जानिए क्या था सोने की लंका का इतिहास और सोने की लंका कहां पर है?

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सोने की लंका का इतिहास

रामायण में रावण की लंका सोने की बनी थी। ऐसा कहा जाता है अंगद जब लंका में अपने बल का परिचय और रावण को राम की सेना से सचेत करने गए थे तो उन्होंने वापस राम के पास आकर सबको लंका के बारे में समाचार दिया था। वहीं जब हनुमान जी भी लंका में गए थे तो उन्होंने ने भी आकर यही कहा था। आखिर सोने की लंका का इतिहास क्या था और सोने की लंका कहां पर है, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

सोने की लंका का इतिहास

सोने की लंका एक अत्यंत आकर्षित और विशाल महल था। ऐसा कहा जाता है कि इसे शिवजी ने पार्वती के कहने पर विश्वकर्मा से बनवाया गया था। रावण की नजर जब इस भव्य और विशाल सोने के महल पर पड़ी तो इसे पाने के लिए वो लालसा से भर गया था। ऐसा करने के लिए उसने लंका को अपना हर संभव प्रयास किया था। स्वर्णीय लंका को अपना बनाने के लिए रावण ने एक ब्राह्मण का भेस बनाया और पहुँच गया भगवान शिव के पास। उसने शिव से बात की और बहुत देर तक गहन चर्चा और तर्क-वितर्क करने के बाद भगवान शिव ने सोने की लंका उसे दे दी। वहीं ऐसा भी है कि रावण भगवान शिव का बड़ी मात्रा में भक्त था तो इससे काफी प्रभावित होकर शंकर भगवान ने उसे स्वर्णीय लंका भेंट में दे दी। अब रावण जो चाहता था वह उसे मिला गया था। वहीं दूसरी ओर इतिहासकारों का यह भी कहना है कि रावण ने कुबेर से लंका छीन ली थी।

सोने की लंका कहां पर है?

रामायण में सोने की लंका से ही लंका की पहचान थी। आधुनिक युग में समय के विस्तार के साथ लंका को श्रीलंका का नाम दिया गया है। श्रीलंका भारत के दक्षिण छोर से मात्र 38-40 किलोमीटर दूर स्थित है।

राम और रावण युद्ध के क्या थे कारण?

रामायण में राम और रावण युद्ध का मुख्य कारण था रावण का सीता को छल-कपट से अगवा करके ले जाना। इसके लिए राम और रावण की सेना में भीषण युद्ध हुआ और आखिर में राम की सेना की जीत हुई।

कैसे हुआ माँ सीता का रावण द्वारा अपहरण और कैसे राम की सेना ने जीती लंका

यह सब तब शुरू हुआ था जब रावण ने सीता के लिए पहले से ही रेकी करके रखी थी, जिसने बाद में उसे बड़े सावधानी से अंजाम दिया था। रावण ने अपने मामा मारीच के साथ इस कार्य को अंजाम दिया था। रावण जब राम और सीता की कुटिया पहुंचा तो उसने देखा की यहां किसी तरह की तिलस्मी रेखा खींची गई है, वह समझ गया कि इसे सीता की सुरक्षा के लिए अंजाम दिया गया है, उसने उसके बाद एक भिक्षु का रूप धारण किया और सीता को भिक्षा देने के लिए पुकारा। सीता ने उस रेखा को पार किया, जिसे लक्ष्मण रेखा कहते हैं, उसके बाद रावण उस रेखा के अंदर आ गया। सीता रावण के उस रूप को भिक्षा देने के लिए वापस उसके लिए कुछ भोजन लेने चली गई जिसके बाद रावण ने उनको अगवा कर लिया।

राम ने रावण को सीता को अगवा अपने यान में ले जाते हुए देखा तो उन्होंने सीता को लक्ष्मण के साथ ढूंढने का कार्य करना शुरू कर दिया। ऐसे ही कुछ दिन उन दोनों ने सीता को जगह-जगह ढूंढा। उसके बाद उन दोनों की मुलाकात भगवान हनुमान से किष्किंधा में हुई। उसके बाद हनुमान जी ने उन्हें सुग्रीव से मिलाया। सुग्रीव ने उन्हें किष्किंधा नरेश बाली से उनकी गद्दी वापस सुग्रीव को देने के लिए कहा। राम और सुग्रीव ने बाली को हरा दिया और सुग्रीव को वापस उसकी गद्दी उसे दे दी। उसके बाद शुरू हुआ मां सीता को ढूंढने का असली सफर। कुछ दिन हनुमान जी को जानकारी मिली मां सीता का अपहरण करके रावण उन्हें अपने नगरी लंका ले गया है।

लंका से कुछ दूरी शेष रहते उन्हें विशाल समुद्र दिखा। समुद्र को लंका जाने के लिए हर संभव पार करना था। ऐसे में उन्हें सलाह दी गई की समुद्र में पत्थर डाले जाएं जिससे सेना आगे का सफर तय कर पाए। पत्थर को समुद्र में डालने पर वह डूब रहे थे। ऐसे में जामवंत ने सलाह दी कि पत्थर पर श्री राम लिख कर डालने से पत्थर समुद्र में नहीं डूबेगा। लेकिन वह तब भी नहीं समुद्र में नहीं ठहरे। ऐसे में वानर सेना के 2 जवान जिन्हें वरदान प्राप्त था उन्होंने प्रयास किया, इन दोनों के नाम थे नल और नील। इन दोनों ने जब प्रयास किया तो पत्थर पानी में तैरने लगे। इसके बाद शुरू हुआ रामसेतु बनाने का सफर।

जब रामसेतु बन गया तो सेना लंका की और आगे बढ़ी और राम की रावण से मुलाकात हुई। इसके बाद युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध में रावण के पुत्र, भाई कुम्भकरण की मौत के साथ उसके कई अनगिनत सैनिकों की भी मौत हुई। आखिर में राम की जीत हुई और मां सीता के राम उन्हें लेकर वापस अयोध्या चले गए।

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FAQs

सोने की लंका का इतिहास क्या है?

सोने की लंका एक अत्यंत आकर्षित और विशाल महल था। ऐसा कहा जाता है कि इसे शिवजी ने पार्वती के कहने पर विश्वकर्मा से बनवाया गया था।

सोने की लंका कहां पर है?

रामायण में सोने की लंका से ही लंका की पहचान थी। आधुनिक युग में समय के विस्तार के साथ लंका को श्रीलंका का नाम दिया गया है। श्रीलंका भारत के दक्षिण छोर से मात्र 38-40 किलोमीटर दूर स्थित है।

राम और रावण युद्ध के क्या थे कारण?

रामायण में राम और रावण युद्ध का मुख्य कारण था रावण का सीता को छल-कपट से अगवा करके ले जाना। इसके लिए राम और रावण की सेना में भीषण युद्ध हुआ और आखिर में राम की सेना की जीत हुई।

आशा है कि इस ब्लॉग से आपको सोने की लंका का इतिहास, सोने की लंका कहां पर है के बारे में जानकारी मिली होगी। इंडियन माइथोलोजी के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए Leverage Edu के साथ।

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