संविधान सभी नागरिकों के लिए सामूहिक रूप से कुछ स्वतंत्रता देता है और उन्हें 6 मौलिक अधिकारों के रूप में जाना जाता है। ये अधिकार भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रोटेक्टेड हैं। प्रत्येक नागरिक को ये अधिकार तब मिलते हैं, जब वह भारत का नागरिक हो। मौलिक अधिकारों के बारे में हम सभी को जरूर जानना चाहिए क्योंकि यह सीधे तौर पर हमारे लिए हैं और ये UPSC के एग्जाम के अलावा अन्य परीक्षाओं के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं, इसलिए इस ब्लाॅग में मौलिक अधिकार क्या हैं और मौलिक अधिकार कितने हैं? के बारे में विस्तार से जानेंगे।
This Blog Includes:
- मौलिक अधिकार कितने हैं?
- भारतीय संविधान में कितने मौलिक अधिकार हैं?
- भारत में मौलिक अधिकारों का इतिहास क्या है?
- मौलिक अधिकारों की विशेषताएं क्या हैं?
- मौलिक अधिकारों का महत्व क्या है?
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 13 क्या है?
- Fundamental Rights in Hindi PDF
- फंडामेंटल राइट्स और कर्तव्य (Duties) में क्या अंतर है?
- FAQs
मौलिक अधिकार कितने हैं?
भारत के संविधान के अनुसार भारतीय नागरिकों के लिए 6 मौलिक अधिकार हैं। ये अधिकार संविधान में हैं जो नागरिकों को गारंटी देते हैं कि कोई व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और इसके अलावा भी उन्हें कई चीजों में आजादी मिलती है, यहां मौलिक अधिकारों के बारे में बताया जा रहा हैः
भारत के मौलिक अधिकार | संविधान के अनुच्छेद |
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कानूनों के लिए प्रावधान | अनुच्छेद 13 |
समानता का अधिकार | अनुच्छेद 14 से 18 |
स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद 19 से 22 |
शोषण के विरुद्ध अधिकार | अनुच्छेद 23 से 24 |
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद 25 से 28 |
सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार | अनुच्छेद 29 से 30 |
संवैधानिक उपचारों का अधिकार | अनुच्छेद 32. |
भारतीय संविधान में कितने मौलिक अधिकार हैं?
भारतीय संविधान में छह मौलिक अधिकार हैं। आपको बता दें कि भारतीय संविधान में एक और मौलिक अधिकार (संपत्ति का अधिकार) था, लेकिन 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा इस अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया था। भारत के नागरिकों के लिए 6 मौलिक अधिकार इस प्रकार हैंः
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- अनुच्छेद 14- कानूनों का समान संरक्षण और कानून के समक्ष समानता।
- अनुच्छेद 15- धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या नस्ल के आधार पर भेदभाव का निषेध (Prohibition)।
- अनुच्छेद 16- सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता।
- अनुच्छेद 17- अस्पृश्यता (untouchability) का अंत और उसके आचरण पर रोक।
- अनुच्छेद 18- सैन्य एवं शैक्षणिक उपाधियों को छोड़कर उपाधियों का उन्मूलन (Abolition)।
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- अनुच्छेद 19- भाषण और अभिव्यक्ति, सभा, निवास और पेशे की स्वतंत्रता से संबंधित छह अधिकारों का प्रोटेक्शन।
- अनुच्छेद 20- अपराधों के लिए दोषसिद्धि में प्रोटेक्शन।
- अनुच्छेद 21- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रोटेक्शन।
- अनुच्छेद 22- कुछ मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से प्रोटेक्शन।
शोषण (Exploitation) के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- मानव तस्करी और जबरन श्रम का निषेध (Prohibition).
- बाल श्रम पर रोक।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म का स्वतंत्र व्यवसाय, अभ्यास और प्रचार-प्रसार का अधिकार।
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
नागरिकों के किसी भी वर्ग को अपनी संस्कृति, भाषा या लिपि को संरक्षित करने का अधिकार, और अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने अधिकार।
संवैधानिक उपचारों (Constitutional Remedies) का अधिकार (अनुच्छेद 32)
यह अधिकार नागरिकों को न्याय के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति देता है या है कह सकते हैं कि मौलिक अधिकारों को उचित रूप से लागू कराने के लिए अदालत में जाने का अधिकार देता है। भारत की संसद को मौलिक अधिकार बनाने का अधिकार देता है।
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भारत में मौलिक अधिकारों का इतिहास क्या है?
