आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी के प्रथम व्यवस्थित संपादक, भाषावैज्ञानिक, इतिहासकार, समाजशास्त्री, समालोचक, अर्थशास्त्री तथा अनुवादक माने जाते हैं, जिन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में विशेष योगदान दिया। वहीं, हिंदी की प्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘सरस्वती’ के माध्यम से उन्होंने पत्रकारिता का श्रेष्ठ रूप हमारे सामने प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 9 मई, 2025 को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की 161वीं जयंती मनाई जा रही है।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की कई रचनाएँ आज भी बी.ए. और एम.ए. के पाठ्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। साथ ही, अनेक शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर शोध कर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त, UGC-NET परीक्षा में हिंदी विषय के अभ्यर्थियों के लिए आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।
नाम | आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी |
जन्म | 09 मई, 1864 |
जन्म स्थान | दौलतपुर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री रामसहाय द्विवेदी |
शिक्षा | स्कूली शिक्षा |
पेशा | संपादक, रेलवे कर्मचारी |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | निबंध, आलोचना, अनुवाद व संपादन |
गद्य रचनाएँ | हिंदी भाषा की उत्पति, कालिदास की निरंकुशता, पुरातत्व प्रसंग, साहित्य सीकर आदि। |
अनुवाद | विनय विनोद, विहार वाटिका, गंगा लहरी, स्नेह माला आदि। |
संपादन | सरस्वती (साहित्यिक पत्रिका) |
निधन | 21 दिसंबर 1938 |
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उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था जन्म
आधुनिक हिंदी साहित्य के पुरोधा, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 9 मई 1864 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के दौलतपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामसहाय द्विवेदी था। द्विवेदी जी का प्रारंभिक बचपन दौलतपुर में ही व्यतीत हुआ।
जब ‘महावीर प्रसाद’ हो गया औपचारिक नाम
द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गांव की पाठशाला से आरंभ हुई। इसके बाद, जब उनके पिताजी ने उनका दाखिला विद्यालय में करवाया, तो भूलवश प्रधानाध्यापक ने उनका नाम ‘महावीर सहाय’ के स्थान पर ‘महावीर प्रसाद’ दर्ज कर लिया। इस त्रुटि पर उनके पिताजी ने भी विशेष ध्यान नहीं दिया, और यह भूल भविष्य में स्थायी हो गई। इसके पश्चात वे हिंदी साहित्य-जगत में ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी’ के नाम से विख्यात हुए।
स्कूली शिक्षा के बाद शुरू की नौकरी
द्विवेदी जी ने स्कूली शिक्षा के बाद स्वाध्याय के माध्यम से ही अध्ययन जारी रखा। इसके पश्चात उन्होंने किशोरावस्था में ही जीवन-यापन हेतु रेलवे विभाग में विभिन्न पदों पर कार्य किया। कुछ वर्षों तक रेलवे में सेवाएं देने के बाद वे झाँसी में ज़िला ट्रैफ़िक अधीक्षक के कार्यालय में मुख्य लिपिक (क्लर्क) के पद पर नियुक्त हुए। नौकरी के दौरान ही उन्होंने अपनी साहित्यिक सृजन-यात्रा का आरंभ किया। लगभग पाँच वर्षों के कार्यकाल के बाद, जब उनके एक उच्चाधिकारी से मतभेद उत्पन्न हुए, तो उन्होंने सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया।
‘सरस्वती’ पत्रिका का किया संपादन
इसके बाद द्विवेदी जी के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन वर्ष 1903 में उनकी जीवन-यात्रा में एक नया मोड़ तब आया, जब वे हिंदी की प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक नियुक्त हुए। क्या आप जानते हैं कि बाबू श्यामसुंदर दास के संपादक पद से इस्तीफ़ा देने के बाद ही द्विवेदी जी को ‘सरस्वती’ पत्रिका की कमान सौंपी गई थी? उल्लेखनीय है कि द्विवेदी जी वर्ष 1903 से 1920 तक ‘सरस्वती’ के संपादक रहे और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन संपादन तथा हिंदी भाषा के परिष्कार में समर्पित कर दिया।
