Mahavir Prasad Dwivedi Ka Jivan Parichay : आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी के प्रथम व्यवस्थित संपादक, भाषावैज्ञानिक, इतिहासकार, समाजशास्त्री, समालोचक, अर्थशास्त्री व अनुवादक माने जाते हैं, जिनका आधुनिक हिंदी साहित्य को समृद्धशाली बनाने में विशेष योगदान माना जाता हैं। वहीं हिंदी की प्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘सरस्वती’ के माध्यम से उन्होंने पत्रकारिता का श्रेष्ठ रूप हमारे सामने रखा। बता दें कि इस वर्ष आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की 159वीं जयंती मनाई जाएगी।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की कई रचनाओं को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय (Mahavir Prasad Dwivedi Ka Jivan Parichay) और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रथम आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (Mahavir Prasad Dwivedi) |
जन्म | 09 मई, 1864 |
जन्म स्थान | दौलतपुर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री रामसहाय द्विवेदी |
शिक्षा | स्कूली शिक्षा |
पेशा | संपादक, रेलवे कर्मचारी |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | निबंध, आलोचना, अनुवाद व संपादन |
गद्य रचनाएँ | हिंदी भाषा की उत्पति, कालिदास की निरंकुशता, पुरातत्व प्रसंग, साहित्य सीकर आदि। |
अनुवाद | विनय विनोद, विहार वाटिका, गंगा लहरी, स्नेह माला आदि। |
संपादन | सरस्वती (साहित्यिक पत्रिका) |
निधन | 21 दिसंबर 1938 |
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उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ जन्म
आधुनिक हिंदी साहित्य के पुरोधा आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 9 मई, 1864 में दौलतपुर, जिला रायबरेली, उत्तर में हुआ था। द्विवेदी जी के पिता का नाम ‘रामसहाय द्विवेदी’ था। वहीं द्विवेदी जी का आरंभिक बचपन दौलतपुर में ही बीता।
जब ‘महावीर प्रसाद’ हो गया औपचारिक नाम
द्विवेदी जी की आरंभिक शिक्षा गांव की पाठशाला से शुरू हुई। इसके बाद जब उनके पिताजी ने उनका विद्यालय में दाखिला करवाया तो भूलवश प्रधानाध्यापक ने ‘महावीर सहाय’ के बजाय ‘महावीर प्रसाद’ नाम दर्ज कर लिया। इस बात पर उनके पिताजी ने भी विशेष ध्यान नहीं दिया और यह भूल भविष्य में स्थायी बन गई। जिसके बाद वह आगे चलकर हिंदी साहित्य जगत में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम से विख्यात हुए।
स्कूली शिक्षा के बाद शुरू की नौकरी
द्विवेदी जी ने स्कूली शिक्षा के बाद स्वाध्याय ही अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने किशोरावस्था से ही जीवनयापन हेतु रेलवे में विभिन्न पदों पर रहते हुए नौकरी की। कुछ वर्ष रेलवे में कार्य करने के बाद वह झांसी में ज़िला ट्रैफिक अधीक्षक के कार्यालय में मुख्य क्लर्क नियुक्त हुए। नौकरी के दौरान ही उन्होंने अपनी साहित्य सृजन यात्रा का भी आरंभ किया। वहीं लगभग पांच वर्षों के कार्यकाल पूरा होने के दौरान भी उनकी उच्चाधिकारी से अनबन होने लगी जिसके कारण उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
‘सरस्वती’ पत्रिका का किया संपादन
इसके बाद द्विवेदी जी के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन वर्ष 1903 में उनकी जिंदगी में एक नया मोड तब आया जब वह हिंदी की प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक नियुक्त हुए। क्या आप जानते हैं कि बाबू श्यामसुंदर दास के संपादक पद से इस्तीफ़ा देने के बाद द्विवेदी जी को सरस्वती पत्रिका की कमान सौंपी गई थी। बता दें कि द्विवेदी जी वर्ष 1903 से 1920 तक सरस्वती पत्रिका के संपादक रहे और उन्होंने अपना सारा जीवन संपादन और हिंदी भाषा के सुधार में लगा दिया।
द्विवेदी जी ने केवल हिंदी गद्य की भाषा का परिष्कार किया बल्कि लेखकों की सुविधा के लिए व्याकरण और वर्तनी के नियम स्थिर किए। वहीं संपादन के शुरूआती दौर में उन्हें लेखकों की कमी और प्रतिष्ठित लेखकों के बीच में साथ छोड़कर चले जाने के कारण स्वयं ही लेख लिखने पड़ते थे।
