हायर एजुकेशन में नियमों और योजनाओं की जांच एक्सपर्ट पैनल करेगा। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने शेड्यूल काॅस्ट (SC), शेड्यूल ट्राइब्स (ST), OBC और अल्पसंख्यक समुदायों के स्टूडेंट्स के लिए गैर-भेदभावपूर्ण वातावरण (non-discriminatory environment) देने के लिए पैनल का गठन किया है।
UGC की ओर से बताया गया है कि छात्रों की शिकायतों और मेंटल हेल्थ के समाधान के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। 2012 में UGC (उच्च शिक्षण संस्थानों में समानता को बढ़ावा देना) नियम जारी किए गए थे। इन नियमों में सभी हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स में प्रवेश के मामले में SC और ST के किसी भी छात्र से भेदभाव न करने का प्रावधान है।
हायर एजुकेशन रेगुलेटर के एक्सपर्ट पैनल द्वारा इन कम्युनिटीज के लिए नियमों और योजनाओं की जांच की जाएगी। शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने इन कम्युनिटीज के हितों की रक्षा के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। उस समय संस्थानों को किसी भी छात्र को परेशान करने वाले व्यक्तियों और अधिकारियों को प्रतिबंधित करने की आवश्यकता थी।
इस वर्ष अप्रैल में हुआ था यह संशोधन
रेगुलेटर ने अप्रैल में अपने 2019 नियमों को संशोधित किया और UGC (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 जारी किया था। इसके बाद UGC ने शेड्यूल काॅस्ट (SC), शेड्यूल ट्राइब्स (ST), OBC और महिलाओं के प्रतिनिधियों को छात्र शिकायत निवारण समितियों (students grievance redressal committees) के अध्यक्ष या सदस्यों के रूप में नियुक्त करना अनिवार्य कर दिया था।
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।
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