द्विवेदी जी ने केवल हिंदी गद्य-भाषा का परिष्कार ही नहीं किया, बल्कि लेखकों की सुविधा के लिए व्याकरण और वर्तनी के नियम भी निर्धारित किए। संपादन के प्रारंभिक दौर में उन्हें लेखकों की कमी और प्रतिष्ठित साहित्यकारों के साथ छोड़ देने के कारण कई बार स्वयं ही लेख लिखने पड़ते थे।
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अंतिम समय तक नहीं छोड़ा ‘सरस्वती’ का साथ
तकरीबन दो दशकों तक ‘सरस्वती’ पत्रिका का संपादन करने के बाद, जब द्विवेदी जी वर्ष 1920 में गंभीर रूप से बीमार पड़े और उनके ठीक होने की आशा क्षीण हो गई, तब भी उन्होंने पहले से कई लेख लिखकर प्रेस को दे दिए, ताकि जब तक कोई नया संपादक न नियुक्त हो जाए, तब तक ‘सरस्वती’ का प्रकाशन सुचारु रूप से चलता रहे। इस प्रकार, ‘सरस्वती’ का संपादन छोड़ने के कुछ वर्षों बाद, 21 दिसंबर 1938 को उनका निधन हो गया।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की साहित्यिक रचनाएँ
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में लेखन किया, जिनमें प्रमुख रूप से निबंध, आलोचना, इतिहास-लेखन और संपादन शामिल हैं। यहाँ द्विवेदी जी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं का विवरण प्रस्तुत किया गया है, जो इस प्रकार है:
निबंध-संग्रह
- रसज्ञ रंजन
- साहित्य-सीकर
- साहित्य-संदर्भ
- अद्भुत-आलाप
अन्य गद्य रचनाएँ
- वैज्ञानिक कोश
- नाट्यशास्त्र
- हिंदी भाषा की उत्पति
- संपत्तिशास्त्र (अर्थशास्त्र पर लिखी किताब)
- कालिदास की निरंकुशता
- वनिता-विलाप
- कालिदास और उनकी कविता
- सुकवि संकीर्तन
- अतीत स्मृति
- महिला-मोद
- वैचित्र्य-चित्रण
- साहित्यालाप
- कोविद कीर्तन
- दृश्य दर्शन
- पुरातत्व प्रसंग
संपादन
- सरस्वती साहित्यिक पत्रिका (वर्ष 1903 – 1920 तक)
अनुवाद
- विनय विनोद – (वैराग्य शतक – भृतहरि)
- विहार वाटिका – (गीत गोविंद – जयदेव)
- स्नेह माला – (शृंगार शतक – भृतहरि)
- गंगा लहरी – (गंगा लहरी – पंडितराज जगन्नाथ)
- ऋतुतरंगिणी – (ऋतुसंहार – कालिदास)
- मेघदूत – (कालिदास)
- कुमारसंभवसार (कुमारसंभवम – कालिदास)
- भामिनी-विलास (भामिनी विलास- पंडितराज जगन्नाथ)
- अमृत लहरी (यमुना स्रोत – पंडितराज जगन्नाथ)
- बेकन-विचार-रत्नावली (निबंध – बेकन)
- स्वाधीनता (ऑन लिबर्टी – जॉन स्टुअर्ट मिल)
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महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रसिद्ध कविता
- आर्य-भूमि
- भारतवर्ष
- कोकिल
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FAQs
उनका जन्म 9 मई, 1864 को दौलतपुर गांव, जिला रायबरेली, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के पिता का नाम ‘रामसहाय द्विवेदी’ था।
साहित्य-सीकर, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का निबंध संग्रह है।
आचार्य महावीर प्रसाद ने वर्ष 1903 से 1920 तक सरस्वती पत्रिका का संपादन कार्य किया था।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का बीमारी के कारण 21 दिसंबर 1938 को निधन हो गया था।
महावीर की प्रमुख रचनाएं वैज्ञानिक कोश, नाट्यशास्त्र, हिंदी भाषा की उत्पति, संपत्तिशास्त्र (अर्थशास्त्र पर लिखी किताब), कालिदास की निरंकुशता, वनिता-विलाप, कालिदास और उनकी कविता, सुकवि संकीर्तन, अतीत स्मृति, महिला-मोद और वैचित्र्य-चित्रण आदि हैं।
द्विवेदी जी की भाषा खड़ी बोली हिंदी थी।
महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रसिद्ध कविता ‘आर्य-भूमि’, ‘भारतवर्ष’ और ‘कोकिल’ हैं।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने आधुनिक हिंदी साहित्य को व्यवस्थित रूप दिया और उसे समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ‘सरस्वती’ पत्रिका के माध्यम से हिंदी भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार और सुधार का मार्ग प्रशस्त किया।
आशा है कि आपको हिंदी नवजागरण के अग्रदूत आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।