Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi: सुभाष चंद्र बोस देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे। उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जो आज भी एक मिसाल हैं। 23 जनवरी 2024 को देश उनकी 127वीं जयंती मनाई जा रही है। उनके सकारात्मक विचार और जोशीले सन्देश आज भी भारतवासियों को प्रेरित करते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रमी व्यक्तित्व के कारण ही उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।
This Blog Includes:
- सुभाष चंद्र बोस जयंती कब मनाई जाती है? (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi)
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संक्षिप्त जीवन परिचय
- सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान
- सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी रोचक बातें
- सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु
- कैसे मनाई जाती है नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi )
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस के 10 अनमोल वचन
- FAQs
सुभाष चंद्र बोस जयंती कब मनाई जाती है? (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi)
यहाँ सुभाष सुभाष चंद्र बोस जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi ) कब मनाई जाती है इस बारे में विस्तार से बताया जा रहा है :
- सुभाष चंद्र जयन्ती को हर साल 23 जनवरी के दिन मनाया जाता है।
- 23 जनवरी 2024 को सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाई जाएगी।
- सुभाष चंद्र बोस की जयंती को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संक्षिप्त जीवन परिचय
सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख और बड़े नेता थे। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था और अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। वास्तव में भारत को आज़ादी दिलवाने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बहुत बड़ा हाथ था। उनकी एक आवाज़ पर युवा अपना सब कुछ छोड़कर देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाते थे। ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 1945 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी।
सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान
- सुभाष चंद्र बोस ने पंडित नेहरू के साथ मिलकर कांग्रेस के लोकप्रिय युवा नेता के रूप में स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया।
- उन्होंने पूर्ण स्वराज का समर्थन किया।
- उन्होंने 1939 में कांग्रेस के भीतर एक गुट के रूप में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक बनाया
- द्वित्तीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों द्वारा ज़बरन भारतीयों के युद्ध में घसीटे जाने का विरोध किया।
- उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें नज़रबंद कर दिया लेकिन वर्ष 1941 में वे अफगानिस्तान और सोवियत संघ होते हुए जर्मनी चले गए। वहां जाकर उन्होंने हिटलर से मुलाक़ात की और उनसे अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में भारतीयों का साथ देने के लिए कहा।
- उन्होंने सिंगापुर में भारतीय युद्धबंधी सैनिकों को इकट्टठा करके आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की और देश की आज़ादी में बड़ा योगदान दिया।
- उनका नारा “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” सुनकर देश के अनेकों युवा देश के लिए अपने प्राण बलिदान करने के लिए तैयार हो जाते थे।
सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी रोचक बातें
यहाँ सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी रोचक बातें बताई जा रही हैं :
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस 1938 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होंने पट्टाभि सीतारमैया, जिन्हें महात्मा गांधी का समर्थन प्राप्त था को हराया था। बाद में महात्मा गांधी से उनके विचार अलग हो गए और उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
- द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर नेताजी बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई तेज़ कर दी जिसके कारण उन्हें घर में ही नज़रबंद कर दिया गया। लेकिन वे चालाकी से अंग्रेज़ों को बेवकूफ बनाकर जर्मनी चले गए और वहां से आज़ादी के लड़ाई जारी रखी।
- वर्ष 1941 में नेताजी बोस ने स्वतंत्र भारत केंद्र और स्वतंत्र भारत रेडियो की स्थापना की थी।
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आज़ाद हिन्द सरकार और फ़ौज का गठन किया। उन्होंने आज़ाद हिन्द बैंक की भी स्थापना की। इस बैंक का उद्देश्य अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए फंड जमा करना था। इस बैंक में भारत के लोगों के अलावा दुनिया के अन्य दस देशों ने भी दान दिया था। इन देशों में बर्मा, क्रोशिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान चीन), इटली, थाईलैंड, मंचूको, फिलीपींस और आयरलैंड आदि शामिल थे। ये देश खुद भी अंग्रेजों के गुलाम थे और उनके अत्याचारों से परेशान थे।
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने मात्र 19 साल की उम्र में भारत की सबसे कठिन परीक्षा आईएएस का एग्जाम क्वालीफाई कर लिया था और उन्होंने इस परीक्षा में पूरे भारत में चौथा स्थान प्राप्त किया था।
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु
- ऐसा दावा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हो गई थी। परन्तु उनके समर्थक इस दावे को गलत मानते हुए दावा करते हैं कि नेताजी मरे नहीं थे बल्कि उस विमान के जलने पहले ही उसमें से कूद गए थे। वे इस दावे के पीछे की वजह वे नेताजी के शव का न मिलना मानते हैं।
- कई जाँच एजेंसियों को इस विषय में जांच करने का काम सौंपा जा चुका है लेकिन सभी एजेंसियों की रिपोर्ट नेताजी की मृत्यु पर एकमत नहीं दिखतीं।
- 1946 में आई फिगेस रिपोर्ट और शाह नवाज़ समिति (1956) की रिपोर्ट के मुताबिक बोस की मृत्यु ताइवान में प्लेन क्रैश में हो गई थी।
- लेकिन नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु की जांच कर रहे मुखर्जी आयोग ने 2005 की अपनी रिपोर्ट में विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु होने की बात से इंकार कर दिया।
कैसे मनाई जाती है नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi )
नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti in Hindi ) निम्नलिखित रूप से मनाई जाती है :
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयन्ती के मौके पर उनकी प्रतिमा पर माला चढ़ाकर, राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
- इस दिन स्कूलों कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और उड़ीसा सहित तीन राज्य भी सुभाष चंद्र बोस जयंती मनाने के लिए हर साल 23 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश घोषित करते हैं।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के 10 अनमोल वचन
यहाँ नेताजी सुभाषचंद्र बोस के कहे 10 अनमोल वचन दिए जा रहे हैं :
- अपनी शक्ति पर भरोसा रखो। दूसरे से उधार ली गई ताकत घातक होती है।
- अगर कभी झुकने की नौबत आए तो वीरों के आगे झुकना।
- अगर जीवन में संघर्ष न हो तो जीवन का आधा मज़ा ही ख़त्म हो जाता है।
- मेहनती आदमी से सफलता दूर ज़रूर हो सकती है लेकिन वह उसे एक दिन मिलती अवश्य है।
- महान बनने के लिए सनकी होना ज़रूरी है।
- सफलता हमेशा असफलता के सहारे ही खड़ी होती है। इसलिए असफलता से डरना नहीं चाहिए।
- याद रखिए सबसे बड़ा पाप अपराध सहना और गलत के साथ समझौता कर लेना है।
- संघर्ष ने मेरे अंदर वह साहस और आत्मविश्वास पैदा किया जो पहले कभी नहीं था।
- उच्च विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं। हमें निरंतर उच्च विचारों को सोचते रहना चाहिए।
- आशा के कोई न कोई किरण होती है जो हमें जीवन से भटकने नहीं देती।
FAQs
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को मनाई जाती है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दो प्रसिद्ध नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” और इंकलाब ज़िंदाबाद हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की देश के लिए निस्वार्थ सेवा का सम्मान करने और उन्हें याद करने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने हर साल 23 जनवरी को उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाना तय किया है।
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