Happy Mother’s Day Story : इस मदर्स डे को खास बनाने के लिए जब की हमने कुछ टॉपर से उनके सक्सेस की कहानी, तो उसमें माँ रही सबसे आगे। अर्पित सक्सेना स्पोर्ट्स ऑफिसर, नर्सिंगपुर से बात करने पर उन्होंने बताया किस तरह उनकी माँ ने अकेले उनके जीवन को एक सही दिशा दी और उन्होंने अपने मां का सपना पूरा किया।
6 साल की उम्र में अपने पिता जी को खो देने के बाद मेरी माता जी ही मेरे लिए मेरे पिता की पूरी भूमिका निभा रही थी। सिंगल मदर होने के बाद भी उन्होंने मुझे पिता जी की कमी को महसूस नहीं होने दिया। मेरी माँ ने मेरे पूरे घर को संभाला और उन्हीं के मार्गदर्शन में हमने अपनी पूरी पढ़ाई करी। उन्होंने हमेशा मुझे हर फील्ड में जहां मैंने चाहा मुझे सपोर्ट किया। एक टीचर की तरह हालांकि वह एक टीचर हैं। इसलिए उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मेरी माँ को टाइम मैनेजमेंट बहुत अच्छे से आता है, इसी लिए उन्होंने जॉब के साथ 3 बच्चों को एक अच्छे मुकाम पर पहुचाया। जब मैं उनको इतने संघर्षों से लड़ते हुए देखता था तो उनसे बहुत कुछ सीखता था। हर गलती पर एक शिक्षक की तरह सीख देती हैं।
परेशानियों पर नहीं करियर पर करो फोकस
जब मैं 11वीं में आया तो उन्होंने मुझे कहा अब तुम बड़े हो गए हो, अब तुम अपनी चीजें खुद करो तुमको क्या करना है, कहां पढ़ना है ये अब तुम्हारा निर्णय होना चाहिए। यहां से मेरे जीवन में एक बदलाव आया और मैंने अपनी सही दिशा में बढ़ना शुरू कर दिया। एक बात याद है मुझे जब मेरी माँ ने मुझे शहर से बाहर एडमिशन लेते समय कही थी कि तुमको ये नहीं सोचना है की हमारी कंडीशन क्या है, फैमिली में परेशानी क्या है। तुमको बस अपने करियर में फोकस करना है और कुछ बेहतर करना है।
इन शब्दों ने मुझे बहुत प्रेरित किया और मैंने NET Exam, NVS Exam और MPPSC Exam को पास किया और आज उनके सही निर्देश से मैं स्पोर्ट ऑफिसर के पद पर चयनित हूँ। मेरी माँ ने कभी मुझ पर परसेंटेज का लोड नहीं आने दिया। मेरी माँ सबसे ज्यादा तब खुश हुई जब मैंने MPPSC के एग्जाम को पास किया।
जब पहली बार खाई मां की डांट
मैंने 6वीं क्लास में अपनी माँ से पहली बार डाँट तब खाई, जब मैंने अपनी माँ से जल्दी में अपने रिपोर्ट कार्ड पर साइन कराकर जमा कर दिया था, क्योंकि मैं 3 विषय में फेल हो गया था और डांट ना खाने की वजह से माँ को स्कूल जाने के टाइम ही उनसे साइन कराया। क्योंकि मेरी कंडीशन ऐसी नहीं थी की मेरी माँ मुझ CBSE में पढ़ा सके, लेकिन उन्होंने ये कोशिश की।
एक विश्वास था कि मां का सपना जरूर करूंगा पूरा
मेरी माँ का सपना था की मैं एक सफल बनूं और अपनी जॉब को ईमानदारी के साथ करूँ। क्योंकि मेरा मानना है आप कितना भी नाम कमा ले पर आपके नाम में उनका नाम जुड़ा होता है। इस पूरे सफर में मेरा सपना हमेशा था की मैं एक बार अपनी माँ को उस कुर्सी पर बैठा सकूं जिसके लिए उन्होंने मेरे साथ बहुत मेहनत की है और ये सपना मैंने पूरा भी किया अपनी माँ को उस कुर्सी में बैठाया जहां आज मैं बैठता हूँ। मुझे लगता है जो लोग मंदिर में जाकर पूजा करते है और कभी कोई विपत्ति आने पर डर जाते है, तो आपको बस एक व्यक्ति पर विश्वाश रखना चाहिए वो है माँ। क्योंकि माँ से बड़ा कोई टीचर हो ही नहीं सकता।
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