रवींद्र केलेकर कोंकणी और मराठी भाषा के प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार, भाषाविद् और रचनात्मक विचारक हैं। वे ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन’, ‘गोवा मुक्ति आंदोलन’ तथा नवगठित गोवा के महाराष्ट्र में विलय के खिलाफ अभियान में अग्रणी भागीदार रहे। उन्होंने ‘कोंकणी भाषा मंडल’ की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साहित्य सृजन के साथ-साथ उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक ‘जाग’ पत्रिका का संपादन किया। साथ ही, उन्होंने ‘काका कालेलकर’ की अनेक पुस्तकों का संपादन और अनुवाद भी किया है।
रवींद्र केलेकर को शिक्षा और कोंकणी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए ‘पद्म भूषण’ (2008), कोंकणी भाषा में प्रथम ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1977), गोवा कला अकादमी का ‘साहित्य पुरस्कार’ (1974) एवं ‘कोंकणी साहित्य रत्न पुरस्कार’ (1994) आदि से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- ‘उजवाढाचे सूर’, ‘समिधा’, ‘सांगली’, ‘ब्रह्मांढातलें तांडव’, ‘ओथांबे’, ‘सर्जकाची आन्तरकथा’, ‘कामोरेर’ आदि। इस लेख में रवींद्र केलेकर का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है।
| नाम | रवींद्र केलेकर |
| जन्म | 07 मार्च, 1925 |
| जन्म स्थान | कुनकोलिम (टाउन/गाँव), दक्षिण गोवा |
| पिता का नाम | डॉ. राजाराम केलेकर |
| शिक्षा | फर्ग्यूसन कॉलेज |
| पेशा | लेखक, पत्रकार, भाषाविद्, रचनात्मक विचारक और अनुवादक |
| भाषा | कोंकणी, मराठी |
| मुख्य रचनाएँ | ‘उजवाढाचे सूर’, ‘समिधा’, ‘सांगली’, ‘ब्रह्मांढातलें तांडव’, ‘ओथांबे’, ‘सर्जकाची आन्तरकथा’, ‘कामोरेर’ आदि। |
| संपादन | जाग (पत्रिका) |
| पुरस्कार एवं सम्मान | ‘पद्म भूषण’ (2008), ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1977), गोमंत शारदा पुरस्कार (1997) व कोंकणी साहित्यरत्न पुरस्कार (1994) आदि। |
| निधन | 27 अगस्त, 2010 मडगांव, गोवा |
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गोवा के कुनकोलिम गांव में हुआ था जन्म
रवींद्र केलेकर का जन्म 7 मार्च 1925 को दक्षिण गोवा के कुनकोलिम गांव या टाउन में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘डॉ. राजाराम केलेकर’ था, जो एक चिकित्सक थे। बताया जाता है कि पणजी के लिसेयुम हाई स्कूल में अध्ययन के दौरान, वह वर्ष 1946 में ‘गोवा मुक्ति आंदोलन’ में शामिल हो गए थे। इस दौरान वे राम मनोहर लोहिया सहित कई स्थानीय और राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में आए, जिनके प्रभाव में उन्होंने भाषा की शक्ति को समझा और स्थानीय जनता को संगठित करने की दिशा में कार्य किया।
गोवा स्वतंत्रता आंदोलन में लिया भाग
रवींद्र केलेकर प्रारंभ से ही गांधीवादी दर्शन से प्रभावित थे। वर्ष 1949 में वे गोवा से वर्धा (महाराष्ट्र) चले गए, जहाँ वे प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी काकासाहेब कालेलकर के साथ रहे। लगभग छह वर्षों तक वर्धा में रहने के बाद वे नई दिल्ली आ गए, जहाँ उन्हें गांधी स्मारक संग्रहालय का पुस्तकालयाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
कुछ समय पश्चात वे पुनः गोवा स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए। देशभर में गोवा प्रवासियों को जोड़ने के मिशन के तहत उन्होंने साप्ताहिक पत्र ‘गोमंत भारती’ (1956–60) का संपादन भी किया।
पूर्ण राज्य के लिए आंदोलन किया
