Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi : भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री विजयलक्ष्मी पंडित

2 minute read
Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi

आज़ादी एक ऐसी ज़ंग है जिसके लिए अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। उन वीर बलिदानियों के संघर्षों के कारण आज आप और हम आज़ाद हैं। उन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक विजयलक्ष्मी पंडित भी थी। Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi के माध्यम से आप विजयलक्ष्मी पण्डित के संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में जान सकते हैं। इस लेख के माध्यम से आप संयुक्त राष्ट्र की पहली महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित पर निबंध लिखने की मंशा और इसके तरीके को जानने का प्रयास कर पाएंगे। 

Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 100 शब्दों में 

विजयलक्ष्मी पंडित ने अपनी जीवन यात्रा में अपने संघर्षों के बल पर खूब यश कमाया और नारी सशक्तिकरण की बेहतरीन उदहारण बनीं। यह बात उस समय की है जब भारत आज़ादी के लिए निरंतर प्रयासरत था। ऐसे समय में अपनी सूझबूझ और राजनीतिक अनुभव के आधार पर ही वर्ष 1953 में विजयलक्ष्मी पंडित को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 8वें सत्र के अध्यक्ष के तौर पर चुना गया, जो कि इस पद पर बैठने वाली पहली महिला थीं। उनके जीवन की अन्‍य उपलब्धियों में यह भी श‍ामिल है कि वह भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री थीं।

Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 200 शब्दों में

विजयलक्ष्‍मी पंडित इतिहास में दर्ज एक ऐसा नाम है जिसने महिलाओं को आशा की एक नई किरण दिखाई। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहने के साथ-साथ उन्होंने अपनी छवि महिलाओं के बीच में एक लोकप्रिय राजनेत्री के रूप में भी स्थापित की।

वर्ष 1937 में विजयलक्ष्‍मी पंडित संयुक्त प्रांत की प्रांतीय विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं थीं, जिसके बाद वह स्थानीय स्वशासन और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री के पद पर नियुक्त की गईं। वर्ष 1946-50 तक वह भारतीय संविधान सभा की सदस्य रहीं। वह आपातकाल के समय इंदिरा गांधी की नीतियों की आलोचना करने वाली और इसके विरोध में कांग्रेस छोड़ कर जनता दल को ज्‍वाइन करने वाली इकलौती महिला थीं।

आपको बता दें कि विजयलक्ष्‍मी पंडित का जन्‍म 18 अगस्त 1900 को प्रयागराज (इलाहाबाद) के एक प्रसिद्ध परिवार में हुआ। इनके पिता मोतीलाल नेहरू थे जो कि एक प्रसिद्ध वकील थे। विजयलक्ष्‍मी पंडित देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की छोटी बहन थी। वर्ष 1962 से 1964 तक विजयलक्ष्‍मी पंडित ने महाराष्ट्र के राज्याल का पद संभाला, जिसके बाद वह 1979 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

Essay on Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi- 500 शब्दों में

विजय लक्ष्मी पंडित के बारे में 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है: 

प्रस्तावना

विजयलक्ष्मी पंडित ने आजादी की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाई है। विजयलक्ष्मी पंडित ने आजादी की लड़ाई में संघर्षों के बल पर खूब यश कमाया और नारी सशक्तिकरण की बेहतरीन उदहारण बनीं।

विजय लक्ष्मी पंडित का जीवन परिचय

विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म नेहरू परिवार में 18 अगस्त 1900 को हुआ था। उनका प्रारम्भिक जीवन एक राजकुमारी-सा व्यतीत हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुई। उनको शिक्षा के साथ साथ राजनीति साहित्य में भी रुचि थी। साल 1921 में विजय लक्ष्मी पंडित का विवाह काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील और इतिहासकार रणजीत सीताराम पंडित से हुआ। जिसके बाद उनकी 3 पुत्रियां चन्द्रलेखा, नयनतारा और रीता हुई। इसके बाद गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने भी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपने भाई यानी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के साथ अपना अमूल्य योगदान दिया। वह अपने भाई से 11 साल छोटी थी। विजयलक्ष्मी पंडित हर आन्दोलन में भाग लेती, जेल जातीं, रिहा होतीं और फिर आन्दोलन में जुट जातीं। इस तरह 1937 में उन्हें उत्तर प्रदेश संयुक्त प्रांत का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। गुलाम भारत में कैबिनेट पद पाने वाली वह पहली महिला थी। इसके बाद 1937 में ही उनकी स्थानीय स्व-प्रशासन और जन स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त हुईं। इसके अलावा 1937 से 1979 तक उन्होंने कई कार्यभार संभाला जैसे 1940 से 1942 तक उन्हें ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष पद मिला और 1953 में वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष चुने जाने वाली विश्व की प्रथम महिला बनीं और 1 दिसंबर 1990 को उनका निधन हो गया। 

