भारत छोड़ो आंदोलन का ऐतिहासिक नारा ‘यूसुफ मेहर अली’ के द्वारा दिया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेज बुरी तरह से हार गए थे। इस हार के बाद से अंग्रेजों का वर्चस्व दुनिया में घटने लगा था। इस बात को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय इतिहास के सबसे बड़े आन्दोलनों में से एक है। 8 अगस्त, 2023 को भारत ने भारत छोड़ो आंदोलन के 81 साल पूरे किए है, जिसे ‘अगस्त क्रांति’ भी कहा जाता है। भारत की स्वतंत्रता में quit india movement in hindi की बड़ी भूमिका रही है। यहाँ भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
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भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में
भारत छोड़ो आंदोलन सही मायने में एक जन आंदोलन था, जिसमें लाखों आम भारतीयों ने भाग लिया था। Quit india movement in hindi की तरफ बड़ी मात्रा में युवा आकर्षित हुए। वे अपने स्कूल कॉलेज की पढ़ाई को छोड़कर इस आंदोलन का हिस्सा बने थे। इस आंदोलन ने भारत की स्वतंत्रता में एक बड़ी भूमिका अदा की थी। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत महात्मा गाँधी के द्वारा 8 अगस्त 1942 को की गई थी।
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। आपको बता दें कि गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने ऐतिहासिक भाषण में “करो या मरो” का नारा दिया था, जिस स्थान को वर्तमान समय में ‘अगस्त क्रांति मैदान’ के नाम से जाना जाता है।
भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने के पीछे के कारण
भारत छोड़ो आंदोलन के शुरू होने के मुख्य कारणों में से एक “क्रिप्स मिशन” का फेल होना था। इस मिशन को स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में भारत में एक नए संविधान एवं स्वशासन के निर्माण से संबंधित प्रश्न को हल करने के लिये भेजा गया था। यह मिशन विफल हो गया क्योंकि इसने भारत के लिये पूर्ण स्वतंत्रता नहीं बल्कि विभाजन के साथ डोमिनियन स्टेटस की पेशकश की। भारतीयों को पूर्ण स्वराज चाहिए था। इसलिए भारतीयों के द्वारा इस मिशन का जमकर विरोध किया गया। आम जनता की मांग को देखते हुए महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।
भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम
Quit india movement in hindi के निम्नलिखित परिणाम हुए:-
- भविष्य के नेताओं का उदय: इस आंदोलन से भविष्य के कई नेताओं का उदय हुआ। राम मनोहर लोहिया, जेपी नारायण और बीजू पटनायक जैसे महान नेता इसी आंदोलन से उभरे थे।
- महिलाओं की हिस्सेदारी: इस आंदोलन में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जिसके कारण महिला सशक्तिकरण को बल मिला।
- राष्ट्रवाद का उदय: इस आंदोलन से लोगों के बीच भाईचारे और राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ।
- स्वतंत्रता के नींव: भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत की स्वतंत्रता में बड़ी भूमिका निभाई। इस आंदोलन ने भारतीयों के बीच स्वराज की अलख जगाई जिसके कारण अंग्रेज पहले के मुकाबले काफी कमजोर पड़ गए।
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व
भारत छोड़ो आंदोलन कई प्रकार से महत्वपूर्ण था :
- भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत के लोगों में भारत की आज़ादी के लिए नई अलख जगा दी थी।
- इस आंदोलन ने अंग्रेजों को यह बता दिया कि भारत में अब उनका शासन ज्यादा नहीं चलने वाला।
- इस आंदोलन में भारत के लोगों को जाति, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर एक होने के लिए प्रेरित किया।
- इस आंदोलन ने समाज के हर वर्ग को आज़ादी की लड़ाई से जोड़ने का काम किया था।
- इस आंदोलन के कारण महिलाऐं भी अपने घरों से बाहर आईं और आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया
FAQs
भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था। यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन की विशेषता यह थी कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अन्य सभी प्रमुख नेता जेलों मे बंद थे। अतः इसे समाजवादियों तथा नौजवानों के नेतृत्व ने सफलतापूर्वक चलाया जिसने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब जाग गया है। अब इसे स्वतंत्र होने से नही रोका जा सकता। इस आंदोलन के अनुभव बहुत लाभकारी थे।
भारत छोड़ो आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि स्वतंत्रता संघर्ष के एजेंडे में भारत को तुरंत आजादी दिये जाने की मांग को सम्मिलित किया गया था। इस आंदोलन के पश्चात कांग्रेस का नेतृत्व तथा भारतीय, इस मांग के संदर्भ में कभी नरम नहीं पड़े। इस आंदोलन में जनसामान्य की भागेदारी अप्रत्याशित थी।
महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के समय अपने भाषण में भारतीयों से दृढ़ निश्चय के लिए आह्वान करते हुए ‘करो या मरो’ का नारा दिया।
आशा है इस ब्लॉग से आपको quit india movement in hindi और इससे जुड़ी अहम घटनाओं के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी। प्राचीन भारत के इतिहास से जुड़े हुए ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।