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उत्तर: ‘अहो मुनीसु महाभट मानी’ पंक्ति में लक्ष्मण परशुराम के स्वभाव और व्यवहार पर व्यंग्य करते हैं। वह उन्हें मुनियों के रूप में एक महान योद्धा कहकर उनकी वीरता और बड़बोलेपन का उपहास करते हैं। लक्ष्मण परशुराम के क्रोधपूर्ण, अमर्यादित आचरण को देखकर यह इंगित करते हैं कि वे मुनि होकर भी क्षत्रियों जैसे व्यवहार कर रहे हैं। इस प्रकार यह कथन परशुराम के आचरण पर एक तीखा व्यंग्य है।
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