‘मैसूर के शेर’ टीपू सुल्तान जिनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। बच्चों के लिए टीपू सुल्तान वीरता, साहस, धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति की मिसाल हैं जो ना केवल पालकी की जगह पैदल चलना पसंद करते थे बल्कि मुस्लिम होने के बावजूद भी पंडितों से विचार विमर्श करते थे। उनके इन्हीं गुणों का सम्मान करने और स्कूल में बच्चों को अच्छी सीख देने के लिए 4 मई को इनकी पुण्यतिथि पर टीपू सुल्तान पर भाषण देने के लिए कहा जाता है, अगर आप अपने स्कूल में टीपू सुल्तान पर स्पीच देने के लिए तैयारी कर रहे हैं तो, ये लेख आपके लिए है। यहाँ आपको टीपू सुल्तान पर भाषण (Tipu Sultan Speech in Hindi) 100, 200 और 500 शब्दों में दिया गया है।
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टीपू सुल्तान का संक्षिप्त परिचय
आईये सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर टीपू सुल्तान कौन थे? टीपू सुल्तान एक ऐसे महान शासक थे जिन्होंने अपने जीवन से हमें अनेक प्रेरणाएँ दी हैं। अपनी वीरता का परिचय देने वाले टीपू सुल्तान का जन्म का जन्म 20 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था। टीपू सुल्तान का पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। उनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सेनापति हुआ करते थे और उनकी माता का नाम फातिमा फखरूनिशा था। हैदर अली कई लंबे समय तक मैसूर साम्राज्य के सेनापति रहे थे और बाद में अपनी ताकत के बल पर इन्होंने मैसूर राज्य के शासन को अपने हाथों में ले लिया था और इस राज्य के राजा बन गए थे। हैदर अली ने टीपू सुल्तान को बहुत छोटी उम्र से ही युद्ध कला का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था। टीपू सुल्तान ने भी बचपन से ही अपने पिता के सैन्य कार्यक्रमों में जाना शुरू कर दिया था। वर्ष 1782 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, 32 साल की आयु में टीपू मैसूर के शासक बने।
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100 शब्दों में ऐसे दें टीपू सुल्तान पर भाषण
आप 100 शब्दों में टीपू सुल्तान पर भाषण (Tipu Sultan Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते है :
नमस्कार दोस्तों,
आज हम बात करेंगे भारतीय इतिहास के एक ऐसे वीर योद्धा की जिन्होंने अपनी वीरता, सादगी और कुशलता से इतिहास में अपना अपना स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवाया। मैसूर के टाइगर नाम से प्रसिद्ध टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर 1750 में देवनहल्ली, बेंगलुरु में हुआ था। टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली, मैसूर के शासक थे। वर्ष 1782 में जब उनकी मृत्यु हुई तो टीपू सुल्तान मैसूर के शासक बने और उन्होंने अपने शासनकाल में मैसूर को एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य बनाया, किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं शुरू की, शिक्षा एवं संस्कृति को बढ़ावा दिया।
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200 शब्दों में ऐसे दें टीपू सुल्तान पर भाषण
आप 200 शब्दों में टीपू सुल्तान पर भाषण (Tipu Sultan Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते है :
नमस्कार दोस्तों,
आज हम 18वीं शताब्दी के वीर शासक टीपू सुल्तान के बारे में जानेंगे। मैसूर के टाइगर के नाम से प्रसिद्ध टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फातिमा फखरूनिशा था। टीपू के पिता उस समय मैसूर साम्राज्य के राजा हुआ करते थे। ऐसे में उन्होंने अपने पुत्र टीपू सुल्तान को भी कम उम्र से ही युद्ध कला का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था। टीपू युद्ध कला में इतने माहिर हो गए थे कि उन्होंने बचपन से ही अपने पिता के साथ सैन्य कार्यक्रमों में जाना शुरू कर दिया था। जब 1782 में हैदर अली की मृत्यु हुई तो टीपू सुल्तान ने 32 साल की आयु में अपने पिता की गद्दी को संभाला और मैसूर के शासक बन गए। एक कुशल शासक के रूप में उन्होंने मैसूर को एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य बनाया, किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं शुरू की, शिक्षा एवं संस्कृति को बढ़ावा दिया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई युद्ध लड़े लेकिन तीसरे युद्ध यानी मैसूर युद्ध में 4 मई 1799 को वे वीरगति को प्राप्त हो गए। हर साल 4 मई को टीपू सुल्तान की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।
500 शब्दों में ऐसे दें टीपू सुल्तान पर भाषण
आप 500 शब्दों में टीपू सुल्तान पर भाषण (Tipu Sultan Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते है :
स्पीच की शुरुआत में
माननीय अतिथिगण, शिक्षक वर्ग और मेरे सहपाठियों
