Answer
Verified
उत्तर:
- तुलसीदास रससिद्ध कवि हैं जिनकी भाषा शुद्ध साहित्यिक अवधी है।
- उन्होंने अपनी भाषा को प्रौढ़ता, कलात्मकता और सहजता प्रदान की है।
- संवाद-योजना में पात्रानुकूल कोमल, मधुर और व्यंग्यात्मक भाषा का सुंदर प्रयोग किया है।
- तत्सम-तद्भव शब्दों का समन्वय कर उन्होंने श्रुति-माधुर्य उत्पन्न किया है।
- चौपाई और दोहा छन्दों का प्रयोग कर भाषा को सरस और लोकप्रिय बनाया है।
- छन्दों में दीर्घ वर्णों का प्रयोग कर नाद-सौन्दर्य को और बढ़ाया है।
- उनके काव्य में अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकार सहज रूप से मिलते हैं।
- वीर और हास्य रस का प्रभावशाली प्रयोग भाषा में प्राण फूंकता है।
- मुहावरों, लोकोक्तियों और सूक्तियों का प्रयोग भाषा को और सजीव बनाता है।
- तुलसी की भाषा शैली भाव, अर्थ और कला का सुंदर समन्वय है जो उनके काव्य को कालजयी बनाती है।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
- परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौनसे तर्क दिए?
- परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
- लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।
- परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए।
- लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?
- साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
- ‘बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥ पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
- ‘इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥ देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
60,000+ students trusted us with their dreams. Take the first step today!

One app for all your study abroad needs
