Krishna Quotes in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अद्भुत प्रतीक हैं। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है जिसमें मनुष्य को जीवन, कर्म, ध्यान, शांति, सत्य, योग और सफलता आदि के बारे में गहराई से जानने को मिलता है। उनके उपदेश और विचार सदियों से मानव को जीवन जीने की सही दिशा दिखा रहे हैं, फिर चाहे वह गीता का संदेश हो या उनके जीवन के प्रेरणादायक किस्से, श्रीकृष्ण के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शिष्य अर्जुन को कुरुक्षेत्र में न केवल ज्ञान की बातें बताई बल्कि इसके साथ ही उन्होंने अर्जुन को जीवन जीने की कलाओं के बारे में भी बताया। भगवान श्री कृष्ण ने अपने वचनों और अलौकिक ज्ञान के आधार पर संसार को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। इस ब्लॉग में आपके लिए योगीराज श्री कृष्ण के अनमोल वचन (Krishna Quotes In Hindi) दिए गए हैं, जो आपको सुख-शांति, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे।
This Blog Includes:
- योगीराज श्री कृष्ण के अनमोल वचन – Krishna Quotes In Hindi
- दिल को छू जाने वाले भगवान श्री कृष्ण के प्रेरक विचार – Heart Touching Inspirational Krishna Quotes In Hindi
- भगवान श्री कृष्ण के विशेष विचार – Shree Krishna Quotes In Hindi
- श्रीमद्भगवद्गीता में लिखित श्री कृष्ण के अनमोल वचन – Shri Krishna Quotes in Hindi
- महाभारत में श्री कृष्ण के कहे 10 अनमोल वचन : Mahabharat Quotes by Krishna in Hindi
योगीराज श्री कृष्ण के अनमोल वचन – Krishna Quotes In Hindi
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान गीता के ये उपदेश अपने प्रिय शिष्य अर्जुन को दिए थे। गीता में दिए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं। श्रीकृष्ण के उपदेश हमें धर्म के मार्ग पर चलते हुए अच्छे कर्म करने की शिक्षा देते हैं। जानते है Krishna Quotes In Hindi जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं।
कर्म किए जाओ, फल की चिंता मत करो।
आत्मा अमर है, इसलिए मरने की चिंता मत करो।
इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है।
नर्क के तीन द्वार हैं: काम, क्रोध और लोभ।
मौन सबसे अच्छा उत्तर है, किसी ऐसे व्यक्ति के लिए, जो आपके शब्दों को महत्व नही देता
आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा में मिल जाना होता है।
धर्म केवल कर्म से होता है कर्म के बिना धर्म की कोई परिभाषा ही नहीं है।
अहंकार करने पर इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव, तीनों ही समाप्त हो जाते हैं।
मैं सभी प्राणियों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ।
मैं सभी प्राणियों का आदि, मध्य और अंत भी हूँ।
सत्य कभी नष्ट नहीं हो सकता।
अच्छा करने से नहीं डरना चाहिए।
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दिल को छू जाने वाले भगवान श्री कृष्ण के प्रेरक विचार – Heart Touching Inspirational Krishna Quotes In Hindi
दिल को छू जाने वाले भगवान श्री कृष्ण के प्रेरक विचार (Heart Touching Inspirational Krishna Quotes In Hindi) कुछ इस प्रकार हैं, जो आपको जीवनभर प्रेरित करेंगे –
समय कभी नहीं रुकता, आज यदि बुरा चल रहा है तो कल अवश्य अच्छा आएगा।
आप केवल निस्वार्थ भाव से कर्म कीजिए, केवल वही आपके हाथ में है।
धर्म कर्म से होता है कर्म के बिना धर्म की कोई परिभाषा नहीं है।
“मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है, लेकिन “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है।
मैंने ही इस सृष्टि की रचना की है मैं ही इसका पालन पोषण करता हूं और मैं ही इस सृष्टि का विनाश अर्थात अंत करता हूं।
प्रेम सदैव माफी मांगना पसंद करता है और अहंकार सदैव माफी सुनना पसंद करता है।
जो मार्ग ईश्वर ने आपके लिए खोला है, उसे कभी भी कोई बंद नहीं कर सकता!
मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मों पर चलता है, जैसा कर्म होता है, वैसा उसका जीवन होता है।
लोग अक्सर सच कहने से बचते हैं या डरते हैं पर सत्य कभी छुप नहीं सकता और न ही कभी मिट सकता है। कितना भी छुपा लो पर सच तो उजागर हो ही जायेगा।
अहंकार से इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव, तीनों ही समाप्त हो जाते हैं।
आत्मा अमर है इसलिए मरने की चिंता कभी मत करो।
मैं ही इस सृष्टि की रचना करता हूँ, मैं हीं इसका पालन-पोषण करता हूँ और मैं हीं इस सृष्टि का विनाश करता हूँ।
जब संसार में धर्म की हानि और अधर्म की विजय होगी, तब मैं इस पृथ्वी पर अवतार लूंगा।
शांति से भी दुखों का अंत हो जाता है और शांत चित्त मनुष्य की बुद्धि शीघ्र ही स्थिर होकर परमात्मा से युक्त हो जाती है।
आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा से मिलन होता है।
मौन सबसे अच्छा उत्तर है ऐसे व्यक्ति के लिए, जो आपके शब्दों को महत्व नही देता।
जो बात सच पर आधारित हो उसे करने या कहने और मानने से कभी नहीं डरना चाहिए।
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भगवान श्री कृष्ण के विशेष विचार – Shree Krishna Quotes In Hindi
भगवान श्री कृष्ण के विशेष विचार (Shree Krishna Quotes In Hindi) आपको सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं –
इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है। इसलिये जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाये रखना।
धर्म केवल रास्ता दिखाता है, लेकिन मंजिल तक तो कर्म ही पहुँचाता है।
वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है। मैं और मेरा की लालसा तथा भावना से मुक्त हो जाता है। उसे शांति प्राप्त होती है।
श्री कृष्ण ने कहा है, अगर तुम्हें किसी ने दुखी किया है तो बुरा मत मानना। लोग उसी पेड़ पर पत्थर मारते है, जिस पेड़ पर ज्यादा मीठे फल होते है।
स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं। और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें, वो कभी नही टूटते।
यदि व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार और भगवान से पहले माता पिता को पहचान ले तो जीवन में कभी कोई कठिनाई नही आएगी।
समय कभी किसी के लिए नहीं रुकता।
मनुष्य को अपने मन को बार-बार समझाना चाहिए कि ईश्वर के सिवा उसका कोई नहीं है।
मनुष्य को हर परिस्थिति में शांत और धीरज बनाए रखना चाहिए, क्योंकि यही उसे महानता की ओर ले जाता है।
जो अपने मन को माया-मोह से दूर रखता है, वही सच्चे सुख का अनुभव करता है।
विषयों का चिंतन करने से विषयों की आसक्ति होती है। आसक्ति से इच्छा उत्पन्न होती है और इच्छा से क्रोध होता है। क्रोध से सम्मोहन और अविवेक उत्पन्न होता है।
जो कुछ हुआ, अच्छे के लिए हुआ। जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है। जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।
मेरे लिए न कोई घृणित है और न ही कोई प्रिये, न कोई निर्धन है और न ही कोई धनी, बस जो भक्ति भाव के साथ मुझे याद करते हैं मैं उनका हूँ और वो मेरे।
आप वही हैं जिसमें आप विश्वास करते हैं, आप वह बन जाते हैं जो आप मानते हैं कि आप बन सकते हैं।
अगर तुम अपना कल्याण करना चाहते हो, तो सभी तरह के उपदेशों, सभी धर्मों को छोड़ कर मेरी शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें मुक्ति प्रदान करुंगा।
