वासुदेव शरण अग्रवाल भारतीय साहित्य, संस्कृति और इतिहास के महान शोधकर्ताओं में से एक हुए हैं। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक कलाकार, भाषाविद और इतिहासकार भी थे। उन्होंने हिंदी साहित्य को कई अमर कृतियां दीं। इसके अलावा उन्होंने कई अनुपम कलाकृतियों की भी रचना की थी। वे संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। इसके अलावा उनकी लेखनी में एक अद्भुत सौंदर्य और कवि भावुकता विद्यमान रहती है। यहाँ वासुदेव अग्रवाल का जन्म कब हुआ था और उनकी प्रमुख रचनाएं, करियर और उनकी मृत्यु के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म कब हुआ था?
प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति संस्कृति एवं कला के महान अध्येता वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म 07 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित खेड़ा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम गोपीनाथ अग्रवाल था। इनका बचपन लखनऊ में ही बीता था।
शिक्षा एवं उच्च शिक्षा
वासुदेव शरण अग्रवाल जी ने अपना प्रारंभिक जीवन लखनऊ में ही व्यतीत किया था। लखनऊ में ही रहकर उन्होंने संस्कृत विद्वान् पं. जगन्नाथ से संस्कृत का प्रारंभिक ज्ञान प्राप्त किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने वर्ष 1929 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। इसके बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी से ही वर्ष 1941 में डॉ. राधाकुमुद मुखर्जी के निदेशन में ‘इं डिया एज नोन टू पाणिनि’ विषय पर पहले पीएचडी और बाद में डी. लिट की डिग्री प्राप्त की।
वासुदेव शरण अग्रवाल का करियर
वासुदेव शरण अग्रवाल भारतीय साहित्य, संस्कृति और इतिहास के महान शोधकर्ताओं में से एक हुए हैं। वह एक ही साथ लेखक, इतिहासकार, कला-मर्मज्ञ, पुरातत्त्ववेत्ता, दार्शनिक, लिपिशास्त्री, शब्दशास्त्री, भाषाशास्त्री और अन्वेषक भी थे। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं थीं। इसके अलावा उन्होंने मथुरा के “पुरातत्व संग्रहालय” के अध्यक्ष और भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था।
वासुदेव शरण अग्रवाल की प्रमुख रचनाएं
वासुदेव शरण अग्रवाल की प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं :
रचना | प्रकाशन |
पृथ्वी-पुत्र | वर्ष 1949 |
उरुज्योति | वर्ष 1952 |
कला और संस्कृति | वर्ष 1952 |
कल्पवृक्ष | वर्ष 1953 |
माता भूमि | वर्ष 1953 |
हर्षचरित – एक सांस्कृतिक अध्ययन | वर्ष 1953 |
पोद्दार अभिनन्दन ग्रन्थ | वर्ष 1953 |
भारत की मौलिक एकता | वर्ष 1954 |
मलिक मुहम्मद जायसी : पद्मावत | वर्ष 1955 |
पाणिनिकालीन भारतवर्ष | वर्ष 1955 |
भारतसावित्री | वर्ष 1957 |
भारतसावित्री | वर्ष 1958 |
मृत्यु
वासुदेव शरण अग्रवाल का 66 वर्ष की आयु में 27 जुलाई, 1966 को वाराणसी में निधन हो गया था। किंतु आज भी वे अपनी अनुपम कृतियों के लिए जाने जाते हैं। वहीं साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी’ द्वारा सम्मानित किया गया था।
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