साका एक प्रकार का जौहर ही होता है। किसी भी हमले की आशंका को देखते हुए जब रानियां और राज परिवार की औरतें जलती हुई आग के कुँए में कूदकर स्वयं के प्राण त्याग देती थीं। ऐसा वे शत्रु से अपने सम्मान की रक्षा के लिए करती थीं। राजस्थान के साकों के बारे में प्राय : प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछ लिया जाता है। यहाँ सिवाना का दूसरा साका कब हुआ? इस बारे में बताया जा रहा है।
साका क्या होता है?
साका राजस्थान की एक प्रसिद्ध प्रथा है, जिसमें महिलाओं को जौहर की ज्वाला में कूदने का निश्चय करते देख पुरुष केसरिया वस्त्र धारण कर मरने मारने के निश्चय के साथ दुश्मन सेना पर टूट पड़ते थे।
सिवाना का दूसरा साका कब हुआ?
सिवाना का दूसरा साका अकबर के शासन के समय में सन 1534-35 में हुआ था। जब राजा उदय सिंह ने अपनी सेना के साथ अकबर की सेना की मदद से सिवाना के राजा वीर कल्ला राठौर के किले पर हमला बोल दिया। तब सिवाना के राजा वीर कल्ला राठौर ने भीषण युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की थी। उनके जाने के बाद उनकी रानियों ने आग में कूदकर जौहर कर लिया था।
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सिवाना के किले से जुड़े रोचक तथ्य
यहाँ सिवाना के किले से जुड़े रोचक तथ्य दिए जा रहे हैं :
- सिवाना का किला 54 मीटर ऊंचे हल्देश्वर पर्वत पर स्थित है।
- यह किला चारो तरफ से रेत से घिरा हुआ है।
- इसके साथ ही पूर्व से पश्चिम तक लगभग 48 मील तक छप्पन पहाड़ों की श्रृंखला फैली हुई है।
- सिवाना के किले में सिवाना के राजा कल्ला राठौर और उनके शत्रु उदय सिंह दोनों की कब्रें बनी हुई हैं।
- किले के दूसरे दरवाजे पर दोनों तरफ शिलालेख लगे हुए हैं, जिसमें दाहिनी ओर का शिलालेख राव मालदेव की सिवाना किले पर विजय का सूचक है।
उम्मीद है कि इस ब्लॉग में आपको सिवाना का दूसरा साका कब हुआ? इसके बारे में जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही अन्य रोचक और महत्वपूर्ण ब्लॉग पढ़ने के लिए बने रहिये Leverage Edu के साथ बने रहिए।
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प्रिय पाठक,
कमेंट करने के लिए धन्यवाद। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विश्व प्रतिष्ठित वेबसाइट विकिपीडिया के अनुसार राजस्थान का दूसरा साका वर्ष 1534-35 में हुआ था। आप चाहे तो विकिपीडिया पर जाकर देख सकती हैं। इसी प्रकार के अन्य महत्वपूर्ण ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट के साथ जुड़े रहें।
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2 comments
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