रघुवीर सहाय आधुनिक हिंदी कविता के प्रतिनिधि कवियों में से एक माने जाते हैं,जिन्होंने प्रगतिशील काव्यधारा में ‘नई कविता’ को एक नया आयाम दिया। वहीं उनकी कविताओ में भारतीय जनमानस का दुःख-दर्द और पीड़ा की छटपटाहट साफ दिखाई देती है। वह सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित ‘दूसरे तार सप्तक’ के प्रमुख कवियों में से एक थे। रघुवीर सहाय ने आधुनिक हिंदी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में साहित्य का सृजन किया है, जिनमें कहानी, कविताएं और निबंध शामिल हैं।
वहीं आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘आचार्य नरेन्द्रदेव सम्मान’ व ‘राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है। बता दें कि उनकी कविताएं ‘लोग भूल गए हैं’, ‘कमरे में बंद अपाहिज’, ‘आपकी हँसी’, ‘रामदास’, ‘अधिनायक’, ‘कला क्या है’ आदि को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की हैं
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी रघुवीर सहाय का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब आधुनिक हिंदी कविता के विख्यात कवि रघुवीर सहाय का जीवन परिचय (Raghuvir Sahay Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | रघुवीर सहाय (Raghuvir Sahay) |
जन्म | 9 दिसंबर, 1929 |
जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री. हरदेवर सहाय |
माता का नाम | श्रीमती तारादेवी सहाय |
पत्नी का नाम | श्रीमती विमलेश्वरी सहाय |
संतान | मंजरी, हेमा, गोरी, बसंत |
शिक्षा | एम.ए (अंग्रेजी) |
पेशा | लेखक, कवि, पत्रकार, अनुवादक |
भाषा | हिंदी, अंग्रेजी |
विधाएँ | कविता, कहानी, निबंध |
काव्य-संग्रह | ‘सीढ़ियों पर धूप में’, ‘हँसो, हँसो जल्दी हँसो’, ‘आत्महत्या के विरुद्ध’, ‘कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ’ आदि। |
कहानी-संग्रह | ‘जो आदमी हम बना रहे हैं’, ‘रास्ता इधर से है’, ‘सीढ़ियों पर धूप में’ आदि। |
निबंध | लिखने का कारण, दिल्ली मेरा परदेस, ऊबे हुए सुखी, लहरें और तरंग आदि। |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
पुरस्कार | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, मरणोपरान्त हंगरी का ‘सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान’, व ‘राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान’ आदि। |
विशेष | दूसरे तार सप्तक के प्रमुख कवि, दिनमान व नवभारत टाइम्स, कल्पना के संपादक। |
निधन | 30 दिसंबर 1990, नई दिल्ली |
This Blog Includes:
- साहित्य के अध्यापक के घर हुआ था जन्म – Raghuvir Sahay Ka Jivan Parichay
- अल्प आयु में हो माता का निधन
- कविताओं के सृजन के साथ ही की एम.ए की पढ़ाई
- विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र
- देश-विदेश की यात्राएं
- दूसरे तार सप्तक के कवि
- रघुवीर सहाय की प्रमुख रचनाएँ – Raghuvir Sahay Ki Rachnaye
- पुरस्कार एवं सम्मान
- दिल्ली में हुआ निधन
- FAQs
साहित्य के अध्यापक के घर हुआ था जन्म – Raghuvir Sahay Ka Jivan Parichay
‘नई कविता’ के प्रतिनिधि कवि रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर 1929 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मॉडल हाउस मुहल्ला में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री. हरदेवर सहाय’ था जो कि पेशे से साहित्य के अध्यापक थे। उनकी माता का नाम ‘श्रीमती तारादेवी सहाय’ था जो एक गृहणी थीं।
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अल्प आयु में हो माता का निधन
