भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और ‘बापू’ के नाम से प्रसिद्ध मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी का जीवन एक प्रेरणापुंज के समान है, जो हमें सिखाता है कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर बड़े से बड़े संघर्षों को भी जीता जा सकता है। यही कारण है कि स्कूलों, कॉलेजों और कई प्रतियोगी परीक्षाओं में महात्मा गांधी पर निबंध लिखने को आ जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ी को सदी के महान नेता के संघर्ष और सिद्धांतों से परिचित करवाया जा सके। इसलिए इस लेख में, महात्मा गांधी पर निबंध के कुछ सैंपल्स दिए गए हैं, जिनकी सहायता से आप आसानी से निबंध तैयार कर सकते हैं।
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महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दें। गांधीजी ने 1930 में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसका प्रमुख हिस्सा दांडी मार्च था। इस आंदोलन में उन्हें देशवासियों का अपार समर्थन और प्यार मिला। गांधी जी ने लंदन के इनर टेम्पल से बैरिस्टर- एट-लॉ की डिग्री प्राप्त की।। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।

महात्मा गांधी पर 150 शब्दों में निबंध
महात्मा गांधी, जिन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में सम्मानित किया गया, एक ऐसे महान नेता थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अहिंसा और सत्य के अद्वितीय रास्ते से लड़ा। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, लेकिन उनका प्रभाव न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व पर था।
गांधी जी का विश्वास था कि किसी भी समस्या का हल केवल हिंसा से नहीं, बल्कि सच्चाई, प्रेम और शांतिपूर्ण संघर्ष से ही हो सकता है। उन्होंने ‘सत्याग्रह’ और ‘नमक सत्याग्रह’ जैसे आंदोलनों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विरोध किया। उनका विचार था कि हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। ऐसे में उन्होंने स्वदेशी विचारों को अपनाया और उन्हें अपने आंदोलनों में लागू किया
महात्मा गांधी का जीवन यह सिखाता है कि अगर नीयत सही हो और मार्ग सत्य पर आधारित हो, तो कोई भी महान कार्य संभव है। उनका योगदान भारतीय राजनीति, समाज और स्वतंत्रता संग्राम के लिए अनमोल रहेगा।
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महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध
2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें महात्मा, गांधी जी, महान आत्मा और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। गांधी जी ने भारत को लगभग 190 वर्षों के ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र कराया। बचपन से वह सामान्य ही रहे थे और उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।
दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष से लेकर आज तक और आगे के लिए भी उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।
महात्मा गांधी पर 500 शब्दों में निबंध
महात्मा गांधी, जिन्हें बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे कुछ ही माह बड़ी थीं। गांधी जी और कस्तूरबा की शादी पारंपरिक रूप से हुई थी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।
गांधी जी ने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद, वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का सामना किया और उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।
दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष के दौरान उनके अंदर एक ऐसा नेतृत्व कौशल विकसित हुआ, जिसने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 1920 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और संस्थानों का बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया और भारतीयों के मन में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता पैदा की।
1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर कर दिया और यह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण बना।
गांधी जी का जीवन सादगी, आत्मसंयम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। वे समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी संघर्षरत रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था।
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महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने हमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए संघर्ष, मानवता के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
FAQs
महात्मा गांधी को उनके उपनामों में “बापू” और “राष्ट्रपिता” के नाम से जाना जाता है।
महात्मा गांधी का सबसे प्रसिद्ध नारा “करो या मरो” है, जो उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया था।
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।
गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
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