Dushyant Kumar Shayari : पढ़िए दुष्यंत कुमार के चुनिंदा शेर, शायरी और गजल

1 minute read
Dushyant Kumar Shayari

दुष्यंत कुमार हिंदी-उर्दू भाषा के उन लोकप्रिय शायरों में से थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से “सामाजिक यथार्थवाद, प्रेम, जीवन के प्रति मोहभंग और व्यंग्य” के मिश्रण को बखूबी चित्रण किया है।” दुष्यंत कुमार एक ऐसे लोकप्रिय शायर थे, जिनकी रचनाओं ने समाज में व्याप्त हर कुरीति का खुलकर विरोध किया और समाज का मार्गदर्शन किया। आज भी दुष्यंत कुमार की रचनाएं बेबाकी के साथ समाज को प्रेरित करने का काम करती है। दुष्यंत कुमार के शेर, शायरी और ग़ज़लें विद्यार्थियों को हिंदी-उर्दू साहित्य की खूबसूरती और साहित्य के साथ ही समाज से परिचित करवाने का काम करती हैं। साथ ही दुष्यंत कुमार की रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी कभी अपने मूल समय में थीं। इस ब्लॉग के माध्यम से आप चुनिंदा Dushyant Kumar Shayari पढ़ पाएंगे, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास करेंगी।

दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय

दुष्यंत कुमार का मूल नाम “दुष्यंत कुमार त्यागी” था। 1 सितंबर 1933 को दुष्यंत कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में हुआ था। दुष्यंत कुमार ने अपने काव्य-लेखन का आरंभ दुष्यंत कुमार परदेशी के नाम से किया था। दुष्यंत जी की आरंभिक शिक्षा छ: वर्ष की आयु में ‘नवादा प्राथमिक विद्यालय’ से शुरू हुई।

इसके बाद उन्होंने ‘चंदौसी इंटर कॉलेज’ से सेकंडरी की परीक्षा पास की। इसी दौरान उनके काव्य लेखन की शुरुआत भी हो चुकी थी। 12वीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने पढ़ाई का सिलसिला जारी रखा और ‘प्रयाग विश्वविद्यालय’ से हिंदी, दर्शनशास्त्र व इतिहास विषय में तृतीय श्रेणी के साथ BA की डिग्री हासिल की। हिंदी उर्दू साहित्य की अनमोल मणि दुष्यंत कुमार का निधन 30 दिसंबर 1975 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था।

यह भी पढ़ें : मिर्ज़ा ग़ालिब की 50+ सदाबहार शायरियां

दुष्यंत कुमार की शायरी – Dushyant Kumar Shayari

दुष्यंत कुमार की शायरी पढ़कर युवाओं में साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो उन्हें उर्दू साहित्य की खूबसूरती से रूबरू कराएगी, जो इस प्रकार है :

“कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए 
 कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए…”
 -दुष्यंत कुमार

“तुम्हारे पावँ के नीचे कोई ज़मीन नहीं 
 कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं…”
 -दुष्यंत कुमार

“ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा 
 मैं सज्दे में नहीं था आप को धोका हुआ होगा…”
 -दुष्यंत कुमार

“नज़र-नवाज़ नज़ारा बदल न जाए कहीं 
 ज़रा सी बात है मुँह से निकल न जाए कहीं…”
 -दुष्यंत कुमार

“न हो क़मीज़ तो पाँव से पेट ढक लेंगे 
 ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए…”
 -दुष्यंत कुमार

Dushyant Kumar Shayari

“अब तो इस तालाब का पानी बदल दो 
 ये कँवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं…”
-दुष्यंत कुमार

“ये सोच कर कि दरख़्तों में छाँव होती है 
 यहाँ बबूल के साए में आ के बैठ गए…”
-दुष्यंत कुमार

“मस्लहत-आमेज़ होते हैं सियासत के क़दम 
 तू न समझेगा सियासत तू अभी नादान है…”
-दुष्यंत कुमार

“ये लोग होमो-हवन में यक़ीन रखते हैं 
 चलो यहाँ से चलें हाथ जल न जाए कहीं…”
-दुष्यंत कुमार

“एक क़ब्रिस्तान में घर मिल रहा है 
 जिस में तह-ख़ानों से तह-ख़ाने लगे हैं…”
-दुष्यंत कुमार

यह भी पढ़ें : गर्मियों की छुट्टियों पर शायरी, जो बच्चों को छुट्टियों का आनंद लेना सिखाएंगी

मोहब्बत पर दुष्यंत कुमार की शायरी

मोहब्बत पर दुष्यंत कुमार की शायरियाँ जो आपका मन मोह लेंगी :

“ज़िंदगी जब अज़ाब होती है 
 आशिक़ी कामयाब होती है…”
-दुष्यंत कुमार

“एक आदत सी बन गई है तू 
 और आदत कभी नहीं जाती…”
-दुष्यंत कुमार

“तू किसी रेल सी गुज़रती है 
 मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ…”
-दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार के शेर

“आज सीवन को उधेड़ो तो ज़रा देखेंगे 
 आज संदूक़ से वो ख़त तो निकालो यारो…”
-दुष्यंत कुमार

“लोग कहते थे कि ये बात नहीं कहने की 
 तुम ने कह दी है तो कहने की सज़ा लो यारो…”
-दुष्यंत कुमार

“दर्द-ए-दिल वक़्त को पैग़ाम भी पहुँचाएगा 
 इस कबूतर को ज़रा प्यार से पालो यारो…”
-दुष्यंत कुमार