जिस इंसान के चारों तरफ नकारात्मक लोग रहते हैं, उस इंसान का अपने लक्ष्य से भटक जाना तय है।
स्वयं पर विश्वास रखो, क्योंकि आत्मविश्वास से ही असंभव भी संभव हो जाता है।
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श्रीमद्भगवद्गीता में लिखित श्री कृष्ण के अनमोल वचन – Shri Krishna Quotes in Hindi
श्रीमद्भगवद्गीता में लिखित श्री कृष्ण के अनमोल वचन (Shri Krishna Quotes in Hindi) कुछ इस प्रकार हैं, जो आपको जीवनभर प्रेरित करेंगे :
इंद्रियों के अधीन होने से मनुष्य के जीवन में विकार और परेशानियां आती है।
सुख-दुख का आना-जाना सर्दी-गर्मी के आने-जाने के जैसा ही है। इसलिए इन्हें सहन करना सीखना ही उचित है।
निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है परंतु मर्यादा मनुष्य का मन खुद निर्माण करता है।
जीवन में वाणी को संयम में रखना अनिवार्य है क्योंकि वाणी से दिए हुए घाव कभी भरे नहीं जा सकते।
मनुष्य उसके लिए शोक करता है जो शोक करने के योग्य नही हैं, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।।
मैं हमेशा तुम्हारे साथ और तुम्हारे आसपास रहता है चाहे तुम कुछ भी कर रहे हों।
जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा अच्छा होगा। स्वयं को मुझ पर छोड़ दो अपने कर्म पर ध्यान दो। कर्म ऐसा जो स्वार्थरहित पापरहित हो।
जीवन में समय चाहे जैसा भी हो, परिवार के साथ रहो। सुख हो तो बढ़ जाता है, और दुख हो तो बट जाता है।
मोहग्रस्त होकर अपने कर्तव्य पथ से हट जाना मूर्खता है, क्योंकि इससे ना तो तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और ना ही तुम्हारी कीर्ति बढ़ेगी।
श्रीकृष्ण कहते है कि सत्संग ईश्वर की कृपा से मिलता है। परंतु कुसंगति में पड़ना मनुष्य के अपने ही हाथों में होता है।
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महाभारत में श्री कृष्ण के कहे 10 अनमोल वचन : Mahabharat Quotes by Krishna in Hindi
यहाँ आप महाभारत में श्री कृष्ण के कहे 10 अनमोल वचन (Mahabharat Quotes by Krishna in Hindi) पढ़ पाएंगे, जिनके माध्यम से महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्मों पर अडिग रहने के लिए प्रेरित किया था –
कर्म का फल व्यक्ति को उसी तरह ढूंढ़ लेता है, जैसे कोई बछड़ा सैकड़ों गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ़ लेता है।
इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है।
मैं सभी जीवों में विद्यमान हूं, मैं चींटी में भी विद्यमान हूं और हाथी में भी विद्यमान हूं।
मेरे भी कई जन्म हो चुके हैं। तुम्हारे भी कई जन्म हो चुके हैं। ना तो मेरा अंतिम जन्म है और ना यह तुम्हारा अंतिम जन्म है।
व्यक्ति कर्म करने से कभी छुटकारा नहीं पा सकता है। इसलिए तुम्हें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। क्योंकि कर्म के बिना तुम्हारे शरीर का निर्वाह भी नहीं हो सकता है।
परिवर्तन ही संसार में स्थाई है। इसलिए परिवर्तन से भयभीत नहीं होना चाहिए।
जो लोग दूसरों की सहायता करते हैं, ईश्वर उनकी सहायता करते हैं।
जब यह संसार ही स्थाई नहीं है, तो इस संसार की कोई वस्तु कैसे स्थाई हो सकती है?
आत्मा शरीर को वैसे ही छोड़ देती है, जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है।
मन शरीर का हिस्सा है। सुख दुख का एहसास करना आत्मा का नहीं शरीर का काम है। मान अपमान लाभ हानि गम और खुशी सब मन का खेल है।
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