भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारी थे। आज़ादी एक ऐसी ज़ंग है जिसके लिए अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। उन वीर बलिदानियों के संघर्षों के कारण आज आप और हम आज़ाद हैं। उन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक विजयलक्ष्मी पंडित भी थी। इन्होंने भारतीय राजनीति और महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi के माध्यम से आप विजयलक्ष्मी पण्डित के संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में जान सकते हैं। इस लेख के माध्यम से आप संयुक्त राष्ट्र की पहली महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित पर निबंध लिखने की मंशा और इसके तरीके को जानने का प्रयास कर पाएंगे।
This Blog Includes:
- Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 100 शब्दों में
- Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 200 शब्दों में
- Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 500 शब्दों में
- प्रस्तावना
- विजय लक्ष्मी पंडित का जीवन परिचय
- विजयलक्ष्मी पंडित की उपलब्धियां
- महिलाओं के अधिकारों के अधिकार संघर्ष
- विजयलक्ष्मी पंडित की किताबें
- विजयलक्ष्मी पंडित के बारे में 10 बातें
- FAQs
Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 100 शब्दों में
विजयलक्ष्मी पंडित ने अपनी जीवन यात्रा में अपने संघर्षों के बल पर खूब यश कमाया और नारी सशक्तिकरण की बेहतरीन उदहारण बनीं। यह बात उस समय की है जब भारत आज़ादी के लिए निरंतर प्रयासरत था। ऐसे समय में अपनी सूझबूझ और राजनीतिक अनुभव के आधार पर ही वर्ष 1953 में विजयलक्ष्मी पंडित को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 8वें सत्र के अध्यक्ष के तौर पर चुना गया, जो कि इस पद पर बैठने वाली पहली महिला थीं। उनके जीवन की अन्य उपलब्धियों में यह भी शामिल है कि वह भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री थीं।
Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 200 शब्दों में
विजयलक्ष्मी पंडित इतिहास में दर्ज एक ऐसा नाम है जिसने महिलाओं को आशा की एक नई किरण दिखाई। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहने के साथ-साथ उन्होंने अपनी छवि महिलाओं के बीच में एक लोकप्रिय राजनेत्री के रूप में भी स्थापित की।
वर्ष 1937 में विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त प्रांत की प्रांतीय विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं थीं, जिसके बाद वह स्थानीय स्वशासन और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री के पद पर नियुक्त की गईं। वर्ष 1946-50 तक वह भारतीय संविधान सभा की सदस्य रहीं। वह आपातकाल के समय इंदिरा गांधी की नीतियों की आलोचना करने वाली और इसके विरोध में कांग्रेस छोड़ कर जनता दल को ज्वाइन करने वाली इकलौती महिला थीं।
आपको बता दें कि विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को प्रयागराज (इलाहाबाद) के एक प्रसिद्ध परिवार में हुआ। इनके पिता मोतीलाल नेहरू थे जो कि एक प्रसिद्ध वकील थे। विजयलक्ष्मी पंडित देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की छोटी बहन थी। वर्ष 1962 से 1964 तक विजयलक्ष्मी पंडित ने महाराष्ट्र के राज्याल का पद संभाला, जिसके बाद वह 1979 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 500 शब्दों में
विजय लक्ष्मी पंडित के बारे में 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:
प्रस्तावना
विजयलक्ष्मी पंडित ने आजादी की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाई है। विजयलक्ष्मी पंडित ने आजादी की लड़ाई में संघर्षों के बल पर खूब यश कमाया और नारी सशक्तिकरण की बेहतरीन उदहारण बनीं। वे (1900-1990) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख नेता और समाज सुधारक भी थीं, विजयलक्ष्मी ने महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, महिला आंदोलन, शिक्षा का समर्थन, पहली महिला भारत के संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष और सामाजिक समानता आदि। विजयलक्ष्मी के जीवन और कार्य जोकि महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष में हम सभी के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
विजय लक्ष्मी पंडित का जीवन परिचय
विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म नेहरू परिवार में 18 अगस्त 1900 को हुआ था। उनका प्रारम्भिक जीवन एक राजकुमारी-सा व्यतीत हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुई। उनको शिक्षा के साथ साथ राजनीति साहित्य में भी रुचि थी। साल 1921 में विजय लक्ष्मी पंडित का विवाह काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील और इतिहासकार रणजीत सीताराम पंडित से हुआ। जिसके बाद उनकी 3 पुत्रियां चन्द्रलेखा, नयनतारा और रीता हुई। इसके बाद गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने भी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपने भाई यानी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के साथ अपना अमूल्य योगदान दिया। वह अपने भाई से 11 साल छोटी थी।