यह भी पढ़ें – गुलज़ार साहब की 125+ सदाबहार शायरियां

दुष्यंत कुमार के शेर

दुष्यंत कुमार के शेर पढ़कर युवाओं को दुष्यंत कुमार की लेखनी से प्रेरणा मिलेगी। दुष्यंत कुमार के शेर युवाओं के भीतर सकारात्मकता का संचार करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं :

“लहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो 
 शरीफ़ लोग उठे दूर जा के बैठ गए…”
-दुष्यंत कुमार

“यहाँ तक आते आते सूख जाती है कई नदियाँ 
 मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा…”
-दुष्यंत कुमार

“मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ 
 वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ …”
-दुष्यंत कुमार

“वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है 
 माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है…”
-दुष्यंत कुमार

“तिरा निज़ाम है सिल दे ज़बान-ए-शायर को 
 ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए…”
-दुष्यंत कुमार

“एक गुड़िया की कई कठ-पुतलियों में जान है
 आज शाइ’र ये तमाशा देख कर हैरान है…”
-दुष्यंत कुमार

“कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए 
 मैं ने पूछा नाम तो बोला कि हिंदुस्तान है…”
-दुष्यंत कुमार

यह भी पढ़ें : राहत इंदौरी के चुनिंदा शेर, शायरी और ग़ज़ल

दुष्यंत कुमार की दर्द भरी शायरी

दुष्यंत कुमार की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं :

“ये शफ़क़ शाम हो रही है अब 
 और हर गाम हो रही है अब…”
-दुष्यंत कुमार

“जिस तबाही से लोग बचते थे  
वो सर-ए-आम हो रही है अब…”
-दुष्यंत कुमार

“जो किरन थी किसी दरीचे की 
 मरक़ज-ए-बाम हो रही है अब…”
-दुष्यंत कुमार

“रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है 
 यातनाओं के अँधेरे में सफ़र होता है…”
-दुष्यंत कुमार

“ऐसा लगता है कि उड़ कर भी कहाँ पहुँचेंगे 
हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है…”
-दुष्यंत कुमार

यह भी पढ़ें : मुनव्वर राना के चुनिंदा शेर, शायरी, नज़्म और गजल

दुष्यंत कुमार की प्रेरणादायक शायरी

दुष्यंत कुमार की प्रेरणादायक शायरी पढ़कर आप दुष्यंत कुमार की लेखनी के बारे में आसानी से जान पाएंगे, साथ ही ये शायरी आपको जीवनभर प्रेरित करने का भी काम करेंगी। Dushyant Kumar Shayari कुछ इस प्रकार है :

“कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता 
 एक पत्थर तो तबीअ’त से उछालो यारो…”
-दुष्यंत कुमार

“मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही 
 हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए…”
-दुष्यंत कुमार

“सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं 
 मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए…”
-दुष्यंत कुमार

“हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए 
 इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए…”
-दुष्यंत कुमार

“पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं 
 कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं…”
-दुष्यंत कुमार

“हम खड़े थे कि ये ज़मीं होगी 
 चल पड़ी तो इधर उधर देखा…”
-दुष्यंत कुमार

यह भी पढ़ें : चन्द्रशेखर आजाद शायरी

दुष्यंत कुमार की गजलें

दुष्यंत कुमार की गजलें आज भी प्रासंगिक बनकर बेबाकी से अपना रुख रखती हैं, जो नीचे दी गई हैं :

होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए

होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए 
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिए 
गूँगे निकल पड़े हैं ज़बाँ की तलाश में 
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिए
बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन 
सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिए 
उन की अपील है कि उन्हें हम मदद करें 
चाक़ू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिए 
जिस ने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ 
इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिए

-दुष्यंत कुमार

रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है

रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है
यातनाओं के अँधेरे में सफ़र होता है
कोई रहने की जगह है मिरे सपनों के लिए
वो घरौंदा सही मिट्टी का भी घर होता है
सिर से सीने में कभी पेट से पाँव में कभी
इक जगह हो तो कहें दर्द इधर होता है
ऐसा लगता है कि उड़ कर भी कहाँ पहुँचेंगे
हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है
सैर के वास्ते सड़कों पे निकल आते थे
अब तो आकाश से पथराव का डर होता है

-दुष्यंत कुमार

यह भी पढ़ें : दुष्यंत कुमार: हिंदी के प्रसिद्ध कवि, लेखक व नाटककार का जीवन परिचय

एक गुड़िया की कई कठ-पुतलियों में जान है

एक गुड़िया की कई कठ-पुतलियों में जान है
आज शाइ'र ये तमाशा देख कर हैरान है
ख़ास सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिए
ये हमारे वक़्त की सब से सही पहचान है
एक बूढ़ा आदमी है मुल्क में या यूँ कहो
इस अँधेरी कोठरी में एक रौशन-दान है
मस्लहत-आमेज़ होते हैं सियासत के क़दम
तू न समझेगा सियासत तू अभी नादान है 
कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए
मैं ने पूछा नाम तो बोला कि हिंदुस्तान है

-दुष्यंत कुमार

शायरी से संबंधित अन्य आर्टिकल

Fathers Day Shayari in HindiDiwali Shayari in Hindi
Ambedkar Shayari in HindiNew Year Motivational Shayari in Hindi
Happy New Year Shayari in HindiLohri Shayari in Hindi
Indian Army Day Shayari in HindiRepublic Day 2024 Shayari in Hindi
20+ बेस्ट सच्ची दोस्ती शायरी जो दिल को छू जाएँDada Dadi Shayari

आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Dushyant Kumar Shayari पढ़ने का अवसर मिला होगा। Dushyant Kumar Shayari को पढ़कर आप उर्दू साहित्य के क्षेत्र में दुष्यंत कुमार के अतुल्नीय योगदान से परिचित हो पाए होंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*