जर्मनी द्वारा APS सिस्टम की गई घोषणा, बताया इस नए बदलाव का कारण

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जर्मनी द्वारा APS सिस्टम की गई घोषणा

जर्मनी में भरपूर मात्रा में आने वाले वीज़ा एप्लीकेशनस के चलते यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि एप्लीकेशन प्रोसेस और एकेडेमिक क्रेडेंशियल्स की वेरिफिकेशन पर ख़ास ध्यान दिया जाए। इसी कारण 1 अक्टूबर 2022 को भारत में APS यानी एकेडेमिक इवैल्यूएशन सेंटर को इंट्रोड्यूस किया गया। यह रिपोर्ट भारत के जर्मनी अम्बेसेडर फिलिप एकरमैन द्वारा दी गई। 

फिलिप ने कहा कि अब्रॉड स्टडी आपको बेहतरीन मौके और भविष्य में लाजवाब विकल्प देने में सक्षम है। लेकिन इसके साथ कई महत्वपूर्ण और एडमिशन से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल भी सामने आते हैं। इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए कौनसी स्कॉलरशिप्स उपलब्ध हैं? कौनसी चीज़ें एप्लीकेशन को जानदार बनाती हैं? क्या अब्रॉड में जाना और पढ़ाई करना सिर्फ कुछ लोगों के लिए है? हर शुक्रवार, इंडियन एक्सप्रेस एक एक्सपर्ट को इन्वाइट करती है जो स्टडी अब्रॉड से जुड़े टिप्स, एडवाइस और सवालों का जवाब दे सकें। 

जर्मनी यूनिवर्सिटीज ना सिर्फ आपको बेहतर स्टडी अब्रॉड एक्सपीरियंस देने में सक्षम है बल्कि यह आपको आपकी ज़िंदगी का कभी ना भूलने वाला लाजवाब एक्सपेरिंस देने की काबिलियत रखता है। जर्मनी यूनिवर्सिटीज खासकर भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या को जर्मनी में बढ़ाने हेतु कई विभिन्न कदम उठा रही है। 

जर्मनी यूरोप की धड़कन होने के साथ आपको भिन्न भिन्न रिसर्च इकोसिस्टम ऑफर करता है। इसके साथ इनमें मिलने वाले कोर्सेज में आप यूनिवर्सिटीज और इंडस्ट्रीज़ में डायरेक्ट कनेक्शन पाते हैं। 

भारत से जर्मनी पढ़ने जाने वाले स्टूडेंटस की बात की जाए तो यह संख्या आपको लगभग 35,000 देखने को मिलेगी। यह संख्या दर्शाती है कि जर्मनी और भारत के बीच का मेल जोल ग्रोथ की तरफ बढ़ रहा है। यह ग्रोथ भारत और जर्मनी के बीच साइंटिफिक रिलेशन्स का स्कोप भी बढ़ाता है। 

वीज़ा एप्लीकेशन प्रोसेस की बात करें तो रीसेंट रिसर्च के अनुसार भारत से जर्मनी आने वाले स्टूडेंट्स की एप्लीकेशन में भारी उछाल देखने को मिला है। लेकिन अगर पीछे मुड़कर देखा जाए तो हालात वीज़ा प्रोसेस में वैसे नहीं पाए गए थे जैसा हम सभी चाहते थे। इस कारण वीज़ा एप्लिकेंट के बीच थोड़ी नाराज़गी देखने को भी मिली है। इन एप्लीकेशन के बीचे एक मुद्दा आता है फ्रॉड एप्लीकेशनस का। जिसकी वजह से इस सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया गया है। 

हर स्टूडेंट एप्लीकेशन प्रोसेस की स्क्रीनिंग एप्लीकेशन प्रोसेस के ओवर आल प्रोसेस को धीमा कर सकती है। लेकिन वीज़ा एप्लीकेशन प्रोसेस की स्ट्रीमलाईनिंग और फसिलिटेटिंग के साथ एकेडेमिक क्रीडेंशियल की वेरफिकेशन एक ज़रूरत बन जाती है। इसी ज़रूरत को देखते हुए APS (एकेडेमिक इवैल्यूएशन सेंटर) को 1 अक्टूबर 2022 को इंट्रोड्यूस किया गया। 

स्टूडेंट्स वीज़ा एप्लीकेशन प्रोसेस के लिए भारत के जर्मनी एम्बेसेडर द्वारा लिया गया यह कदम भात के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। यह प्रोसेस को धीमा ज़रूर करता है लेकिन यह इनिशिएटिव फ्रॉड एप्लीकेशन की दर को घटा देगी जिससे जर्मनी में यूनिवर्सिटीज को भी आसानी हासिल होगी।

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