Battle of Hydaspes in Hindi: भारत की पुण्य भूमि पर हुआ एक ऐसा भीषण युद्ध, जिसने सिकंदर के विश्व विजय बनने के सपने को किया चकनाचूर

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Battle of Hydaspes in Hindi

इतिहास में कई युद्ध ऐसे हुए, जिन्होंने मानव की विस्तारवादी नीति को या तो बढ़ावा दिया या उसका विध्वंस किया। ऐसे ही ऐतिहसिक युद्धों में मानव ने वीरता की परिभाषा को तो समझा ही साथ ही भीषण नरसंहारों को देखा। इन्हीं युद्धों में से एक झेलम नदी पर हुआ वो भीषण युद्ध था, जिसने सिकंदर के विश्व विजय बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया। Battle of Hydaspes in Hindi के माध्यम से आप जानेंगे उस युद्ध का सही इतिहास, जो सिकंदर के जीवन की आखिरी लड़ाई बनी। झेलम नदी पर हुए उस युद्ध का इतिहास जानने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।

किस-किस के बीच हुआ था हाइडस्पेस का युद्ध?

झेलम नदी की लड़ाई (हाइडस्पेस की लड़ाई) विश्व विजेता बनने का ख्वाब पालने वाले एलेक्जेंडर यानी सिकंदर और भारत के एक महान और सूरवीर राजा पोरस के बीच हुआ था। राजा पोरस का साम्राज्य झेलम से चेनाब नदी तक था। विश्व में मशहूर हाइडस्पेस का युद्ध विस्तारवादी मानसिकता से पनपे एलेक्जेंडर और मातृभूमि की रक्षा में समर्पित सूरवीर राजा पोरस के बीच हुआ था। जो कि एलेक्जेंडर यानि सिकंदर के जीवन की चौथा और आखिरी युद्ध साबित हुआ। इस लड़ाई में सिकंदर और उसकी सेना को पोरस ने मुंहतोड़ जवाब दिया।

कब हुआ था हाइडस्पेस का युद्ध?

विश्व विजेता बनने का ख्वाब लेकर एलेक्जेंडर यानी सिकंदर ईरान को हराने के बाद भारत की और बढ़ने लगा। जिसका पहला सामना 326 ईसा पूर्व उस समय के राजा पोरस से हुआ था, जो एलेक्जेंडर यानी सिकंदर के जीवन की आखिरी लड़ाई साबित हुई, इसे ही इतिहास में Battle of Hydaspes in Hindi के नाम से जाना जाता हैं।

कहाँ हुआ था हाइडस्पेस का युद्ध?

Battle of Hydaspes in Hindi के माध्यम से आप जानेंगे कि एलेक्जेंडर यानी सिकंदर को उस समय का एक ऐसा राजा माना जाता है, जिसने अपने जीवनकाल में अपने हर करीबी का कत्ल किया। एलेक्जेंडर यानी सिकंदर को उस समय का एक ऐसा राजा माना जाता है, जिसने अपने जीवन में कभी भी हार का मुँह नहीं देखा था। झेलम नदी जिसे हाइडस्पेस नदी के नाम से जाना जाता है, उस नदी पर एलेक्जेंडर और पोरस के बीच यह युद्ध लड़ा गया था। इसी युद्ध को संसार में बैटल ऑफ हाइडस्पेस के नाम से जाना गया।

Battle of Hydaspes in Hindi का संक्षिप्त इतिहास

Battle of Hydaspes in Hindi के माध्यम से आप ऐसे राजा की क्रूरता और ऐसे इतिहास से परिचित होंगे, जिसमें एक राजा का विश्व विजय बनने का सपना चूरचूर हो गया। इस युद्ध के पीछे की वजह और इस युद्ध में एलेक्जेंडर और राजा पोरस के बारे में निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान पाएंगे।

  • अपने पिता की मौत के बाद एलेक्जेंडर ग्रीस के मेसेडोनिया के सिंहासन पर बैठा, पर्शियन साम्राज्य पर जीत हासिल करने के बाद सिकंदर ने भारत में अपने पांव रखने की चेष्टा की।
  • एलेक्जेंडर विश्व को जीतने के क्रम में भारत पर भी अधिकार जमाना चाहता था, जिस कारण उसने राजा पोरस को हथियार डालने का संदेश भेजा लेकिन राजा पोरस ने वह ठुकरा दिया।
  • राजा पोरस के इस कृत्य के बाद सिकंदर को अपमानित महसूस हुआ और उसने पोरस पर आक्रमण करने का निश्चय किया।
  • राजा पोरस ने सिकंदर को आगे बढ़ते देख अपनी अश्वारोही सेना को किनारों, पैदल सेना को मध्य में और हाथियों को सामने रखा।
  • इस युद्ध में सिकंदर की ओर से लगभग 50,000 सैनिक मैदान में थे, जिसके प्रतियोत्तर में राजा पोरस की केवल 20,000 सेना खड़ी थी।
  • पौरव के राजा पोरस की 200 युद्ध हाथियों की सेना ने भी युद्ध में पहले ही दिन अपनी निर्णायक भूमिका निभाई, परिणामस्वरूप सिकंदर की सेना का मान मर्दन हुआ।
  • पहले दिन की हार सिकंदर को पचाए नहीं पच रही थी, जिस कारण सिकंदर ने पुनः आक्रामक रूप अपनाया, पोरस के भाई ने सिकंदर के घोड़े को मार गिराया और सिकंदर को निहत्था कर दिया।
  • पोरस ने सिकंदर को निहत्था देख उस पर हमला किए बिना, युद्ध नीति के अनुसार उसे छोड़ दिया और उसके सैनिक उसे वहां से उठाकर ले गए।
  • विश्व विजेता का ख्वाब चकनाचूर होता देख सिकंदर ने अपने सैनिकों को वापस जाने का आदेश दिया। अंततः राजा पोरस न केवल एक ऐसे राजा को धूलधूषित किया, जो क्रूर था। अपितु मातृभूमि और मानवता का भी संरक्षण किया।

आशा है कि आपको हाइडस्पेस के युद्ध पर आधारित Battle of Hydaspes in Hindi का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी प्रकार इतिहास से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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