कार्ल मार्क्स के विचार क्या हैं?

1 minute read
कार्ल मार्क्स के विचार

कार्ल मार्क्स जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार, समाजशास्त्री, पत्रकार और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता थे। इनका पूरा नाम कार्ल हेनरिख मार्क्स था और इनका जन्म 5 मई 1818 को त्रेवेस के एक यहूदी परिवार में हुआ था। 1824 में मार्क्स के परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। कार्ल मार्क्स के विचारों के बारे में अक्सर स्टूडेंट्स को बताया जाता है। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम कार्ल मार्क्स के विचार के बारे में जानेंगे। 

कार्ल मार्क्स के बारे में 

कार्ल मार्क्स का जन्म प्रशिया के राइन प्रांत के ट्रियर नगर में 5 मई, 1818 को हुआ था। मार्क्स के पिता एक वकील थे एवं उनकी प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय स्कूल जिमनेजियम में पूरी हुई। जिसके बाद बोन विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की शिक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात् बर्लिन विश्वविद्यालय से दर्शन एवं इतिहास का अध्ययन किया और जेना विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की।

कार्ल मार्क्स एक जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार और पत्रकार थे जो एक कट्टरपंथी राजनीतिक सिद्धांतकार और समाजवादी क्रांतिकारी के रूप में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। साथी सिद्धांतकार और परोपकारी फ्रेडरिक एंगेल्स के सहयोग से मार्क्स ने 1848 में “द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो” प्रकाशित किया, जो साम्यवाद का आधार बना। उनके लेखन का व्यापक रूप से अध्ययन किया जाता है और उन्होंने दशकों से क्रांतिकारी आंदोलनों और राजनीतिक शासनों को प्रभावित किया है, खासकर 20 वीं शताब्दी के दौरान।

कार्ल मार्क्स के विचार

कार्ल मार्क्स के विचार नीचे दिए गए  हैं : 

  • “नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है।”
  • “इंसान अपना खुदका इतिहास बना सकता है लेकिन वह जैसा चाहता है उसे वैसा नही बना सकता।”
  • “मानसिक पीड़ा में शारीरिक दर्द भी होता है।”
  • “ज़रुरत तब तक अंधी होती है जब तक उसे होश न आ जाये। आज़ादी ज़रुरत की चेतना होती है।”
  • “इतिहास खुद को दोहराता है, पहले एक त्रासदी की तरह और दूसरा एक मज़ाक की तरह।”
  • “कारण का हमेशा अस्तित्व होता है लेकिन इसका कारण हमेशा कारण ही नही होता।”
  • “जमींदार, अन्य सभी पुरुषों की तरह वहां से फसल काटना पसंद करते हैं जहां उन्होंने कभी बीज नहीं बोया।”
  • “अनुभव उसी की प्रशंसा करता है जो सबसे ज्यादा खुश होता है जिसने सबसे ज्यादा लोगों को खुश किया।” 
  • “प्रत्येक युग में शासक वर्ग के विचार ही शासक विचार होते हैं, अर्थात जो वर्ग समाज की शासक भौतिक शक्ति है, वह उसी समय उसकी शासक बौद्धिक शक्ति भी है।”
  • “प्रकृति के नियमों को पार करना बिल्कुल असंभव है। ऐतिहासिक रूप से भिन्न परिस्थितियों में जो बदल सकता है वह केवल वह रूप है जिसमें ये कानून स्वयं को उजागर करते हैं। 
  • “पुरुष अपना इतिहास स्वयं बनाते हैं।” 
  • अपने आप को ऐसे लोगों से घेरें जो आपको खुश करते हैं। वे लोग जो आपको हँसाते हैं, जो ज़रूरत पड़ने पर आपकी मदद करते हैं। जो लोग वास्तव में परवाह करते हैं। वे ही आपके जीवन में रखने लायक हैं। बाकी सभी लोग बस गुजर रहे हैं।

FAQs 

कार्ल मार्क्स का जन्म कब हुआ था?

कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 में हुआ था। 

कार्ल मार्क्स का निधन कब हुआ था?

कार्ल मार्क्स का निधन 14 मार्च 1883 में हुआ था। 

कार्ल मार्क्स का पूरा नाम क्या था?

कार्ल मार्क्स का पूरा नाम पूरा नाम कार्ल हेनरिख मार्क्स था। 

कार्ल मार्क्स का कौन है?

कार्ल मार्क्स 19वीं शताब्दी के दौरान एक जर्मन दार्शनिक थे। उन्होंने मुख्य रूप से राजनीतिक दर्शन के क्षेत्र में काम किया और साम्यवाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। 

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको कार्ल मार्क्स के विचार पता चले होंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*