मानवीय संवेदनाओं के कवि केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय

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Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay

केदारनाथ सिंह आधुनिक हिंदी कविता में बिंब-विधान के श्रेष्ठ कवि हैं। वे प्रयोगवाद के प्रवर्तक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ के संपादन में चर्चित कविता संकलन ‘तीसरे तारसप्तक’ के प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं। उनकी कविताओं का अनुवाद कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में हुआ है। उन्होंने मुख्य रूप से कविता, आलोचना और निबंध विधा को समृद्ध किया है। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ सहित कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया। इस लेख में UGC-NET अभ्यर्थियों के लिए केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।

नाम केदारनाथ सिंह
जन्म 07 जुलाई, 1934
जन्म स्थान चकिया गांव, बलिया जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम डोमन सिंह
माता का नाम लालझरी देवी
शिक्षा एम.ए. व पीएचडी 
पेशा प्राध्यापक, कवि, लेखक, संपादक  
भाषा हिंदी 
साहित्य काल आधुनिक काल 
विधाएँ कविता, आलोचना, संपादन 
काव्य रचनाएँ ‘अभी, बिलकुल अभी’, ‘ज़मीन पक रही है’, ‘यहाँ से देखो’ और ‘अकाल में सारस’ आदि।
पुरस्कार एवं सम्मान ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’,  ‘मैथलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान’ व ‘कुमारन आशान पुरस्कार’, दिनकर पुरस्कार और व्यास सम्मान आदि। 
निधन 19 मार्च 2018, नई दिल्ली 

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था जन्म

समादृत कवि-लेखक केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई, 1934 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में चकिया नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘डोमन सिंह’ और माता का नाम ‘लालझरी देवी’ था। बताया जाता है कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। इसके बाद वे उच्च अध्ययन के लिए बनारस में रहे और ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ से हिंदी में एम.ए किया। फिर वहीं से ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंब विधान’ विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 

प्राध्यापक के रूप में की करियर की शुरुआत 

केदारनाथ सिंह पेशे से हिंदी के प्राध्यापक थे। बनारस से पीएचडी करने के उपरांत वे कुछ समय तक गोरखपुर में हिंदी प्राध्यापक रहे फिर वर्ष 1976 से 1999 तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत हुए। 

केदारनाथ सिंह का साहित्यिक परिचय 

केदारनाथ सिंह ने अध्यापन के साथ ही आधुनिक हिंदी साहित्य में अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया हैं। माना जाता है कि साहित्य के क्षेत्र में उनका पर्दापण काव्य लेखन से हुआ था। वे मूलत: मानवीय संवेदनाओं के कवि हैं। वहीं उनकी कविताओं में मानवता, पर्यायवरण, प्रकृति, भूमंडलीकरण और ग्रामीण समाज और संस्कृति आदि पर विचार व्यक्त होते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में बिंब विधान पर विशेष बल दिया है। 

उनकी कविताओं में शोर और हिंसा की बजाए विद्रोह का शांत और संयत स्वर सशक्त रूप में उभरता है। उनकी बहुचर्चित लंबी कविता ‘बाघ’ आधुनिक हिंदी काव्य में ‘मील का पत्थर’ मानी जाती है। इसके साथ ही वे काव्य पाठ के लिए विश्व के अनेक देशों में आमंत्रित किए जाते थे।

केदारनाथ सिंह की भाषा शैली 

केदारनाथ सिंह अपनी रचनाओं में आम बोलचाल की भाषा और देशी जुमलों का प्रयोग करते थे। वे जटिल विषयों को भी सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करते थे। उनकी कविताओं में ग्रामीण जीवन और प्रकृति के सुंदर और जीवंत चित्र देखे जा सकते हैं।

तीसरे तार सप्तक के प्रमुख कवि 

केदारनाथ सिंह, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ द्वारा सन 1959 में संपादित तीसरे तार सप्तक के प्रमुख सात कवियों में से एक थे। तीसरे तार सप्तक के कवियों में उनके अलावा ‘प्रयाग नारायण त्रिपाठी’, ‘कीर्ति चौधरी’, ‘कुंवर नारायण’, ‘विजयदेव नारायण साही’, ‘मदन वात्स्यायन’ और ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ शामिल थे। 

केदारनाथ सिंह की साहित्यिक रचनाएँ

केदारनाथ सिंह ने आधुनिक हिंदी साहित्य में कविता, आलोचना और निबंध विधा में श्रेष्ठ रचनाओं का सृजन किया हैं। साथ ही उन्होंने संपादन के क्षेत्र में कार्य किया है। यहां उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गई है:-

काव्य-संग्रह

  • अभी, बिलकुल अभी
  • ज़मीन पक रही है
  • यहाँ से देखो
  • अकाल में सारस 
  • उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ 
  • तालस्ताय और साइकिल
  • बाघ
  • सृष्टि पर पहरा 
  • मतदान केन्द्र पर झपकी 
  • प्रतिनिधि कविताएँ

आलोचनात्मक पुस्तकें

  • कल्पना और छायावाद
  • आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान का विकास 

निबंध संग्रह 

  • मेरे समय के शब्द 
  • क़ब्रिस्तान में पंचायत 

संवाद

  • मेरे साक्षात्कार

संपादन

  • ताना बाना 
  • समकालीन रुसी कविताएँ 
  • कविता दशक 
  • साखी 
  • शब्द 

पुरस्कार एवं सम्मान 

हिंदी काव्य और शिक्षा में योगदान के लिए केदारनाथ सिंह को कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, जैसे:-

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार – वर्ष 2013 में उन्हें देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ‘49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्रदान किया गया था। 
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार – ‘अकाल में सारस’ काव्य-संग्रह के लिए उन्हें वर्ष 1989 में सम्मानित किया गया.
  • व्यास सम्मान 
  • मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ (मध्य प्रदेश) 
  • कुमारन आशान पुरस्कार’ (केरल) 
  • दिनकर पुरस्कार’ (बिहार) 
  • जीवन भारती सम्मान 
  • भारत भारती सम्मान (उत्तर प्रदेश) 
  • गंगाधर मेहर राष्ट्रीय कविता सम्मान (उड़ीसा)
  • जाशुआ सम्मान (आंध्र प्रदेश)

83 वर्ष की आयु में हुआ निधन 

केदारनाथ सिंह ने कई दशकों तक हिंदी साहित्य में अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया हैं। किंतु वृद्वावस्था में गंभीर बीमारी के कारण उनका 83 वर्ष की आयु में नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय काव्य कृतियों के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं।

FAQs

केदारनाथ सिंह का जन्म कब और कहां हुआ?

केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई 1932 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ।

केदारनाथ सिंह के माता पिता का क्या नाम है?

केदारनाथ सिंह की माता का नाम लालझरी देवी’ और पिता का नाम ‘डोमन सिंह’ था। 

केदारनाथ सिंह को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब प्रदान किया गया?

वर्ष 2013 में केदारनाथ सिंह को 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। वे हिंदी के दसवें लेखक थे जिन्हें यह सम्मान मिला।

केदारनाथ सिंह किस युग के कवि थे?

वे हिंदी साहित्य में आधुनिक काल के प्रमुख कवि थे।

केदारनाथ सिंह की मृत्यु कब हुई?

19 मार्च, 2018 को नई दिल्ली में 83 वर्ष की उम्र में केदारनाथ सिंह का निधन हुआ।

आशा है कि आपको प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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