विजयलक्ष्मी पंडित हर आन्दोलन में भाग लेती, जेल जातीं, रिहा होतीं और फिर आन्दोलन में जुट जातीं। इस तरह 1937 में उन्हें उत्तर प्रदेश संयुक्त प्रांत का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। गुलाम भारत में कैबिनेट पद पाने वाली वह पहली महिला थी। इसके बाद 1937 में ही उनकी स्थानीय स्व-प्रशासन और जन स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त हुईं। इसके अलावा 1937 से 1979 तक उन्होंने कई कार्यभार संभाला जैसे 1940 से 1942 तक उन्हें ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष पद मिला और 1953 में वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष चुने जाने वाली विश्व की प्रथम महिला बनीं और 1 दिसंबर 1990 को उनका निधन हो गया।
विजयलक्ष्मी पंडित की उपलब्धियां
विजयलक्ष्मी पंडित की उपलब्धियां कुछ इस प्रकार से है:
- 1937: ब्रिटिश इंडिया के यूनाइटेड प्रोविन्सेज में कैबिनेट मंत्री का पद मिला।
- 1937-1939: ‘लोकल सेल्फ गर्वनमेंट’ और ‘पब्लिक हेल्थ’ विभाग का कार्यभार संभाला।
- 1946: उन्हें संविधान सभा के लिए चुना गया।
- 1947: उन्हें रूस में ( सोवियत संघ) भारतीय राजदूत बनाया गया। जहाँ उन्होंने 1949 तक कार्यभार संभाला।
- 1953: संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला बनी।
- 1962-1964: महाराष्ट्र की राज्यपाल रहीं।
- 1964: फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर लोकसभा में पहुंचीं।
- 1979: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया।
महिलाओं के अधिकारों के अधिकार संघर्ष
महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष लंबे समय से चला आ रहा है। जिसमें सामाजिक, राजनीतिक, और कानूनी पहलुओं का समावेश है। यह संघर्ष समय-समय पर और संस्कृतियों में अनेक रूपों में सामने आया है।
महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने में विजयलक्ष्मी पंडित की अहम भूमिका रही थी। उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया था। विजयलक्ष्मी ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम बनाने में 1956 में काफी प्रयास किया था। जिस के बाद महिलाओं को अपने पति और पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त हो सका था। इसके बाद चीन जाने वाले सद्भावना मिशन का नेतृत्व भी उन्होंने 1952 में किया था।
विजयलक्ष्मी पंडित की किताबें
राजनीति के अतिरिक्त विजयलक्ष्मी को किताबें पढ़ने और लिखने का भी बहुत शौक था। उन्होंने ने कई किताबें भी लिखी थी।
- द इवोल्यूशन ऑफ इंडिया
- द स्कोप ऑफ हैप्पीनेस
- ए पर्सनल मेमोयर
- प्रीज़न डेज़
उपसंहार
विजयलक्ष्मी पंडित केवल देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अनेक महिला संगठनों से जुड़ी हुई थीं। आज भले ही भारत की राजनीति में महिलाओं की स्थिति बहुत मजबूत हो चुकी है। लेकिन उस समय में विजयलक्ष्मी पंडित ने देश की उन्नति के साथ ही महिला अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद महिलाओं को एक आशा की किरण दिखाई दी। भारत का मान बढ़ाने के लिए इनके कार्यों को जितना सराहा जाए, उतना कम है। विजयलक्ष्मी पंडित का जीवन सदा मातृभूमि को समर्पित और प्रेरणादाई रहा।
विजयलक्ष्मी पंडित के बारे में 10 बातें
विजयलक्ष्मी पंडित से जुड़े कुछ तथ्य नीचे दिए गए हैं:
- भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित थीं। इनका जन्म इलाहाबाद में 18 अगस्त 1900 को हुआ था।
- 1921 में काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पंडित से विवाह हुआ। जिसके बाद से वह विजय लक्ष्मी पंडित के नाम से जानी जाने लगी।
- 1935 देश में भारत सरकार अधिनियम लागू हुआ था और 1937 में विजय लक्ष्मी पंडित को उत्तरप्रदेश, संयुक्त प्रांत का केबिनेट मंत्री बनाया गया।
- अंग्रेजों के समय किसी कैबिनेट पद पर रहने वाली विजयलक्ष्मी पंडित प्रथम महिला थीं।
- वर्ष 1932-1933, 1940 और 1942-1943 में आंदोलनों के चलते उन्हें अंग्रेजों द्वारा तीन बार गिरफ्तार किया गया था।
- 1937 में विजयलक्ष्मी पंडित को उत्तर प्रदेश संयुक्त प्रांत का कैबिनेट मंत्री बनाया गया संयुक्त हालाँकि, 1939 में, उन्होंने अंग्रेजो के विरुद्ध इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
- जिसके बाद सन् 1940 से 1942 तक ऑल इंडिया वुमेन्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के पद का भी कार्यभार संभाला था।
- विजया लक्ष्मी पंडित स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और राजनयिक होने के साथ साथ एक लेखिका भी थीं।
- विजय लक्ष्मी पंडित ने ‘सो आई बिकम अ मिनिस्टर’ (1939) और ‘प्रिज़न डेज़’ (1946) जैसी किताबे लिखी हैं।
FAQs
विजया लक्ष्मी पंडित एक राजनयिक, राजनीतिज्ञ और संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष थीं। वह भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में भी गहराई से शामिल थीं।
विजया लक्ष्मी स्वरूप नेहरू का जन्म 18 अगस्त 1900 में इलाहाबाद, भारत में हुआ था।
विजयलक्ष्मी पंडित, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नहेरू की बहन थीं।
विजयलक्ष्मी पंडित महाराष्ट्र की छठी राज्यपाल थी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित थी।
मोतीलाल नेहरू की बेटी थीं।
कैबिनेट पद संभालने वाली प्रथम भारतीय महिला भी थीं।
रंजीत सीताराम पंडित से विवाह किया।
आशा करते हैं कि आपको इस ब्लाॅग में विजयलक्ष्मी पंडित पर निबंध के बारें में जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही अन्य निबंध पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।