Ramkumar Verma: रामकुमार वर्मा का जीवन परिचय एवं प्रमुख रचनाएँ 

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राम कुमार

Ramkumar Verma Ka Jivan Parichay: युग चाहे कोई भी क्यों न हो, सभ्यताओं को संरक्षण देने में कवियों और कवियों की कविताओं ने एक मुख्य भूमिका निभाई है। भारत के महान कवियों में से एक राम कुमार वर्मा भी थे, जिनकी लेखनी ने समाज सुधारक के रूप में काम किया। रामकुमार वर्मा ने जीवन के हर पहलू को बड़ी ही बारीकी के साथ देखा और जिया, उनकी जीवन यात्रा आपके जीवन को प्रभावित करेगी और पग-पग पर प्रेरित करेगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आप रामकुमार वर्मा के जीवन परिचय को पढ़ पाएंगे।

रामकुमार वर्मा को हिन्दी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाना जाता है, साथ ही उन्हें आधुनिक हिन्दी साहित्य में ‘एकांकी सम्राट’ का भी सम्मान प्राप्त है। रामकुमार वर्मा को हास्य और व्यंग्य दोनों ही विधाओं में रचना करने की महारथ हासिल थी। उन्होंने अपने जीवन में नाटककार, कवि, समीक्षक, अध्यापक तथा हिन्दी-साहित्य के इतिहास-लेखक के रूप में अपने सभी किरदारों को बखूबी निभाया। रामकुमार वर्मा के काव्य में ‘रहस्यवाद’ और ‘छायावाद’ की झलक देखी जा सकती है।

आइए अब प्रख्यात साहित्यकार रामकुमार वर्मा का जीवन परिचय (Ramkumar Verma Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम डॉ. रामकुमार वर्मा
जन्म15 सितंबर, 1905
जन्मस्थान सागर ज़िला, मध्यप्रदेश
पिता का नाम श्री लक्ष्मी प्रसाद वर्मा
माता का नामश्रीमती राजरानी देवी
भाषाहिंदी
साहित्यकाल छायावाद
नागरिकताभारतीय
प्रमुख रचनाएं ‘अंजलि’, ‘अभिशाप’, ‘निशीथ’, ‘जौहर’, ‘चित्तौड़ की चिता’ आदि।
पुरस्कारदेव पुरस्कार, पद्म भूषण – 1963
निधन 15 अक्टूबर 1990

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रामकुमार वर्मा का जीवन परिचय – Ramkumar Verma Ka Jivan Parichay

रामकुमार वर्मा की कविताएँ पढ़ने के लिए आपको रामकुमार वर्मा जी के जीवन परिचय पर एक नज़र डालनी चाहिए। रामकुमार वर्मा जी का जन्म 15 सितंबर, 1905 को भारत के राज्य मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में गोपालगंज ग्राम में हुआ था। रामकुमार वर्मा के ‘पिता लक्ष्मी प्रसाद वर्मा’ एक डिप्टी कलैक्टर थे, जिनके जीवन का प्रभाव रामकुमार वर्मा के जीवन पर भी पड़ा। प्रारंभिक शिक्षा के रूप में रामकुमार वर्मा की माता श्रीमती ‘राजरानी देवी’ ने अहम भूमिका निभाई, जो कि उस समय की हिन्दी कवयित्रियों में विशेष स्थान रखती थीं।

रामकुमार वर्मा को बचपन में “कुमार” के नाम से पुकारा जाता था। रामकुमार वर्मा में प्रारम्भ से ही प्रतिभा के स्पष्ट चिह्न दिखाई देते थे। पढ़ाई में मेधावी रामकुमार वर्मा जी सदैव अपनी कक्षा में प्रथम आया करते थे। पठन-पाठन की प्रतिभा के साथ-साथ रामकुमार वर्मा अन्य कार्यों में भी काफ़ी सहयोग देते थे। बालपन में रामकुमार वर्मा की अभिनेता बनने की बड़ी प्रबल इच्छा थी। 

अभिनेता बनने की चाह में रामकुमार वर्मा ने विद्यार्थी जीवन में कई नाटकों में एक सफल अभिनेता का कार्य किया है। सन् 1922 ई. में जब रामकुमार वर्मा दसवीं कक्षा में पहुँचे। तभी देश में प्रबल वेग से असहयोग की आँधी उठी और रामकुमार वर्मा राष्ट्र सेवा में हाथ बँटाने लगे, जिसमें वह राष्ट्रीय कार्यकर्ता के रूप में जनता के सामने आए।

इसके बाद वर्माजी ने अपना पढ़ाई को फिर से प्रारम्भ किया और सब परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करते हुए, वह प्रयाग विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय में एम.ए. में प्रथम आए। साथ ही रामकुमार वर्मा ने अपने जीवन में नागपुर विश्वविद्यालय से ‘हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास’ पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 

रामकुमार वर्मा की कविताओं में वह व्यक्तिगत अनुभवों, समाजिक मुद्दों, प्रेम, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को बड़े ही सुंदरता और भाषा में व्यक्त करते थे। उनकी कविताएँ और लेख अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं और समाचार पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए और उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी। जीवन भर समाज को सद्मार्ग दिखाने वाले रामकुमार वर्मा जी 05 अक्टूबर 1990 को पंचतत्व में विलीन हो गए।

