सूरसागर में वर्णित ‘भ्रमरगीत’ का अभिप्राय बताइये।

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सूरसागर में वर्णित 'भ्रमरगीत' का अभिप्राय बताइये
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उत्तर- भक्तकवि सूरदास की रचना ‘सूरसागर’ में कृष्ण काव्य के एक प्रसंग को ‘भ्रमरगीत’ कहा गया है। इस प्रसंग में उद्धव, कृष्ण का संदेश लेकर योग-संदेश देने आए हैं, लेकिन गोपियाँ उसे व्यर्थ और निरर्थक समझकर कई प्रकार के उपहास करती हैं। जैसे भ्रमर या भंवरा फूलों से रस पीकर कहीं और चला जाता है, उसी तरह कृष्ण भी गोपियों से प्रेम कर मथुरा चले गए हैं। गोपियाँ उद्धव को भी भ्रमर के समान ही मानती हैं, क्योंकि भ्रमर का रंग काला होता है और वह रूप व रस के लोभ में होता है, ठीक वैसे ही कृष्ण और उद्धव भी रूप, गुण और कर्म में मिलते-जुलते हैं। हिंदी साहित्य में गोपियों के विरह के इस प्रसंग को ‘भ्रमरगीत’ के नाम से जाना जाता है।

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