EU और भारत ने लिए माईग्रेशन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण फैसले

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EU और भारत ने लिए माईग्रेशन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण फैसले

EU और इंडिया के बीच हाल ही में हुई इस छटी मीटिंग में कई ज़रूरी मुद्दों पर बात की जिसमें मुख्य रूप से माइग्रेशन और मोबिलिटी से जुड़ी बातों को सबके समक्ष रखा गया। इस मीटिंग का उद्देश्य माइग्रेशन के प्रोसेस को सेफ और आसान बनाने का था। जिससे प्रोफेशनल, स्टूडेंट्स और स्किल्ड वर्कफोर्स को माइग्रेशन के लिए कम दिक्क्तों का सामना करना पड़े। यह जानकारी मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स द्वारा 28 अक्टूबर 2022 को दी गई स्टेटमेंट से प्राप्त हुई। 

जहाँ पिछली पांच मीटिंग्स में यूरोपियन यूनियन और भारत ने विभिन्न मुद्दों को सुलझाया और कई महत्वपूर्ण निर्णयों पर पहुचें, ब्रुसेल्स में हुई इस बार की मीटिंग में भी कई महत्वपूर्ण आस्पेक्ट्स को डिसकस किया गया। मिनिस्ट्री द्वारा दी गई जानकारी अनुसार इस डिस्कशन में मूल रूप से माइग्रेशन को बढ़ावा देने हेतु उसकी सेफ्टी और उसमें आ रही इररेगुलेरिटी को लेकर ज़रूरी बातों को सामने लाया गया। 

इसके साथ-साथ इस डिस्कशन में उन हिस्सों पर ध्यान दिया गया जिनपर काम कर हालातों को बेहतर बनाया जा सकता है। इसमें मुख्यतः प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स और स्किल्ड वर्कफोर्स के साथ साथ नेशन के हित और म्युचुअल बेनिफिट्स पर ध्यान दिया गया। 

यह डिस्कशन औसाफ़ सईद और मोनिक परियत द्वारा को-चेयर्ड किया गया। जिसमें औसाफ़ सईद, एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्ट्री में सेक्रेटरी हैं और कांसुलर, पासपोर्ट और वीज़ा से जुड़े मुद्दों की देख रेख करते हैं वहीँ मोनिक परियत यूरोपियन कमीशन में डायरेक्टर जनरल हैं जो मुख्यतः माइग्रेशन और होम अफेयर्स को हैंडल करने का ज़िम्मा लेते हैं। 

औसाफ़ सईद ने डिस्कशन की बारीकियां बताते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय स्टूडेंट्स, बिज़नेसमेन और टूरिस्ट्स के लिए ट्रेवल को आसान बनाने हेतु ज़रूरत को ज़ाहिर किया। साथ ही उन्होंने लीगल माईग्रेशन स्किल मैपिंग पर कोलैबोरेशन और प्रसिद्ध एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया और यूरोपियन यूनियन के बीच टायअप्स के बारे में भी बात की। 

दोनों ही साइड्स ने अपने पिछले एडिशन में लिए गए प्रण को इम्प्लीमेंट करने की सैटिस्फैक्शन को भी ज़ाहिर किया जोकि माइग्रेशन और मोबिलिटी कॉमन एजेंडा (CAMM) था। इस एजेंडा में इंडिया और EU दोनों के लोगो के म्युचुअल फायदे के बारे में फैसले लिए गए। साथ ही उन्होंने माईग्रेशन से जुड़े मुद्दों में सुधार हेतु सुझाव व्यक्त किए। स्टेटमेंट के अनुसार क्योंकि भारत और EU ने अपने टाय अप के 60 साल पुरे किए हैं, यह मीटिंग उनकी पार्टनरशिप में एक नया डाइमेंशन जोड़ेगी। 

EU भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। आंकड़ों के अनुसार 2021 में यह ट्रेड $86.75 बिलियन का रहा जो टोटल ट्रेड का 10.8% हिस्सा है। विदेशों में सभी भारतीय इमिग्रेंट्स का लगभग 8.5% यूरोप में रहता है, जिसमें इटली सबसे लोकप्रिय डेस्टिनेशन है, इसके बाद जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, स्वीडन और नीदरलैंड आते हैं। 

दोनों ही पक्ष ट्रेड, इन्वेस्टमेंट प्रोटेक्शन और ज्योग्राफिकल इंडिकेशन पर अलग-अलग समझौतों पर भी बातचीत कर रहे हैं, जिनके अगले साल तक पूरा होने की उम्मीद है।

प्रोफेशनल और स्टूडेंट्स के माइग्रेशन अब दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के साथ भारत की ट्रेड टॉक्स में अक्सर शामिल हो रही है और हाल ही में एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्टर एस जयशंकर ने भी इस बात पर रौशनी डाली कि भारत और ऑस्ट्रेलिया भी समान तरह की डील पर काम कर रहे हैं।

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