भारत में 100 से भी अधिक राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। उद्यानों का अपना एक खास महत्व होता है जिसके होने से शहर की महत्वता और भी बढ़ जाती है। हम इस आर्टिकल में आपको एक ऐसे नेशनल पार्क के बारे में बताएंगे जो पक्षियों की विविधता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जी हाँ उस उद्यान को “पक्षियों का स्वर्ग” भी कहा जाता है क्योंकि 350 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ वहां की निवासी मानी जाती है। हम जिस राष्ट्रीय उद्यान की बात कर रहे हैं, उसका नाम है केवलादेव नेशनल पार्क। आइए इस ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं केवलादेव नेशनल पार्क के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। यहाँ आपको उद्यान की प्राकृतिक विशेषताओं, पक्षियों की विविधता आदि के बारे में विस्तृत रूप से बताएंगे।
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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का संक्षिप्त परिचय
राजस्थान के भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है जो पक्षियों की विविधता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह उद्यान एक अद्भुत पर्यटन स्थल का केन्द्र है जहाँ करीब 350 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है। सर्दियों के मौसम में यहाँ साईबेरिया से सारस आदि पक्षी भी देखने को मिलते हैं। इस उद्यान में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां भी पाई जाती है, जिसमें बांस के जंगल, तालाब, और घास के मैदान आदि शामिल हैं। पक्षियों के अलावा इस उद्यान में कई प्रकार के जानवर भी पाए जाते हैं, जिनमें हिरण, नीलगाय, मगरमच्छ आदि शामिल हैं।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
आपको बता दें कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है। इस उद्यान का निर्माण 18वीं शताब्दी में भरतपुर के राजा सूरजमल द्वारा किया गया था। भरतपुर के कुशल योद्धा और प्रशासक राजा सूरजमल ने इस उद्यान का निर्माण एक शिकारगाह के रूप में किया था। साल 1938 के समय इस उद्यान में केवल एक ही दिन में करीब 4273 पक्षियों का शिकार किया गया था। लेकिन उसके बाद 1956 में, इस उद्यान को बर्ड सेंचुरी घोषित किया गया। जिसकी घोषणा के बाद यहाँ अवैध शिकार और वन कटाई पर रोक लगाई गई। 10 मार्च 1982 को इसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
इतिहासकारों के मुताबिक, इस उद्यान का नाम केवलादेव मंदिर के नाम पर रखा गया है। भगवान शिव को समर्पित केवलादेव मंदिर इसी उद्यान के भीतर स्थित है। अब बात करें अगर इस उद्यान के भौगोलिक स्थिती की तो इसकी स्थिती कुछ ऐसी है कि यहां अक्सर बाढ़ का खतरा बना रहता था। जिसके बाद 1736 से 1763 के बीच राजा सूरजमल ने यहां अजान बांध का निर्माण करवाया था। बता दें कि यह बांध दो नदियों गंभीर और बाणगंगा के संगम पर स्थित है।
विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल
आपको बता दें कि इस राष्ट्रीय उद्यान को 1985 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। इस उद्यान को पक्षियों की विविधता के लिए विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया। विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल होने वाला यह भारत का 11वां आकर्षक स्थल था। आपको बता दें कि अभी तक भारत में कुल 41 विश्व धरोहर स्थल है जिसमें से 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं। यह भी बता दें कि वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स इन इंडिया में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। उसके बाद धीरे धीरे कई स्थल जुड़ते चले गए। वहीं हाल ही में 18 सितम्बर 2023 को शांतिनिकेतन को वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।
इस उद्यान से जुड़ी विशेष बातें
रिसर्च के बाद सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है। यहां पानी का मुख्य स्रोत अजान बांध है। जिसे गंभीर नदी से पानी की सुविधा मिलती है। लेकिन साल 2003-04 में गंभीर नदी पर बने पांचना बांध के निर्माण ने यहाँ पानी की समस्या और ज्यादा बढ़ गई है। वहीं यह भारत का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है जो 2 मीटर ऊंची चारदीवारी से घिरा हुआ है। इस चारदीवारी का उद्देश्य अतिक्रमण, अवैध गतिविधियों जैसी संभावनाओं को कम करना है।
FAQs
केवलादेव नेशनल पार्क राजस्थान के भरतपुर में स्थित है।
केवलादेव नेशनल पार्क में लगभग 350 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। इनमें से कई पक्षी विलुप्तप्राय हैं। बता दें कि केवलादेव नेशनल पार्क को “भारत का पक्षी राजधानी” भी कहा जाता है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का है। इस समय मौसम सुहावना होता है और पक्षियों की संख्या अधिक होती है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में घूमने के लिए निम्नलिखित दर्शनीय स्थल हैं:
1. तालाब
2. बांस के जंगल
3. पक्षी अभयारण्य
4. यमुना नदी
केवलादेव नेशनल पार्क घूमने के लिए निम्नलिखित सावधानियां रखनी चाहिए:
1. पक्षियों को छूना या परेशान नहीं करना चाहिए।
2. कूड़ा नहीं फैलाना चाहिए।
3. पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
आशा है कि आपको केवलादेव नेशनल पार्क से जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में मिल गयी होगी। वैश्विक धरोहर से जुड़े ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।