जब रघुवीर सहाय मात्र दो वर्ष के थे उसी दौरान उनकी माता का गंभीर बीमारी के कारण देहांत हो गया। अल्प आयु में ही माता का साया सर से उठने के बाद उनका पालन पोषण उनके पिता ने किया। उनकी आरंभिक शिक्षा लखनऊ से ही हुई और वर्ष 1944 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। वहीं अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था। वर्ष 1946 में उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा की अगले ही वर्ष उनकी पहली कविता “आदिम संगीत” छपी।
कविताओं के सृजन के साथ ही की एम.ए की पढ़ाई
अपनी बी.ए की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने काव्य का सृजन जारी रखा जो जीवन के अंतिम समय तक जारी रहा। वर्ष 1948 में उनकी पहली मुक्त छंद की कविता “नया वर्ष” लिखी जो उसी वर्ष ‘कान्यकुब्ज पत्रिका’ में प्रकाशित हुई। इसके बाद उनकी पहली लंबी कविता “सायंकाल” ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित त्रैमासिक प्रतीक के पावस अंक में प्रकाशित हुई। रघुवीर सहाय ने वर्ष 1949 में लखनऊ से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार ‘नवजीवन’ से अपने करियर की शुरुआत की।
वर्ष 1951 में उन्होंने ‘लखनऊ विश्वविद्यालय’ से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह दिल्ली आ गए और ‘प्रतीक’ पत्रिका में सहायक संपादक के रूप में कार्य करने लगे। इसके साथ ही उनकी कविताएं दूसरे तार सप्तक में प्रकाशित होती थी।
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विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र
वर्ष 1952 में ‘प्रतीक’ पत्रिका के बंद हो जाने के कारण उन्होंने कुछ समय तक स्वतंत्र लेखन किया। इसके बाद वह वर्ष 1953 में आकाशवाणी के समाचार विभाग में उप-संपादक बने। इसी दौरान उनका विवाह प्रोफेसर महादेवप्रसाद श्रीवास्तव की पुत्री ‘विमलेश्वरी जी’ से हुआ जिससे उनकी चार संतान हुई जिनके नाम मंजरी, हेमा, गोरी, बसंत है।
आकाशवाणी में कुछ समय तक कार्य करने के बाद उन्होंने वर्ष 1957 में इस्तीफा दे दिया। इसके बाद स्वत्रंत रूप से लेखन कार्य करने लगे। इसके बाद उन्होंने ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित अंग्रेजी त्रैमासिक ‘वाक्’ में सहायक संपादक के रूप में कार्य किया। फिर उन्होंने आकाशवाणी में तीन वर्ष के अनुबंध पर संवाददाता के रूप में भी कार्य किया। फिर वह वर्ष 1960 से 1963 तक ‘दिल्ली की डायरी’ नाम से ‘घर्मयुग’ में एक पाक्षिक स्तंभ लिखते रहे।
इसी दौरान रघुवीर सहाय ने कुछ समय तक ‘दूरदर्शन’ में भी कार्य किया। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने यह कार्य छोड़ दिया और दैनिक ‘नवभारत टाइम्स’ में विशेष संवाददाता के रूप में नियुक्त हुए। वर्ष 1968 में उनका नवभारत टाइम्स से स्थानांतरण हो गया जिसके बाद उन्होंने ‘दिनमान’ ने समाचार संपादक के रूप में कार्यभार संभाला।
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देश-विदेश की यात्राएं
वर्ष 1970 में रघुवीर सहाय ‘दिनमान’ के संपादक बन गए। इसी दौरान उन्हें कई देशों की यात्राएं भी की जिनमें सोवियत संघ (वर्तमान रूस), इंग्लैंड, जर्मनी, हंगरी व बांग्लादेश देश शामिल हैं। यहीं उनका परिचय पाश्चात्य साहित्यकारों ‘ऊवे जॉनसन’ तथा कवि ‘ऐलन जॉन ब्रॉउन’ से हुआ।
दूसरे तार सप्तक के कवि
क्या आप जानते हैं कि ‘तार सप्तक’ से ही आधुनिक हिंदी काव्य साहित्य में ‘प्रयोगवाद’ की शुरुआत मानी जाती है, जिसका आरंभ वर्ष 1943 में हुआ था। बता दें कि तार सप्तक से तात्पर्य है ‘सात कवियों का समूह’। वहीं दूसरे तार सप्तक में रघुवीर सहाय जैसे प्रतिष्ठित रचनाकार के साथ-साथ ‘भवानी प्रसाद मिश्र’, ‘नरेश मेहता’, ‘घर्मवीर भारती’, ‘शमशेर बहादुर सिंह’, ‘हरि नारायण व्यास’ व ‘शकुंतला माथुर’ जैसे प्रसिद्ध साहित्यकार शामिल थे।
दूसरे तार सप्तक में सात कवियों की कविताओं का संकलन हैं, जिसका संपादन वर्ष 1949 में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ द्वारा किया गया था तथा प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ से हुआ था।
