जानिए मावली का युद्ध का इतिहास क्या है, क्या रहे इस युद्ध के परिणाम

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मावली का युद्ध

युद्ध किसी भी युग में क्यों न हो, इसके परिणामस्वरूप समाज को मिलता है तो केवल भीषण रक्तपात और नरसंहार। इतिहास में हुए अनेकों युद्धों में से एक मावली का युद्ध भी था, जिसने भारतीय इतिहास में एक मुख्य भूमिका निभाई। इस युद्ध के बारे में राजस्थान के दसवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाता है, जो कि राजस्थान की संस्कृति और इतिहास से सीधा संबंधित है। इस पोस्ट के माध्यम से आप इस युद्ध, के बारे में सटीक जानकारी के साथ-साथ, इस युद्ध के परिणामों के बारे में भी जान पाएंगे।

मावली का युद्ध किस-किस के बीच हुआ?

इतिहासकारों की माने तो यह युद्ध महाराणा उदय सिंह और चित्तौड़गढ़ के एक दासी पुत्र बनवीर के बीच हुआ था। इस युद्ध में महाराणा उदय सिंह अपनी पैतृक सत्ता को पाने के लिए बनवीर के सामने थे। बनवीर मेवाड़ को हत्याना चाहता था, जो कि एक धूर्त राजनेता की भांति अपने षड्यंत्र चल रहा था, तो वहीं महाराणा उदय सिंह की सेना अपने अधिकारों के लिए इस युद्ध में शामिल हुई थी।

मावली का युद्ध कब हुआ था?

यह युद्ध 1540 ई. में मावली में महाराणा उदयसिंह और चित्तौड़गढ़ के दासी के पुत्र बनवीर का युद्ध हुआ था। इस महासमर में महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने सीधे तौर पर भाग लिया था, तो वहीं दूसरी ओर इस युद्ध में बनवीर ने स्वयं युद्ध में भाग न लेकर, कुंवर सिंह तंवर के नेतृत्व में एक सेना भेजी थी। यह युद्ध इतना भीषण था कि इस युद्ध ने भारत और राजस्थान के इतिहास में अपनी एक अलग छाप छोड़ी।

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मावली का युद्ध का मुख्य कारण क्या था?

इतिहासकारों की माने तो यह युद्ध विभिन्न कारणों से हुआ था, जिसके क्रेंद में एक मुख्य कारण चित्तौड़गढ़ की गद्दी पर अधिकार स्थापित करना था। इतिहास के पैन पलटकर देखा जाए तो महाराणा उदयसिंह मेवाड़ के शासक थे, जो कि अपनी पैतृक सत्ता चित्तौड़गढ़ के शासक बनना चाहते थे। वहीं दूसरी ओर बनवीर चित्तौड़गढ़ की दासी का पुत्र थे, जिन्हें चित्तौड़गढ़ की गद्दी पर बैठाया गया था। गद्दी को लेकर दोनों शासकों में एक लंबे समय तक संघर्ष चला।

इस युद्ध का दूसरा मुख्य कारण, महाराणा उदयसिंह और बनवीर के बीच व्यक्तिगत शत्रुता भी थी। इतिहास में झांका जाए तो आप देखेंगे कि महाराणा उदयसिंह और बनवीर एक-दूसरे को पसंद नहीं करते थे, जिस कारण उनकी शत्रुता ने इस युद्ध की अग्नि में घी डालने जैसा काम किया।

इस युद्ध का तीसरा मुख्य कारण, महाराणा उदयसिंह और बनवीर के बीच उत्पन्न राजनीतिक मतभेद थे। महाराणा उदयसिंह एक लोकप्रिय राजा थे, जबकि बनवीर एक निरंकुश शासक थे। महाराणा उदयसिंह चाहते थे कि प्रजा सुख में रहे और राज्य में प्रत्येक नागरिक के साथ न्यायसंगत व्यवहार हो, जबकि बनवीर इस विषय पर महाराणा उदयसिंह की सोच से विपरीत थे क्योंकि वह चाहते थे, कि केवल उन्ही के समर्थकों को विशेषाधिकार मिले।

मावली के युद्ध का परिणाम

मावली के युद्ध के परिणाम की बात की जाए तो इस युद्ध में महाराणा उदयसिंह की प्रजासुखकारी नीतियों और उनके नेतृत्व की विजय हुई, इस युद्ध में बनवीर की निरंकुशता का नाश हुआ। मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह ने इस युद्ध में बनवीर की हत्या की, जिसके बाद महाराणा उदयसिंह ने चित्तौड़गढ़ की गद्दी पर अपना अधिकार स्थापित किया।

महाराणा उदयसिंह ने एक न्यायप्रिय और लोकप्रिय शासक के रूप में शासन व्यवस्था को मजबूती प्रदान की, जिसके बाद मेवाड़ में शांति और समृद्धि लौट आई। इस युद्ध के बाद राजपुताना एकता सूत्र में बंध गया और मेवाड़ एक सशक्त, समृद्ध और सुरक्षित शक्ति के रूप में उभर कर आया।

मावली के युद्ध से जुड़ी मुख्य बातें

मावली के युद्ध से जुड़ी मुख्य बातों के बारे में भी जान लेना चाहिए, जो कि निम्नलिखित हैं;

  • यह युद्ध 1540 ई. में मेवाड़ के मावली नामक स्थान पर हुआ था।
  • यह युद्ध मेवाड़ नरेश महाराणा उदय सिंह और चित्तौड़गढ़ के एक दासी पुत्र बनवीर के बीच हुआ था।
  • इस युद्ध में महाराणा उदयसिंह की सेना ने बनवीर की सेना को बुरी तरह पराजित कर, बनवीर की निरंकुशता का नाश किया।
  • इस युद्ध में बनवीर की मृत्यु हुई, और महाराणा उदयसिंह चित्तौड़गढ़ के शासक बनाए गए।
  • इस युद्ध  के बाद राजपुताना सशक्त हुआ और एक उभरती शक्ति के रूप में मेवाड़ की पहचान बनी।

FAQs 

मावली का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था?

मावली का युद्ध मेवाड़ नरेश महाराणा उदयसिंह और बनवीर के बीच हुआ था।

मावली का युद्ध किसने जीता?

मावली का युद्ध महाराणा उदयसिंह के वीर सैनिकों की विजय का उत्सव बनकर उभरा, इस युद्ध में बनवीर की शर्मनाक हार हुई और महाराणा उदयसिंह की जय-जयकार हुई।

मावली का युद्ध कब हुआ था?

मावली का युद्ध 1540 ई. में मेवाड़ के मावली नामक स्थान पर हुआ था।

आशा है कि आपको मावली का युद्ध, के बारे में संपूर्ण जानकारी मिली होगी। इसी प्रकार इतिहास से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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