लक्ष्मण के वचनों से बढ़े हुए परशुराम जी के क्रोध को किसने और कैसे शान्त किया?

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लक्ष्मण के वचनों से बढ़े हुए परशुराम जी के क्रोध को किसने और कैसे शान्त किया
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उत्तर – लक्ष्मण के तीव्र वचनों से उत्तेजित हुए परशुराम जी के क्रोध को श्रीराम ने शांत किया। उन्होंने अत्यंत विनम्र और मधुर शब्दों का प्रयोग किया। श्रीराम के शांत, शीतल और संयमित व्यवहार ने परशुराम के उग्र स्वभाव को ठंडा कर दिया और उनके क्रोध को शांत करने में सहायक बना।

विस्तार से

लक्ष्मण के तीखे और व्यंग्यपूर्ण वचनों से परशुराम जी का क्रोध अत्यंत भड़क उठा। उन्होंने अपने फरसे को उठा लिया और लक्ष्मण को दंड देने के लिए तत्पर हो गए। यह देखकर श्रीराम ने स्थिति को संभालने के लिए अत्यंत धैर्य, विनम्रता और विवेक का परिचय दिया।

श्रीराम ने परशुराम जी को अत्यंत सम्मानपूर्वक प्रणाम किया और स्वयं को उनका दास बताते हुए लक्ष्मण के कठोर शब्दों के लिए क्षमा माँगी। उनके शब्द इतने शीतल और संतुलित थे कि वे परशुराम जी के उग्र स्वभाव के लिए जैसे शीतल जल सिद्ध हुए। श्रीराम के संयमित आचरण और मधुर व्यवहार से परशुराम का क्रोध धीरे-धीरे शांत हो गया।

परशुराम जी ने श्रीराम की दिव्य गरिमा को भी अनुभव किया और उनके तेजस्वी व्यक्तित्व को देखकर उनका हृदय बदल गया। अंततः उन्होंने न केवल क्रोध का त्याग किया, बल्कि राम की विनम्रता और मर्यादा का हृदय से आदर भी किया।

यह प्रसंग दर्शाता है कि क्रोध जैसी तीव्र भावना को भी विनम्रता, शांति और सम्मान से जीता जा सकता है।

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