Why We Celebrate Lohri in Hindi: जानिए लोहड़ी को मनाने की वजह

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Why We Celebrate Lohri in Hindi

भारत में हर त्योहार अपनी अलग पहचान और महत्व रखता है। इन्हीं त्योहारों में से एक है लोहड़ी, जिसे उत्तर भारत, खासकर पंजाब और हरियाणा में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल कृषि और फसल से जुड़ा हुआ है, बल्कि इसके पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियां भी छिपी हैं। लोहड़ी का त्योहार नयी फसल के स्वागत, प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और समुदाय में एकता को बढ़ावा देने का प्रतीक है। आइए, इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानते हैं कि लोहड़ी क्यों मनाई जाती है (Why We Celebrate Lohri in Hindi) और इसका क्या महत्व है।

फसल का त्योहार

लोहड़ी को मुख्यतः फसल के त्योहार के रूप में जाना जाता है। मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाने वाला यह पर्व नई फसल के स्वागत और किसान की मेहनत का जश्न है। यह वह समय होता है जब रबी की फसल काटी जा चुकी होती है और किसान अपनी फसल को देखकर गर्व महसूस करते हैं। इस दिन नई फसल का कुछ हिस्सा अग्नि को अर्पित किया जाता है, जिसे प्रकृति और देवी-देवताओं के प्रति आभार के रूप में देखा जाता है।

गन्ना, गेहूं, तिल और मूंगफली जैसे खाद्यान्नों का इस पर्व में विशेष महत्व है। लोग इन्हें अग्नि में अर्पित करते हैं और इससे यह विश्वास करते हैं कि उनकी भूमि उपजाऊ बनी रहेगी और आने वाले साल में भी फसल अच्छी होगी। यह त्योहार न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।

दुल्ला भट्टी की कहानी

लोहड़ी के साथ जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कहानी है दुल्ला भट्टी की। दुल्ला भट्टी एक लोकनायक थे, जो मुगल काल में पंजाब में रहते थे। वह गरीबों की मदद करते थे और तस्करों से लड़कियों को बचाते थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी सुंदरी और मुंदरी नाम की दो लड़कियों की है, जिन्हें उन्होंने तस्करों से बचाकर उनकी शादी करवाई। इस मौके पर उन्होंने गुड़ और शक्कर बांटी।

आज भी लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी के गीत गाए जाते हैं, जो उनकी वीरता और उदारता की याद दिलाते हैं। यह कहानी इस त्योहार को और भी खास बनाती है, क्योंकि यह हमें सिखाती है कि साहस, दया और इंसानियत का महत्व हमेशा रहता है।

लोई का महत्व

एक और मान्यता के अनुसार, लोहड़ी का नाम संत कबीर की पत्नी लोई के नाम पर रखा गया है। लोई का जीवन सरलता और नारी शक्ति का प्रतीक है। इस दिन महिलाओं को सम्मान दिया जाता है और उनके योगदान को सराहा जाता है। यह त्योहार महिलाओं की महत्ता को भी रेखांकित करता है।

अग्नि का महत्व

लोहड़ी के दिन की सबसे प्रमुख परंपरा है सामूहिक रूप से अग्नि प्रज्वलित करना। लोग एक स्थान पर एकत्र होते हैं और अग्नि के चारों ओर घूमकर तिल, गुड़, मूंगफली और रेवड़ी चढ़ाते हैं। यह अग्नि न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे सूर्य और अग्निदेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम भी है।

लोक मान्यताओं के अनुसार, अग्नि की लपटें हमारे प्रार्थनाओं को सूर्य देव तक पहुंचाती हैं। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि उनकी कृपा से ही फसल अच्छी होती है और जीवन सुखी बनता है।

सामुदायिक उत्सव

लोहड़ी केवल एक धार्मिक या कृषि आधारित त्योहार नहीं है; यह एक सामुदायिक उत्सव भी है। इस दिन लोग एकत्र होकर नाच-गाना करते हैं, परंपरागत गीत गाते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। यह त्योहार समाज के सभी वर्गों को एकजुट करता है और हमें यह सिखाता है कि खुशी बांटने से बढ़ती है।

पंजाबी भांगड़ा और गिद्दा इस दिन की खास पहचान हैं। लोग ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं और गाते हैं, जिससे चारों ओर उत्साह का माहौल बनता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में खुशी और उत्साह बनाए रखना कितना जरूरी है।

प्रकृति के प्रति आभार

लोहड़ी प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हमारी खुशहाली और समृद्धि का मूल स्रोत प्रकृति है। इस दिन लोग न केवल फसल, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी प्रकृति के महत्व को समझते हैं और इसके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।

बच्चों और नवविवाहितों के लिए खास महत्व

लोहड़ी का त्योहार बच्चों और नवविवाहितों के लिए विशेष महत्व रखता है। नवजात शिशु के जन्म या नई शादी के बाद पहली लोहड़ी खास तरीके से मनाई जाती है। यह परंपरा परिवार और समाज में नए सदस्य का स्वागत करने का प्रतीक है। इस मौके पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और नवविवाहित जोड़े या नवजात शिशु को आशीर्वाद दिया जाता है।

लोहड़ी के व्यंजन

लोहड़ी के पर्व का मज़ा उसके खास व्यंजनों के बिना अधूरा है। इस दिन तिल की रेवड़ी, गजक, मूंगफली, मक्की दी रोटी और सरसों दा साग जैसे पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं। ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि इनमें स्वास्थ्यवर्धक गुण भी होते हैं। तिल और गुड़ से बनी चीजें सर्दियों में शरीर को गर्म रखने में मदद करती हैं।

लोहड़ी का आधुनिक स्वरूप

समय के साथ लोहड़ी के त्योहार में भी बदलाव आया है। अब यह केवल गांवों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरों में भी इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि, पारंपरिक परंपराएं अब भी इस त्योहार का अभिन्न हिस्सा हैं। लोग अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर परिवार और दोस्तों के साथ इस पर्व का आनंद लेते हैं।

निष्कर्ष

लोहड़ी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह जीवन का उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि मेहनत और प्रकृति के प्रति आभार का महत्व क्या है। यह त्योहार हमें अपनी परंपराओं और संस्कृति से जोड़ता है और समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है।

तो इस लोहड़ी पर, अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इस पर्व का आनंद लें, आग के चारों ओर नाचें-गाएं, और प्रकृति का धन्यवाद करें। लोहड़ी की पवित्र अग्नि आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाए। लोहड़ी दी लाख-लाख वधाईयाँ!

FAQs

लोहड़ी पर किसकी पूजा की जाती है?

नई फसल की पूजा की जाती है। 

लोहड़ी के पर्व में किसका आभार व्यक्त किया जाता है ?

सूर्य देव और अग्नि देव का। 

लोहड़ी पर क्या चढ़ाएं?

रेवड़ी, मूंगफली, गुड़, तिल और गजक चढ़ाने की परंपरा है। 

लोहड़ी मतलब क्या होता है?

लोहड़ी का अर्थ तीन शब्दों से बना है ‘ल’ का मतलब लकड़ी, ओह का मतलब उपले और ड़ी का मतलब रेवड़ी होता है। 

उम्मीद है की आपको Why We Celebrate Lohri in Hindi का हमारा ये ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही ट्रेंडिंग इवेंट्स से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए Leverage Edu के साथ। 

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