19 दिसंबर 1961 को जब गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ, तब रवींद्र केलेकर महाराष्ट्र में गोवा के विलय के विरुद्ध चलाए गए सामाजिक-राजनीतिक अभियान से जुड़ गए, जो 1967 के जनमत संग्रह के बाद समाप्त हुआ। इस जनमत संग्रह के परिणामस्वरूप गोवा ने एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखी। वर्षों के संघर्ष और प्रयासों के बाद, 30 मई 1987 को गोवा को भारत का पूर्ण राज्य घोषित किया गया। तब से प्रतिवर्ष 30 मई को ‘गोवा स्थापना दिवस’ मनाया जाता है।
गोवा की स्वतंत्रता के बाद रवींद्र केलेकर ने साहित्यिक सक्रियता अपनाई। उन्होंने कोंकणी को मराठी की एक बोली के बजाय एक स्वतंत्र भाषा का दर्जा दिलाने के लिए निरंतर प्रयास किए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1987 में गोवा विधानसभा ने आधिकारिक भाषा विधेयक पारित किया, जिससे ‘कोंकणी’ को गोवा की आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ।
क्या आप जानते हैं कि रवींद्र केलेकर कोंकणी साहित्य परिषद् के पूर्व अध्यक्ष, गांधी शांति प्रतिष्ठान की कार्यकारिणी के सदस्य, गांधी आश्रम (नागालैंड) के न्यासी तथा केंद्रीय साहित्य अकादमी के सदस्य रह चुके हैं।
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रवींद्र केलेकर की प्रमुख रचनाएँ
रवींद्र केलेकर ने कोंकणी भाषा में 50 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जबकि मराठी, हिंदी और गुजराती भाषाओं में भी उनकी कुछ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। गांधीवादी चिंतक के रूप में प्रसिद्ध रवींद्र केलेकर ने अपने लेखन में जन-जीवन के विविध पक्षों, मान्यताओं और व्यक्तिगत विचारों को देश और समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है। नीचे उनकी प्रमुख साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:
कोंकणी में रचनाएँ
- उजवाढाचे सूर
- समिधा
- सांगली
- ब्रह्मांढातलें तांडव
- ओथांबे
- सर्जकाची आन्तरकथा
- कामोरेर
- तथागत
यात्रा वृतांत
- हिमालयांत
मराठी
- जपान जसा दिसला
- गांधीजींच्या सहवासात
पुरस्कार एवं सम्मान
रवींद्र केलेकर को शिक्षा और कोंकणी साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है, जो इस प्रकार हैं:-
- पद्म भूषण – वर्ष 2008
- गोवा कला अकादमी का साहित्य पुरस्कार – वर्ष 1974
- वर्ष 1977 में रवींद्र केलेकर को ‘हिमालयांत’ (यात्रा-वृतांत) के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार पाने वाले वह पहले कोंकणी लेखक थे।
- कोंकणी साहित्यरत्न पुरस्कार – वर्ष 1994
- गोवा राज्य सांस्कृतिक पुरस्कार
- गोवा कला अकादमी का सर्वोच्च गोमंत शारदा पुरस्कार – वर्ष 1997
- उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य संस्थान का ‘सौहार्द पुरस्कार’ – वर्ष 1999
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मडगांव में हुआ था निधन
रवींद्र केलेकर का 27 अगस्त, 2010 को 85 वर्ष की आयु में निधन हुआ था, लेकिन अपनी साहित्यिक रचनाओं के लिए वह आज भी जाने जाते हैं।
FAQs
7 मार्च, 1925 को दक्षिण गोवा स्थित कुनकोलिम गांव या टाउन में रवींद्र केलेकर का जन्म हुआ था।
रवींद्र केलेकर के पिता का नाम ‘डॉ. राजाराम केलेकर’ था।
वर्ष 2008 में भारत सरकार द्वारा रवींद्र केलेकर को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ प्रदान किया गया था।
हिमालयांत, रवींद्र केलेकर का बहुचर्चित यात्रा-वृतांत है।
रवींद्र केलेकर की मृत्यु 27 अगस्त, 2010 को हुई थी।
आशा है कि आपको समादृत लेखक एवं पत्रकार रवींद्र केलेकर का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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