Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi 2025: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है पराक्रम दिवस, 23 जनवरी को होता है आयोजन 

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Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi (1)

Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi 2025: नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक सच्चे देशभक्त और भारत के सबसे प्रेरक स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। अपने साहसिक नेतृत्व और जय हिंद के नारे के लिए जाने जाने वाले बोस ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के संस्थापक के रूप में उन्होंने अनगिनत व्यक्तियों को अपने देश के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। साहस, बलिदान और दृढ़ संकल्प से भरा उनका जीवन छात्रों को बड़े सपने देखने और अपने लक्ष्यों के लिए अथक परिश्रम करने के लिए प्रेरित करता है। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस ब्लाॅग में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi) के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।

Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindiमुख्य बिंदु
जयंती की तारीख23 जनवरी 2025
इतिहासनेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और ‘आजाद हिंद फौज’ के संस्थापक थे।
महत्वयह दिन नेताजी के साहस, नेतृत्व और बलिदान को याद करने का है, जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनकी विचारधारा युवाओं को प्रेरित करती है।
2025 की थीमएकता, शक्ति और देशभक्ति (Unity, Strength, and Patriotism)
मुख्य कार्यक्रमशैक्षणिक संस्थानों में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती 23 जनवरी को भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक की जयंती के सम्मान में मनाई जाती है। अपनी उग्र देशभक्ति और नेतृत्व के लिए जाने जाने वाले बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की स्थापना की। जय हिंद और तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा जैसे उनके प्रतिष्ठित नारे लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। यह दिन भारत की स्वतंत्रता के लिए उनकी दृष्टि, बलिदान और अटूट समर्पण को श्रद्धांजलि है।

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नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती का इतिहास क्या है?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को मनाई जाती है जो एक निडर देशभक्त और क्रांतिकारी नेता की विरासत का सम्मान करती है। 1897 में ओडिशा के कटक में जन्मे बोस ने अपना जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी और आज़ादी की लड़ाई के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का नेतृत्व किया। जय हिंद और तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा जैसे अपने नारों से लाखों लोगों को प्रेरित किया। 2021 में पहली बार आधिकारिक तौर पर पराक्रम दिवस ​​के रूप में मान्यता प्राप्त, यह दिन उनके अद्वितीय नेतृत्व, दूरदर्शिता और बलिदान का स्मरण करता है, जो भारत की स्वतंत्रता की यात्रा में उनकी अदम्य भावना की याद दिलाता है।

सुभाष चंद्र बोस जयंती कब मनाई जाती है?

यहां सुभाष सुभाष चंद्र बोस जयंती  (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi) कब मनाई जाती है के बारे में बताया जा रहा है-

  • सुभाष चंद्र जयन्ती को हर साल 23 जनवरी के दिन मनाया जाता है।  
  • 23 जनवरी 2025 को सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती मनाई जाएगी।  
  • सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

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सुभाष चंद्र बोस जयंती क्यों मनाई जाती है?

23 जनवरी को मनाई जाने वाली सुभाष चंद्र बोस की जयंती भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करती है। अपने साहस और नेतृत्व और भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के गठन के लिए जाने जाने वाले बोस के प्रयासों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों को एकजुट किया। उनके आदर्श और प्रसिद्ध नारे जय हिंद और तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं। यह दिन अब पराक्रम दिवस ​​के रूप में मनाया जाता है।

सुभाष चंद्र बोस जयंती का महत्व क्या है?

23 जनवरी को मनाई जाने वाली सुभाष चंद्र बोस की जयंती भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करती है। अपने साहस, नेतृत्व और भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के गठन के लिए जाने जाने वाले बोस के प्रयासों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों को एकजुट किया। यह दिन अब पराक्रम दिवस ​​के रूप में मनाया जाता है।

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2025 की थीम क्या है? (Subhash Chandra Bose Jayanti Theme 2025)

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2025 का विषय- एकता, शक्ति और देशभक्ति (Unity, Strength, and Patriotism) है। यह थीम नेताजी के देशभक्ति, साहस और एकता के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र को आकार देने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है। यह युवाओं को उनके आदर्शों को अपनाने, सामाजिक प्रगति की दिशा में काम करने और राष्ट्रीय विकास में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता है।

सुभाष चंद्र बोस जयंती कैसे मनाई जाती है?

नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi) मनाने के तरीके इस प्रकार हैं-

  • नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयन्ती के मौके पर उनकी प्रतिमा पर माला चढ़ाकर, राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। 
  • इस दिन स्कूलों कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 
  • पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और उड़ीसा सहित तीन राज्य भी सुभाष चंद्र बोस जयंती मनाने के लिए हर साल 23 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश घोषित करते हैं।  

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संक्षिप्त जीवन परिचय 

सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख और बड़े नेता थे। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था और अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। वास्तव में भारत को आज़ादी दिलवाने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बहुत बड़ा हाथ था। उनकी एक आवाज़ पर युवा अपना सब कुछ छोड़कर देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाते थे। ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 1945 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। 

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सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान है?

सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान है जोकि यहां बताया जा रहा है-

  • सुभाष चंद्र बोस ने पंडित नेहरू के साथ मिलकर कांग्रेस के लोकप्रिय युवा नेता के रूप में स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया।  
  • उन्होंने पूर्ण स्वराज का समर्थन किया।  
  • उन्होंने 1939 में कांग्रेस के भीतर एक गुट के रूप में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक बनाया 
  • द्वित्तीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों द्वारा ज़बरन भारतीयों के युद्ध में घसीटे जाने का विरोध किया।  
  • उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें नज़रबंद कर दिया लेकिन वर्ष 1941 में वे अफगानिस्तान और सोवियत संघ होते हुए जर्मनी चले गए। वहां जाकर उन्होंने हिटलर से मुलाक़ात की और उनसे अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में भारतीयों का साथ देने के लिए कहा।  
  • उन्होंने सिंगापुर में भारतीय युद्धबंधी सैनिकों को इकट्टठा करके आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की और देश की आज़ादी में बड़ा योगदान दिया।  
  • उनका नारा “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” सुनकर देश के अनेकों युवा देश के लिए अपने प्राण बलिदान करने के लिए तैयार हो जाते थे। 

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सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन (10 Lines on Subhash Chandra Bose in Hindi)

सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन (10 Lines on Subhash Chandra Bose in Hindi) इस प्रकार हैं-

  • सुभाष चंद्र बोस को नेताजी के नाम से भी जाना जाता है और वह भारत के एक महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे।
  • बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ था। नेताजी एक मेधावी छात्र थे और उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ना चुना।
  • बोस आत्मनिर्भरता में विश्वास करते थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया।
  • बोस का प्रसिद्ध नारा तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा लाखों लोगों को प्रेरित करता है।
  • नेताजी सुभाषचंद्र बोस 1938 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होंने पट्टाभि सीतारमैया, जिन्हें महात्मा गांधी का समर्थन प्राप्त था को हराया था। बाद में महात्मा गांधी से उनके विचार अलग हो गए और उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।  
  • द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर नेताजी बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई तेज़ कर दी जिसके कारण उन्हें घर में ही नज़रबंद कर दिया गया। लेकिन वे चालाकी से अंग्रेज़ों को बेवकूफ बनाकर जर्मनी चले गए और वहां से आज़ादी के लड़ाई जारी रखी।  
  • वर्ष 1941 में नेताजी बोस ने स्‍वतंत्र भारत केंद्र और स्‍वतंत्र भारत रेडियो की स्‍थापना की थी।  
  • नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आज़ाद हिन्द सरकार और फ़ौज का गठन किया। उन्होंने आज़ाद हिन्द बैंक की भी स्थापना की। इस बैंक का उद्देश्य अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए फंड जमा करना था। इस बैंक में भारत के लोगों के अलावा दुनिया के अन्य दस देशों ने भी दान दिया था। इन देशों में बर्मा, क्रोशिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान चीन), इटली, थाईलैंड, मंचूको, फिलीपींस और आयरलैंड आदि शामिल थे। ये देश खुद भी अंग्रेजों के गुलाम थे और उनके अत्याचारों से परेशान थे।   
  • नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने मात्र 19 साल की उम्र में भारत की सबसे कठिन परीक्षा आईएएस का एग्जाम क्वालीफाई कर लिया था और उन्होंने इस परीक्षा में पूरे भारत में चौथा स्थान प्राप्त किया था। 
  • ऐसा दावा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हो गई थी। परन्तु उनके समर्थक इस दावे को गलत मानते हुए दावा करते हैं कि नेताजी मरे नहीं थे बल्कि उस विमान के जलने पहले ही उसमें से कूद गए थे। वे इस दावे के पीछे की वजह वे नेताजी के शव का न मिलना मानते हैं। कई जाँच एजेंसियों को इस विषय में जांच करने का काम सौंपा जा चुका है लेकिन सभी एजेंसियों की रिपोर्ट नेताजी की मृत्यु पर एकमत नहीं दिखतीं। 
  • 1946 में आई फिगेस रिपोर्ट और शाह नवाज़ समिति (1956) की रिपोर्ट के मुताबिक बोस की मृत्यु ताइवान में प्लेन क्रैश में हो गई थी। 
  • लेकिन नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु की जांच कर रहे मुखर्जी आयोग ने 2005 की अपनी रिपोर्ट में विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु होने की बात से इंकार कर दिया। 