आज 4 मई है। हम सब यहाँ टीपू सुल्तान की पुण्यतिथि पर एकत्र हुए हैं। टीपू सुलतान मैसूर के एक ऐसे प्रतापी शासक, कुशल सेनापति और प्रेरणादायी व्यक्ति थे जिनको दुनिया आज भी याद करती है। नमस्कार मेरा नाम …….. है और मै कक्षा ….. का/की छात्र/छात्रा हूँ। आज टीपू सुल्तान की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आप सभी को इस दिन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहता/चाहती हूँ। हम सभी को आज के दिन के बारे में जानकारी होनी आवश्यक है।
टीपू सुल्तान का प्रारंभिक जीवन
टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर 1750 को देवनहल्ली, बेंगलुरु में हुआ था। टीपू सुल्तान के पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फातिमा फखरूनिशा था। टीपू सुल्तान को बचपन से ही हिंदी, उर्दू अमित कई भाषाओं के ज्ञान के साथ-साथ न्यायशास्त्र, घुड़सवारी, निशानेबाजी और तलवारबाजी आदि की भी शिक्षा दी गई थी। इतने अच्छी तरह से शिक्षित होने के साथ साथ वह एक धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे। वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे। मुस्लिम होने के वावजूद भी वह हिन्दू पंडितों से विचार विमर्श करते थे। वहीं मात्र 15 साल में ही वह युद्ध कला में निपुण हो गए थे कि उन्होंने 1766 में ब्रिटिश के खिलाफ हुई मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता के साथ संघर्ष किया था और अपनी कौशल क्षमता और बहादुरी से जीत हासिल की। कुछ समय बाद उनके पिता की मृत्यु हो गयी और वह मैसूर सम्राज्य के शासक बन गए। वहीं इसी दौरान उनका विवाह सिंध सुल्तान के साथ हुआ। हालांकि इसके बाद उन्होंने कई और भी शादियां की। उनके अपनी अलग-अलग बेगमों से कई बच्चे भी हुए।
टीपू सुल्तान का इतिहास – Tipu Sultan History in Hindi
देश पर मर मिटने वाले टीपू सुल्तान मैसूर के शासक बनने के बाद अपने राज्य के विकास और विस्तार के लिए कई काम किए थे। उन्होंने अपने शासन काल में तीन बड़े युद्ध लड़े और तीसरे युद्ध में वे वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने पहला युद्ध 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेज़ों के खिलाफ जीता। इस तरह उन्होंने अंग्रेजों को कई बार युद्ध में हराया था। लेकिन 4 मई साल 1799 में मैसूर का शेर श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। इसके बाद इनके शव को मैसूर के श्रीरंगपट्टनम में दफन किया गया। ये भी कहा जाता है कि टीपू सुलतान की तलवार को ब्रिटशर्स ब्रिटेन ले गए थे जिसे बाद में भारत के व्यापारी विजय माल्या ने एक नीलामी में खरीद लिया।
स्पीच के अंत में
टीपू सुल्तान का जीवन वीरता, साहस और कुशलता का एक उदाहरण है। हमने उनके जीवन से सीख लेकर अपने जीवन में अपनाना चाहिए। वीरता और सहस के साथ हमें अपने जीवन की सभी चुनौतियों का डटकर सामना करना चाहिए।
टीपू सुल्तान पर भाषण तैयार करने के टिप्स
टीपू सुल्तान पर स्पीच तैयार करने के टिप्स निम्नलिखित है :
- सबसे पहले टीपू सुल्तान से जुड़े सभी फैक्ट और जानकारी इक्कठा कर लें।
- फिर उन्हें अच्छी तरह से फ्रेम करें और स्पीच को लिखित रूप में में तैयार करें।
- अपने भाषण की शुरुआत, टीपू सुल्तान के बारे में, टीपू सुल्तान का इतिहास (Tipu Sultan History in Hindi), उनकी उपलब्धियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
- स्पीच लिखते समय शब्दों का सही चयन करें।
- समय का ध्यान रखें और अपने भाषण को निर्धारित समय सीमा के अंदर पूरा करें।
- स्पीच देने से पहले लेखन को अच्छी तरह पढ़ लें।
- स्पीच की शुरुआत आप कविताओं और कोट्स से भी कर सकते हैं।
- अपनी स्पीच के अंत में श्रोताओं का शुक्रिया अदा करना न भूलें।
टीपू सुल्तान से जुड़े रोचक तथ्य
टीपू सुल्तान से जुड़े रोचक तथ्य इस प्रकार से है :
- मात्र 15 साल की उम्र में टीपू सुलतान ने ब्रिटिश के खिलाफ मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता का साथ दिया था।
- टीपू सुलतान के शासन काल में तीन बड़े युद्ध हुए हैं और तीसरे युद्ध में वे वीरगति को प्राप्त हो गए।
- टीपू सुलतान की तलवार को “टाइगर सॉर्ड” के नाम से भी जाना जाता है।
- उनकी तलवार का वजन लगभग 7 किलो 400 ग्राम है और उनकी तलवार पर सोने और चांदी से जड़ित बाघ बना हुआ है। टीपू सुल्तान को बागवानी का काफी शौक था।
- टीपू सुल्तान के 16 पुत्र थे।
- टीपू सुल्तान को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा “दुनिया के पहले युद्ध रॉकेट के जनक” की उपाधि दी गयी थी।
- टीपू सुल्तान के नाम पर ये भी तथ्य मशहूर है कि टीपू ‘राम’ नाम की अंगूठी पहनते थे, वहीं उनकी मौत के बाद उनकी ये अंगूठी अंग्रेजों ने उतार ली थी और इसे भी वे अपने साथ ले गए थे।
FAQs
टीपू सुल्तान की तलवार पर एक शिलालेख भी है जिस पर लिखा है, “शासक की तलवार।” बता दें कि टीपू सुल्तान को ‘टाइगर ऑफ मैसूर’ के नाम से जाना जाता था।
टीपू सुलतान ने अपने शासनकाल में तीन युद्ध लड़े थे।
टीपू सुल्तान ( सुल्तान फतेह अली साहब टीपू ; 1 दिसंबर 1751 – 4 मई 1799) को शेर-ए-मैसूर या “मैसूर का बाघ” के नाम से जाना जाता है। वह मैसूर साम्राज्य के भारतीय मुस्लिम शासक थे।
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