 84,500 से अधिक भारतीय छात्र अकादमिक वर्ष 2020-21 में यूके में गए थे।
HESA (Higher Education Statistics Agency) ने हाल ही में ग्लोबल एजुकेशन ‘पुनर्जागरण’ (renaissance) के एक पार्ट के रूप में यूके में भारतीय आवेदनों की संख्या में 220% की बढ़ोतरी दर्ज की है। ब्रिटेन के छात्र भी ट्यूरिंग योजना के माध्यम से भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश कर रहे हैं।
इस समझौते से भारतीय छात्रों के लिए ब्रिटेन में शिक्षा प्राप्त करने में आसानी होने की संभावना है। प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट कहा गया है कि ब्रिटेन में आने वाले गैर-यूरोपीय संघ (EU) के छात्रों से इंडस्ट्री को प्रति छात्र GBP 1.09 लाख (INR 1.04 करोड़) की राशि का लाभ होने की संभावना है।
इस कदम को ब्रिटिश विश्वविद्यालयों से काफी समर्थन मिला है, जिसमें यूनिवर्सिटी यूके इंटरनेशनल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विविएन स्टर्न एमबीई ने इसे ‘एक लैंडमार्क, ऐतिहासिक समझौता’ करार दिया है। वहीं ब्रिटिश काउंसिल के निदेशक (भारत) बारबरा विकम ओबीई ने कहा है कि यह भारत-ब्रिटेन संबंधों में उत्सव का महत्वपूर्ण समय है।
ब्रिटेन स्टडी अब्रॉड के मामले में कुछ महीनों से सुर्ख़ियों में रहा है और यह ग्लोबल एजुकेशन के लिए एक पसंदीदा बाजार के रूप में भी उभरा है। इसके अलावा, ब्रिटेन ने बड़े पैमाने पर वीज़ा बैकलॉग के बीच भी सर्वे में हाई ग्रेड – ‘बहुत अच्छा’ प्राप्त करने के साथ-साथ अपने वीज़ा प्रोसेसिंग में सुधार करने का प्रयास किया है।