अंतिम समय तक नहीं छोड़ा ‘सरस्वती’ का साथ
तकरीबन दो दशकों तक ‘सरस्वती’ पत्रिका का संपादन करने के बाद जब द्विवेदी जी वर्ष 1920 में गंभीर रूप से बीमार पड़े और उनके ठीक होने की आशा नहीं रही। उस समय भी उन्होंने पहले से ही कई लेख लिखकर प्रेस को दे दिए ताकि उनकी जगह जब तक कोई नया संपादक नहीं आ जाता तब तक सरस्वती का प्रकाशन सुचारु रूप से चलता रहे। इस तरह ‘सरस्वती’ का संपादन छोड़ने के कुछ वर्षों बाद उनका 21 दिसंबर 1938 को निधन हो गया।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की साहित्यिक रचनाएँ
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (Mahavir Prasad Dwivedi Ka Jivan Parichay) जी ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिनमे मुख्य रूप से निबंध, आलोचना, इतिहास लेखन व संपादन शामिल हैं। यहाँ द्विवेदी जी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
निबंध-संग्रह
- रसज्ञ रंजन
- साहित्य-सीकर
- साहित्य-संदर्भ
- अद्भुत-आलाप
अन्य गद्य रचनाएँ
- वैज्ञानिक कोश
- नाट्यशास्त्र
- हिंदी भाषा की उत्पति
- संपत्तिशास्त्र (अर्थशास्त्र पर लिखी किताब)
- कालिदास की निरंकुशता
- वनिता-विलाप
- कालिदास और उनकी कविता
- सुकवि संकीर्तन
- अतीत स्मृति
- महिला-मोद
- वैचित्र्य-चित्रण
- साहित्यालाप
- कोविद कीर्तन
- दृश्य दर्शन
- पुरातत्व प्रसंग
संपादन
- सरस्वती साहित्यिक पत्रिका (वर्ष 1903 – 1920 तक)
अनुवाद
- विनय विनोद – (वैराग्य शतक – भृतहरि)
- विहार वाटिका – (गीत गोविंद – जयदेव)
- स्नेह माला – (शृंगार शतक – भृतहरि)
- गंगा लहरी – (गंगा लहरी – पंडितराज जगन्नाथ)
- ऋतुतरंगिणी – (ऋतुसंहार – कालिदास)
- मेघदूत – (कालिदास)
- कुमारसंभवसार (कुमारसंभवम – कालिदास)
- भामिनी-विलास (भामिनी विलास- पंडितराज जगन्नाथ)
- अमृत लहरी (यमुना स्रोत – पंडितराज जगन्नाथ)
- बेकन-विचार-रत्नावली (निबंध – बेकन)
- स्वाधीनता (ऑन लिबर्टी – जॉन स्टुअर्ट मिल)
महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रसिद्ध कविता
- आर्य-भूमि
- भारतवर्ष
- कोकिल
यह भी पढ़ें : महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताएं
FAQs
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 9 मई, 1864 में दौलतपुर, जिला रायबरेली, उत्तर में हुआ था।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के पिता का नाम ‘रामसहाय द्विवेदी’ था।
बता दें कि साहित्य-सीकर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी निबंध संग्रह है।
आचार्य महावीर प्रसाद ने वर्ष 1903 से 1920 तक सरस्वती पत्रिका का संपादन कार्य किया था।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का बीमारी के कारण 21 दिसंबर 1938 को निधन हो गया था।
महावीर की प्रमुख रचनाएं वैज्ञानिक कोश, नाट्यशास्त्र, हिंदी भाषा की उत्पति, संपत्तिशास्त्र (अर्थशास्त्र पर लिखी किताब), कालिदास की निरंकुशता, वनिता-विलाप, कालिदास और उनकी कविता, सुकवि संकीर्तन, अतीत स्मृति, महिला-मोद और
वैचित्र्य-चित्रण आदि हैं।
द्विवेदी जी की भाषा खड़ी बोली हिंदी थी।
महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रसिद्ध कविता आर्य-भूमि, भारतवर्ष, कोकिल हैं।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी के प्रथम व्यवस्थित संपादक, भाषावैज्ञानिक, इतिहासकार, समाजशास्त्री, समालोचक, अर्थशास्त्री व अनुवादक माने जाते हैं, जिनका आधुनिक हिंदी साहित्य को समृद्धशाली बनाने में विशेष योगदान माना जाता हैं।
पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी के प्रथम आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय (Mahavir Prasad Dwivedi Ka Jivan Parichay) के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
आशा है कि आपको हिंदी साहित्य के विख्यात साहित्यकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय (Mahavir Prasad Dwivedi Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।