बाबा गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के प्रथम गुरु थे। उनकी जयंती प्रतिवर्ष प्रकाश पर्व (Prakash Parv) या गुरु पर्व (Guru Parv) के रूप में मनाई जाती है। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। गुरु नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्म सुधारक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु जैसे सभी गुणों से युक्त थे। उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के लिए अपने जीवन के लगभग 24 वर्ष यात्राओं में बिताए। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने अनेक धार्मिक संतों से संवाद किए और अपने विचारों का प्रचार-प्रसार किया।
बाबा गुरु नानक ने अपने जीवनकाल में कुछ रचनाओं का भी सृजन किया था। उनकी रचनाओं में ‘जपु’, ‘ओंकार’, ‘बारहमासा’, ‘आसा दी वार’ व ‘श्लोक’ आदि प्रमुख एवं महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में बाबा गुरु नानक का जीवन परिचय और रचनाएँ दी गई है।
नाम | बाबा गुरु नानक देव |
जन्म | 15 अप्रैल, 1469 |
जन्म स्थान | तलवंडी गांव (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) |
पिता का नाम | मेहता कालू यानी कल्याण चंद |
माता का नाम | माता तृप्ता |
पत्नी का नाम | सुलक्खनी |
संतान | श्रीचंद और लख्मी चंद |
भाषा | पंजाबी, संस्कृत, अरबी, फ़ारसी |
यात्राएं | भारत के अतिरिक्त एशिया व अरब देश |
स्थापना | सिख धर्म |
रचनाएँ | ‘जपु’, ‘ओंकार’, ‘बारहमासा’, ‘आसा दी वार’ व ‘श्लोक’ आदि। |
मृत्यु | 22 सितंबर, 1539 करतापुर, पाकिस्तान |
जीवनकाल | 70 वर्ष |
धार्मिक उत्तराधिकारी | गुरु अंगद देव |
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तलवंडी नामक गांव में हुआ था जन्म
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ईस्वी को तलवंडी नामक गांव में (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालू यानी कल्याण चंद और माता का नाम तृप्ता था। वहीं गुरु नानक देव जी के जन्म व जीवन के संबंध में अनेक जन्म सखियाँ मिलती हैं। बताना चाहेंगे उस समय दिल्ली के तख़्त पर ‘बहलोल खान लोदी’ का शासन था।
गुरु नानक देव जी का व्यक्तिगत जीवन
गुरु नानक देव जी जीवन के प्रथम 18 वर्ष अपने पैतृक कस्बे में रहे व शिक्षा आदि प्राप्त की। बताया जाता है कि 18 वर्ष की आयु में वे अपनी बहिन नानकी के पास सुल्तानपुर लोधी गए, जहाँ उन्होंने लगभग 10 वर्ष बिताए। उनका विवाह सुलक्खनी जी से हुआ, जो पंजाब के (भारत) गुरदासपुर जिले के लाखौकी की रहने वाली थीं। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थे।
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जीवन में की अनेक यात्राएँ
माना जाता है कि दोनों बच्चों के जन्म के कुछ समय बाद ही सन 1497 के आसपास बाबा नानक ज्ञान प्राप्ति के लिए निकल गए। फिर अगले 24 वर्ष उन्होंने यात्राओं में बिताए। इन चौबीस वर्षों में उन्होंने चार लंबी यात्राएं कीं, जो चार उदासियों के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने संपूर्ण भारत के अतिरिक्त एशिया व अरब में कई देशों की याताएं की थीं।
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गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं
बाबा गुरु नानक ने करतापुर (रावी नदी के तट पर डेरा बाबा नानक) में एक केंद्र स्थापित किया व अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यहीं बिताए। यहां उन्होंने सामान्य जन को ज्ञान और मुक्ति का मार्ग बताया तथा अपने अनुयायियों के लिए करतापुर में एक नियमित उपासना पद्धति अपनाई, जिसके अंतर्गत उन्हीं के ‘शबदों’ (भजनों) को गाया जाता था। वहीं उनके अनुयायी अपने-अपने धर्म, जाति अथवा लिंग-भेद को नजरअंदाज करके एक सांझी रसाई में इकट्ठे खाते-पीते थे। इसे ‘लंगर’ कहा जाता है। बाबा गुरु नानक ने उपासना और धार्मिक कार्यों के लिए जो जगह नियुक्त की थी, उसे ‘धर्मसाल’ कहा गया। आज इसे गुरुद्वारा कहते हैं।
बाबा गुरु नानक की रचनाएँ
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल में कुछ अनुपम कृतियों का सृजन भी किया था। इनकी संपूर्ण प्रमाणिक रचना ‘आदि ग्रंथ’ में संकलित है। उनके कुल पदों की संख्या 958 या कुछ कम मानी जाती है। वहीं उनकी संपूर्ण रचना एक प्रौढ़ कवि की रचना प्रतीत होती है। उनके काव्य में दार्शनिकता व ज्ञान की प्रधानता है, साथ ही सामाजिक चेतना और अन्याय के विरोध का भी चित्रण हुआ है। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी जा रही है:-
- जपु
- ओंकार
- बारहमासा
- आसा दी वार
- श्लोक
- सिंध गोसटि
- पट्टी
- आरती
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दिव्य ज्योति में लीन हुए
बाबा गुरु नानक सन 1539 में 70 वर्ष का भरापूरा जीवन जीकर, अपने एक अनुयायी लहणा (गुरु अंगद देव जी) को अपना धार्मिक उत्तराधिकारी स्थापित कर दिव्य ज्योति में लीन हो गए।
FAQs
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ईस्वी को हुआ था।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ईस्वी को तलवंडी नामक गांव में हुआ था।
बाबा गुरु नानक के पिता का नाम मेहता कालू यानी कल्याण चंद और माता का नाम तृप्ता था।
गुरु नानक जी का विवाह सुलक्खनी जी से हुआ था।
22 सितंबर, 1539 को करतापुर में गुरु नानक जी की मृत्यु हुई थी।
वर्ष 2025 में गुरु नानक जयंती 5 नवंबर को मनाई जाएगी।
गुरु ग्रंथ साहिब छह सिख गुरुओं, 15 संतों द्वारा लिखे गए भजनों का एक संग्रह है।
गुरु अंगद ने बाबा गुरु नानक की रचनाओं का संग्रह किया था।
आशा है कि आपको बाबा गुरु नानक का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।