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रघुवीर सहाय की प्रमुख रचनाएँ – Raghuvir Sahay Ki Rachnaye
रघुवीर सहाय ने आधुनिक हिंदी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में साहित्य का सृजन किया है। उनकी रचनाओं में भारतीय जनमानस का संघर्ष, मजदूरों व पीड़ितों के दर्द और अत्याचार का संजीव चित्रण देखने को मिलता है। उन्होंने मुख्यत कहानी, कविता और निबंध के माध्यम से ही कई अनुपम रचनाएँ की हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-
काव्य-संग्रह
- सीढ़ियों पर धूप में – 1960
- आत्महत्या के विरुद्ध – 1967
- हँसो, हँसो जल्दी हँसो – 1975
- लोग भूल गए हैं – 1982
- कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ – 1989
- एक समय था – 1994
कहानी-संग्रह
- सीढ़ियों पर धूप में – 1960
- रास्ता इधर से है – 1972
- जो आदमी हम बना रहे हैं – 1983
निबंध-संग्रह
- दिल्ली मेरा परदेस – 1976
- लिखने का कारण – 1978
- ऊबे हुए सुखी
- वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे
- भँवर
- लहरें और तरंग – 1983
- यथार्थ का अर्थ
- अर्थात्
अनुवाद
- बरनमवन ( विलियम शेक्सपीयर के नाटक मैकबेथ का अनुवाद)
- तीन हंगरी नाटक
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पुरस्कार एवं सम्मान
रघुवीर सहाय (Raghuvir Sahay Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार- वर्ष 1984 में काव्य संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ के लिए पुरस्कृत किया गया।
- मरणोपरांत हंगरी का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान
- राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान – (बिहार सरकार द्वारा सम्मानित)
- आचार्य नरेन्द्र देव सम्मान
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दिल्ली में हुआ निधन
रघुवीर सहाय ने अपने संपूर्ण जीवन ने साहित्य की कई विधाओं में अनुपम रचनाओं के साथ साथ अनुवाद कार्य भी किया। जिनमें ‘विलियम शेक्सपीयर’ (William Shakespeare) का चर्चित नाटक ‘मैकबेथ’ का अनुवाद व तीन हंगरी नाटक शामिल हैं। वहीं जीवन की अपनी साहित्यिक यात्रा में उन्होंने अंतिम समय तक स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य जारी रखा। किंतु
नई दिल्ली में अपने निवास स्थान पर 30 दिसंबर 1990 को लंबी बीमारी के कारण उन्होंने सदा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन उनकी अनुपम रचनाओं के लिए उन्हें साहित्य जगत में हमेशा याद किया जाता है और किया जाता रहेगा।
FAQs
विख्यात साहित्यकार रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर 1929 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था।
बता दें कि रघुवीर सहाय ने वर्ष 1949 में लखनऊ से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार नवजीवन से अपने करियर की शुरुआत की थी।
वर्ष 1984 में उनके काव्य संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
यह रघुवीर सहाय का बहुचर्चित कहानी-संग्रह है जिसका प्रकाशन वर्ष 1960 में हुआ था।
बता दें कि रधुवीर सहाय दूसरे तार सप्तक के प्रमुख कवियों में से एक माने जाते हैं।
रघुवीर सहाय की पत्नी का नाम ‘विमलेश्वरी सहाय’ था।
उनकी माता का नाम ‘तारादेवी सहाय’ जबकि पिता का नाम ‘हरदेवर सहाय’ था।
सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो, हँसो जल्दी हँसो, लोग भूल गए हैं और कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं।
आशा है कि आपको आधुनिक हिंदी कविता के प्रसिद्ध कवि रघुवीर सहाय का जीवन परिचय (Raghuvir Sahay Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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