यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा हर साल इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसेज के लिए भर्ती निकाली जाती हैं। IAS को भारत में सबसे प्रतिष्ठित पोस्ट में से एक माना जाता है। UPSC की तैयारी के लिए अधिक से अधिक राज्य सरकारें अपने यूपीएससी कोचिंग सेंटर चला रही हैं।
राज्य सरकारें ये इंस्टिट्यूट या कोचिंग सेंटर बिजनेस के रूप में नहीं, बल्कि कैंडिडेट्स में डाइवर्सिटी लाने के लिए चला रही हैं। सेवारत आईएएस अधिकारियों द्वारा पढ़ाए जाने और फ्री स्टडी मटीरियल देने के बदले स्टूडेंट्स से कोई फीस नहीं ली जाती है।
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन कोचिंग के काम में प्रवेश करने वाला उत्तर प्रदेश पहला स्टेट नहीं है बल्कि महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान और केरल समेत भारत के 10 से अधिक स्टेट कम फीस लेकर कोचिंग सेंटर चला रहे हैं या स्टूडेंट्स को योग्यता के आधार पर स्काॅलरशिप दे रहे हैं, जिससे उनकी तैयारी में कोई कमी न रह सके।
यूपी के हर डिस्ट्रिक में फ्री कोचिंग सेंटर
ओडिशा सरकार 200 कैंडिडेट्स को मुफ्त यूपीएससी कोचिंग प्रदान कर रही है। अच्छे शिक्षक प्राप्त करना राज्य सरकारों के लिए चुनौती बन रहा है, लेकिन इसके बाद भी अभ्युदय योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी के हर डिस्ट्रिक में फ्री कोचिंग सेंटर स्टार्ट किए हैं। 75 सेंटरर्स में से वर्तमान में 70 स्टार्ट हैं और फिजिकल क्लासेज आयोजित करते हैं।
दो प्रकार के माॅडल का हो रहा इस्तेमाल
लगभग हर राज्य दो प्रकार के मॉडल का इस्तेमाल करते हैं। एक जहां सरकार की ओर से संचालित इंस्टिट्यूट में स्टूडेंट्स के लिए मुफ्त या सब्सिडी वाली कोचिंग दी जाती है और दूसरा, जहां प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट में एक स्टूडेंट की फीस सरकार द्वारा दी जाती है।
सत्येंद्र नाथ टैगोर सिविल सर्विसेज स्टडी सेंटर में महीने की फीस INR 500
पश्चिम बंगाल में स्टूडेंट्स से बहुत कम रुपये लिए जाते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा 2014 में शुरू किए गए सत्येंद्र नाथ टैगोर सिविल सर्विसेज स्टडी सेंटर में लगभग सालभर के पाठ्यक्रम के लिए उन बच्चों से INR 500 से 1,000 प्रति महीने लिए जाते हैं, जिन्हें हॉस्टल सुविधा दी जाती है। महाराष्ट्र और बंगाल जैसे अपने स्वयं के सेंटर चलाने वाले स्टेट्स में यूपीएससी प्री के समान प्रवेश परीक्षाएं होती हैं।
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