Sangya Aur Sarvnam Ki Paribhasha: प्रिय विद्यार्थियों संज्ञा और सर्वनाम दोनों ही हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषय है। बताना चाहेंगे स्कूली परीक्षाओं के अलावा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में संज्ञा और सर्वनाम (Sangya Aur Sarvnam) से संबंधित प्रश्न अकसर पूछे जाते हैं। इसलिए इस लेख में संज्ञा और सर्वनाम की परिभाषा और संज्ञा और सर्वनाम के भेद को बहुत सरल और क्रमबद्ध तरीके से बताया गया है।
संज्ञा की परिभाषा
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, प्राणी, गुण, धर्म, भाव आदि का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा का अर्थ है नाम। इस प्रकार नाम वाले शब्द संज्ञा कहलाते हैं। बताना चाहेंगे कुछ संज्ञा शब्द प्राणीवाचक होते हैं और कुछ अप्राणिवाचक। अंशुल, हाथी, मोर आदि प्राणीवाचक हैं और मेज, पुस्तक, नदी, हिमालय आदि अप्राणिवाचक हैं।
वहीं कुछ संज्ञाओं को गिना जा सकता है। इन्हें गणनीय संज्ञाएँ कहते हैं; जैसे कुर्सी, मनुष्य, बंदर। जबकि कुछ संज्ञाओं को गिना नहीं जा सकता। इन्हें अगणीय संज्ञाएँ कहते हैं; जैसे तारे, आग, सच्चाई, वायु, हवा आदि।
संज्ञा के भेद
संज्ञा के पांच भेद माने जाते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा
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सर्वनाम की परिभाषा
संज्ञा के स्थान पर जिस पद का प्रयोग किया जाता है वह सर्वनाम (Sarvnam) होता हैं। अंत: जिस शब्द या पद का प्रयोग सभी प्रकार के नामों अर्थात् संज्ञाओं के लिए अथवा उनके स्थान पर होता है, उसे सर्वनाम कहते हैं। बता दें कि भाषा में सहजता, स्वाभाविकता, सुंदरता तथा सरलता लाने के लिए सर्वनाम का प्रयोग होता है। इसमें बोलने वाले व्यक्ति के नाम के स्थान पर ‘मैं’, ‘हम’ सर्वनामों का प्रयोग होता है। वहीं जिस व्यक्ति से बात की जा रही है, उसके नाम के स्थान पर ‘तू’, ‘तुम’, ‘आप’ सर्वनामों का प्रयोग होता है और जिसके संबंध में बात की जा रही है, उसके नाम के स्थान पर ‘यह’, ‘ये’, ‘वह’ और ‘वे’ सर्वनामों का प्रयोग होता है।
उदाहरण: वह मोहन है।
इस वाक्य में वह ‘सर्वनाम’ है। जो व्यक्ति के नाम की जगह पर प्रयोग किया गया है।
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सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के छह भेद होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजतावाचक सर्वनाम
संज्ञा और सर्वनाम में अंतर
संज्ञा और सर्वनाम में अंतर नीचे बताया गया है;
संज्ञा | सर्वनाम |
संज्ञा किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, गुण आदि के नाम को कहते हैं | सर्वनाम किसी संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाला शब्द होता है। |
संज्ञाएँ अनंत होती हैं। | जबकि सर्वनाम सीमित होते हैं। |
संज्ञाओं का अपना लिंग होता है। | सर्वनाम का अपना कोई लिंग नहीं होता है। |
संज्ञा से किसी ख़ास व्यक्ति, वस्तु या स्थान का स्थान का बोध होता है। | सर्वनाम स्वतंत्र अवस्था में किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध नहीं कराता। |
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FAQs
संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, या गुण का नाम होती है। जबकि सर्वनाम वह शब्द होते हैं जो संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं, ताकि वाक्य में पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
सर्वनाम एक शब्द है जिसका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किसी व्यक्ति या वस्तु को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
जिन शब्दों का इस्तेमाल संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते हैं; जैसे- मैं, तू, यह, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, हम, तुम, कुछ, कौन, क्या, जो, सो, उसका आदि।
संज्ञा के पांच भेद होते हैं; जैसे- व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक, द्रव्यवाचक, और समूहवाचक। वहीं, सर्वनाम के छह भेद होते हैं; जैसे- पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, संबंधवाचक, प्रश्नवाचक, और निजतावाचक।
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, प्राणी, गुण, धर्म, भाव आदि का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं।
आशा है कि आपको इस लेख में संज्ञा और सर्वनाम की परिभाषा (Sangya Aur Sarvnam Ki Paribhasha) और संज्ञा और सर्वनाम के भेद की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही हिंदी व्याकरण, इंग्लिश व्याकरण और सामान्य ज्ञान से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage के साथ बने रहें।