मौलिक अधिकार क्या हैं और मौलिक अधिकार कितने हैं जानने के साथ ही भारत में मौलिक अधिकारों का इतिहास समझना जरूरी है, जोकि इस प्रकार बताया जा रहा हैः
भारत में मौलिक अधिकारों का इतिहास देश की आजादी के संघर्ष और उसके संविधान के निर्माण से निकटता से जुड़ा हुआ है। कई स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन ने व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रिपोर्ट्स और स्टडी के अनुसार माना जाता है कि 20वीं सदी की शुरुआत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सत्र के दौरान मौलिक अधिकारों की मांग को प्रमुखता मिली। डाॅ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता को सुरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने 1929 के लाहौर सत्र में एक प्रस्ताव पारित कर घोषणा कर कहा कि स्वतंत्र भारत अपने नागरिकों को पूर्ण मौलिक अधिकार देगा और इस संकल्प ने भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों को शामिल करने की नींव रखी थी।
संविधान सभा ने डॉ. बी.आर. के मार्गदर्शन में स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखा। बाबा साहब के नेतृत्व में संविधान सभा ने बहस की और मौलिक अधिकार प्रावधानों को तैयार किया।
26 जनवरी 1950 को अपनाए गए भारत के संविधान ने मौलिक अधिकारों को भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला के रूप में रखा। संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों की सूची शामिल है, जो कानूनी सुरक्षा देती है।
संविधान, न्यायपालिका के माध्यम से मौलिक अधिकारों को लागू करने का भी प्रावधान करता है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय, न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति के साथ, मौलिक अधिकारों के संरक्षक और संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
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मौलिक अधिकारों की विशेषताएं क्या हैं?
मौलिक अधिकार उनके लागू होने के तरीके में सामान्य कानूनी अधिकारों से अलग हैं। यदि किसी कानूनी अधिकार का उल्लंघन होता है तो व्यक्ति निचली अदालतों को दरकिनार कर सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता है। उसे पहले निचली अदालतों से संपर्क करना चाहिए। कुछ मौलिक अधिकार सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं, जबकि अन्य सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं चाहे वे नागरिक, विदेशी या कानूनी व्यक्ति हों जैसे- परिषद और कंपनियां।
ये अधिकार पर प्रतिबंध भी हैं, जिसका अर्थ है कि वे राज्य सुरक्षा, सार्वजनिक नैतिकता और और अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों की शर्तों के अधीन हैं, हालांकि मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
फंडामेंटल राइट्स को संसद द्वारा संवैधानिक संशोधन द्वारा संशोधित किया जा सकता है, लेकिन केवल तभी जब संशोधन संविधान की मूल संरचना को नहीं बदलता है। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है। लेकिन अनुच्छेद 20 और 21 के तहत कुछ अधिकारों को निलंबित नहीं किया जा सकता है।
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मौलिक अधिकारों का महत्व क्या है?
ये अधिकार बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये देश की रीढ़ की हड्डी की तरह हैं। यह लोगों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक हैं। इनसे नागरिकों के बुनियादी अधिकारों और स्वतंत्रता, जैसे जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा की रक्षा होती है। इससे नागरिक यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सरकार अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करे और यदि नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन होता है तो उन्हें कानूनी सहारा मिले।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 13 क्या है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 13 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। अनुच्छेद 13 के तहत वे सभी कानून जो किसी भी मौलिक अधिकार के साथ असंगत हैं या उनका अपमान करते हैं, शून्य होंगे।
Fundamental Rights in Hindi PDF
static.mygov.in के अनुसार Fundamental Rights in Hindi PDF यहां दी जा रही हैः
Fundamental Rights in Hindi PDF
फंडामेंटल राइट्स और कर्तव्य (Duties) में क्या अंतर है?
मौलिक अधिकार इस देश के लोगों के लिए उपलब्ध अधिकार हैं, जबकि मौलिक कर्तव्य नागरिकों के लिए हैं। इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य जोड़े गए ते।
मौलिक अधिकार और कर्तव्य भारतीय संविधान की दो महत्वपूर्ण काॅंसेप्ट हैं। मौलिक अधिकार वे अधिकार हैं जो व्यक्तियों को किसी विशेष देश के नागरिक होने के आधार पर मिलते हैं और मौलिक कर्तव्य वे जिम्मेदारियां हैं जो नागरिकों की अपने देश और साथी नागरिकों के प्रति होती हैं।
मौलिक अधिकार कानून की अदालतों के माध्यम से लागू किए जा सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वे कानूनी सहारा ले सकते हैं। हालांकि मौलिक कर्तव्यों को उसी तरह लागू नहीं किया जा सकता है। नागरिकों से अपने मौलिक कर्तव्यों को पूरा करने की उम्मीद की जाती है, लेकिन ऐसा करने में विफल रहने पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है।
इन अधिकारों का ध्यान व्यक्तियों के हितों की रक्षा करना और उनकी भलाई सुनिश्चित करना है। वहीं मौलिक कर्तव्य सामूहिक भलाई को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं कि नागरिक अपने देश के कल्याण में योगदान दें।
FAQs
भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारतीय नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है।
मौलिक अधिकार 6 हैं जिनमें- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार माना जाता है क्योंकि यह हमारे मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको मौलिक अधिकार क्या हैं और मौलिक अधिकार कितने हैं? के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।