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नेताजी सुभाषचंद्र बोस के 10 अनमोल वचन 

यहाँ नेताजी सुभाषचंद्र बोस के कहे 10 अनमोल वचन दिए जा रहे हैं : 

  • अपनी शक्ति पर भरोसा रखो। दूसरे से उधार ली गई ताकत घातक होती है।  
  • अगर कभी झुकने की नौबत आए तो वीरों के आगे झुकना। 
  • अगर जीवन में संघर्ष न हो तो जीवन का आधा मज़ा ही ख़त्म हो जाता है।  
  • मेहनती आदमी से सफलता दूर ज़रूर हो सकती है लेकिन वह उसे एक दिन मिलती अवश्य है।  
  • महान बनने के लिए सनकी होना ज़रूरी है।  
  • सफलता हमेशा असफलता के सहारे ही खड़ी होती है। इसलिए असफलता से डरना नहीं चाहिए।  
  • याद रखिए सबसे बड़ा पाप अपराध सहना और गलत के साथ समझौता कर लेना है।  
  • संघर्ष ने मेरे अंदर वह साहस और आत्मविश्वास पैदा किया जो पहले कभी नहीं था। 
  • उच्च विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं। हमें निरंतर उच्च विचारों को सोचते रहना चाहिए।  
  • आशा के कोई न कोई किरण होती है जो हमें जीवन से भटकने नहीं देती। 

FAQs 

नेताजी सुभाष चंद्र की जयंती कब है?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को मनाई जाती है।  

नेता जी से जुड़े दो नारे कौन से हैं?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दो प्रसिद्ध नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” और इंकलाब ज़िंदाबाद हैं।  

सुभाष चंद्र बोस का जन्म क्यों मनाया जाता है? 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की देश के लिए निस्वार्थ सेवा का सम्मान करने और उन्हें याद करने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने हर साल 23 जनवरी को उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाना तय किया है। 

सुभाष चंद्र बोस जयंती का क्या महत्व है?

सुभाष चंद्र बोस जयंती का महत्व इस कारण है कि यह दिन हमें नेताजी के संघर्ष, साहस और समर्पण को याद करने का अवसर देता है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए देश की सेवा करें।

तुम मुझे खून दो नारा कब दिया?

सुभाष चंद्र बोस ने यह नारा 1940 के दशक में दिया था, जब उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की स्थापना की और भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

भाष चंद्र बोस से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

सुभाष चंद्र बोस से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि देश की स्वतंत्रता और कल्याण के लिए हमें अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ नायक बनकर काम करना चाहिए और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का मतलब क्या है?

इस नारे का मतलब था कि यदि लोग स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह से समर्पित हो जाएं और बलिदान देने को तैयार हों, तो वे भारत की आज़ादी को प्राप्त कर सकते हैं। यह नारा क्रांतिकारी मानसिकता को प्रेरित करता था।

सुभाष चंद्र बोस का प्रमुख चरित्र गुण क्या था?

सुभाष चंद्र बोस का प्रमुख चरित्र गुण था उनका दृढ़ संकल्प और देशभक्ति। उन्होंने हमेशा भारतीयों के लिए बेहतर भविष्य की कल्पना की और इसे साकार करने के लिए कठिन संघर्ष किया।

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