रामकुमार वर्मा का साहित्यिक सफर – Ramkumar Verma Ka Sahityik Parichay

रामकुमार वर्मा जी का साहित्यिक सफर देखा जाए, तो आपको पता लगेगा कि रामकुमार वर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि, एकांकी नाटक-लेखक और आलोचक थे। रामकुमार वर्मा द्वारा रचित “चित्ररेखा” काव्य-संग्रह पर, उन्हें हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार “देव पुरस्कार” मिला।

अपने लेखन से प्रसिद्ध हुए रामकुमार वर्मा को एकाकी संग्रह “सप्त किरण” पर अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन पुरस्कार मिला। इसी दौर में उन्हें मध्यप्रदेश शासन परिषद की ओर से “विजयपर्व” नाटक पर प्रथम पुरस्कार मिला।

रूसी सरकार के विशेष आमंत्रण पर मास्को विश्वविद्यालय में रामकुमार वर्मा प्रायः एक वर्ष तक शिक्षा का कार्य कर चुके हैं। हिन्दी एकांकी के जनक रामकुमार वर्मा ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और साहित्यिक विषयों पर लगभग 150 से अधिक एकांकी लिखीं।

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रामकुमार वर्मा की प्रमुख रचनाएं – Ramkumar Verma Ki Pramukh Rachnaye  

यहाँ रामकुमार वर्मा की प्रमुख रचनाएं दी गई है, जो कि इस प्रकार हैं:-

एकांकी संग्रह 

  • पृथ्वीराज की आँखें 
  • रेशमी टाई 
  • चारुमित्रा 
  • विभूति 
  • सप्तकिरण
  • रूपरंग 
  • रजतरश्मि 
  • ऋतुराज 
  • दीपदान 
  • रिमझिम 
  • इन्द्रधनुष 
  • पांचजन्य
  • कौमुदी महोत्सव 
  • मयूर पंख
  • खट्टे-मीठे एकांकी 
  • ललित एकांकी
  • कैलेंडर का आखिरी पन्ना 
  • जूही के फूल

नाटक 

  • विजय पर्व 
  • कला और कृपाण 
  • नाना फड़नवीस
  • सत्य का स्वप्न 

काव्य संग्रह 

  • चित्ररेखा 
  • चन्द्रकिरण
  • अंजलि
  • अभिशाप 
  • रुपराशि 
  • संकेत
  • एकलव्य 
  • वीर हम्मीर 
  • निशीथ
  • नूरजहां 
  • जौहर
  • आकाशगंगा 
  • उत्तरायण 
  • कृतिका 
  • चितौड़ की चिता 
  • एकलव्य (महाकाव्य)

आलोचना एवं साहित्येतिहास

  • कबीर का रहस्यवाद
  • इतिहास के स्वर
  • साहित्य समालोचना 
  • साहित्यशास्त्र
  • अनुशीलन
  • समालोचना समुच्चय 
  • हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास 
  • एकांकी कला 
  • हिंदी साहित्य की रूपरेखा 

संपादन 

  • हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास 
  • हिंदी गीति काव्य 
  • कबीर पदावली 
  • आठ एकांकी 
  • आधुनिक हिंदी काव्य 
  • संक्षिप्त कबीर 

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सम्मान 

डॉ रामकुमार वर्मा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1963 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से नवाजा गया था। इसके अलावा उन्हें साहित्य सेवा के लिए ‘देव पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

FAQs

रामकुमार वर्मा की एकांकी कौन कौन सी है?

रामकुमार वर्मा की एकांकी पृथ्वीराज की आँखें (1938 ई.), चारुमित्रा, रेशमी टाई (1941 ई.), सप्त-किरण, कौमुदी महोत्सव, दीपदान, रजत-रश्मि, रिमझिम, विभूति, चार ऐतिहासिक एकांकी (1950 ई.), रूपरंग (1951 ई.) इत्यादि हैं।

रामकुमार वर्मा की प्रथम एकांकी कौन सी थी?

वर्ष 1930 में रचित ‘बादल की मृत्यु’ उनकी प्रथम एकांकी थी।

राम कुमार वर्मा की मृत्यु अब हुई?

राम कुमार वर्मा की मृत्यु 15 अक्टूबर 1990 हुई थी।

डॉ रामकुमार वर्मा का जन्म कहाँ और कब हुआ था?

उनका जन्म 15 सितंबर, 1905 को मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में गोपालगंज नामक ग्राम में हुआ था।

डॉ रामकुमार वर्मा ने आदिकाल को क्या नाम दिया था?

डॉ रामकुमार वर्मा ने जॉर्ज ग्रियर्सन की तरह ही आदिकाल को ‘चारणकाल’ नाम दिया था।

आशा है कि आपको प्रसिद्ध साहित्यकार रामकुमार वर्मा का जीवन परिचय (Ramkumar Verma Ka Jivan Parichay)  पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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