विजयलक्ष्मी पंडित की उपलब्धियां

विजयलक्ष्मी पंडित की उपलब्धियां कुछ इस प्रकार से है:

  • 1937: ब्रिटिश इंडिया के यूनाइटेड प्रोविन्सेज में कैबिनेट मंत्री का पद मिला। 
  • 1937-1939: ‘लोकल सेल्फ गर्वनमेंट’ और ‘पब्लिक हेल्थ’ विभाग का कार्यभार संभाला। 
  • 1946: उन्हें संविधान सभा के लिए चुना गया।
  • 1947: उन्हें रूस में ( सोवियत संघ) भारतीय राजदूत बनाया गया।  जहाँ उन्होंने 1949 तक कार्यभार संभाला। 
  • 1953: संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला बनी। 
  • 1962-1964: महाराष्ट्र की राज्यपाल रहीं। 
  • 1964: फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर लोकसभा में पहुंचीं। 
  • 1979: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। 

उपसंहार

विजयलक्ष्मी पंडित केवल देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अनेक महिला संगठनों से जुड़ी हुई थीं। आज भले ही भारत की राजनीति में महिलाओं की स्थिति बहुत मजबूत हो चुकी है। लेकिन उस समय में विजयलक्ष्‍मी पंडित ने देश की उन्नति के साथ ही महिला अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद महिलाओं को एक आशा की किरण दिखाई दी। भारत का मान बढ़ाने के लिए इनके कार्यों को जितना सराहा जाए, उतना कम है। विजयलक्ष्‍मी पंडित का जीवन सदा मातृभूमि को समर्पित और प्रेरणादाई रहा।

विजयलक्ष्मी पंडित के अनमोल विचार 

विजयलक्ष्मी पंडित के अनमोल विचार नीचे दिए गए हैं:

  • Education was not merely a means for earning a living or an instrument for the acquisition of wealth. It was an initiation into the life of spirit, a training of the human soul in the pursuit of truth and the practice of virtue.
  • To me India is a land of beauty and generosity, of traditional hospitality and the acceptance of many cultures.
  • Difficulties, opposition, criticism-these things are meant to be overcome, and there is a special joy in facing them and in coming out on top. It is only when there is nothing but praise that life loses its charm and I begin to wonder what I should do about it.
  • Freedom is not for the timid.
  • One can argue that in the context of history a few years do not matter. But we live in an age in which every moment counts heavily and the price of delay is human lives.
  • sacrifice’ was often a cloak for many actions that did not always stem from the highest motives.
  • The building of a just and peaceful world order, the aim of the United Nations, is hampered not by a dearth of ideas, resources, and manpower but by the lack of will on the part of governments to take the required steps.

विजयलक्ष्मी पंडित से जुड़े कुछ तथ्य 

विजयलक्ष्मी पंडित से जुड़े कुछ तथ्य नीचे दिए गए हैं:

  • विजया लक्ष्मी पंडित का जन्म स्वरूप कुमारी नेहरू के रूप में हुआ था और 1921 में उन्होंने रणजीत सीताराम पंडित से शादी कर अपना नाम बदल लिया था। जिसके बाद से वह विजय लक्ष्मी पंडित के नाम से जानी जाने लगी।  
  • वर्ष 1932-1933, 1940 और 1942-1943 में आंदोलनों के चलते उन्हें अंग्रेजों द्वारा तीन बार गिरफ्तार किया गया था।
  • 1937 में विजयलक्ष्मी पंडित को उत्तर प्रदेश संयुक्त प्रांत का कैबिनेट मंत्री बनाया गया संयुक्त हालाँकि, 1939 में, उन्होंने अंग्रेजो के विरुद्ध इस पद से इस्तीफा दे दिया था। 
  • विजया लक्ष्मी पंडित स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और राजनयिक होने के साथ साथ एक लेखिका भी थीं। 
  • विजय लक्ष्मी पंडित ने ‘सो आई बिकम अ मिनिस्टर’ (1939) और ‘प्रिज़न डेज़’ (1946) जैसी किताबे लिखी हैं।

FAQs

विजया लक्ष्मी पंडित कौन थी?

विजया लक्ष्मी पंडित एक राजनयिक, राजनीतिज्ञ और संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष थीं। वह भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में भी गहराई से शामिल थीं। 

विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

विजया लक्ष्मी स्वरूप नेहरू का जन्म 18 अगस्त 1900 में इलाहाबाद, भारत में हुआ था।

विजयलक्ष्मी पंडित किसकी बहन थीं?

विजयलक्ष्मी पंडित, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नहेरू की बहन थीं। 

विजयलक्ष्मी पंडित किस राज्य की राज्यपाल थी। 

विजयलक्ष्मी पंडित महाराष्ट्र की छठी राज्यपाल थी। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष कौन थी?

संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित थी। 

आशा करते हैं कि आपको इस ब्लाॅग में विजयलक्ष्मी पंडित पर निबंध के बारें में जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही अन्य निबंध पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*