दया पवार मराठी दलित साहित्य के शीर्षस्थ लेखक, कवि और समीक्षक थे। उनकी रचनाओं ने मराठी साहित्य को न केवल समृद्ध किया, बल्कि नए सौंदर्यशास्त्र का भी निर्माण किया। उनकी कविता, कहानी, आत्मकथा और निबंध आदि दलित साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘कोंडवाड़ा’ (काँजी हाउस), ‘पाणी कुठवर आलंग बाई!’ कविता संग्रह, ‘विटाल’ (अपवित्र) और ‘चावड़ी’ (पंचायत) कहानी-संग्रह तथा ‘बलुत’ (अछूत) बहुचर्चित आत्मकथात्मक उपन्यास शामिल हैं।
मराठी साहित्य में अपना उल्लेखनीय योगदान देने के लिए उन्हें ‘महाराष्ट्र शासन पुरस्कार’ और आत्मकथा ‘बलुत’ के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं। वर्ष 1990 में उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
दया पवार की कई महत्वपूर्ण रचनाएँ, जिनमें ‘अछूत’, ‘कोंडवाड़ा’ और ‘विटाल’ आदि देश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। उनकी रचनाओं के अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं तथा उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ भी लिखे जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, UGC-NET में मराठी और हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए दया पवार का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।
आइए, इस लेख में दलित साहित्य के प्रकाशस्तंभ दया पवार का जीवन परिचय तथा उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में जानते हैं।
| मूल नाम | दगडू मारुति पवार (Dagdu Maruti Pawar) |
| उपनाम | दया पवार (Daya Pawar) |
| जन्म | 15 सितंबर, 1935 |
| जन्म स्थान | धामणगांव, महाराष्ट्र |
| पेशा | लेखक, कवि, पश्चिम रेलवे के लेखा विभाग से सेवानिवृत |
| मुख्य रचनाएँ | ‘कोंडवाड़ा’ (काँजी हाउस), ‘पाणी कुठवर आलंग बाई!’, कविता-संग्रह, ‘विटाल’ (अपवित्र) और ‘चावड़ी’ (पंचायत) कहानी-संग्रह और ‘बलुत’ (अछूत) आत्मकथात्मक उपन्यास। |
| पुरस्कार एवं सम्मान | ‘पद्म श्री’ (1990) व ‘महाराष्ट्र शासन पुरस्कार’ |
| निधन | 20 सितंबर, 1996 नई दिल्ली |
| जीवनकाल | 61 वर्ष |
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महाराष्ट्र के धामणगांव में हुआ था जन्म
दया पवार का जन्म 15 सितंबर 1935 को महाराष्ट्र के धामणगांव में हुआ था। उनका मूल नाम ‘दगडू मारुति पवार’ था, लेकिन मराठी साहित्य में वे ‘दया पवार’ के नाम से जाने जाते हैं। उनकी सरकारी नौकरी के बारे में विश्वसनीय स्रोतों में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन बताया जाता है कि पश्चिम रेलवे के लेखा विभाग में दीर्घ सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने पर वे पूर्ण रूप से साहित्य सृजन में जुट गए थे।
1974 में प्रकाशित हुआ प्रथम कविता-संग्रह
दया पवार का साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण मुख्य रूप से कवि के रूप में हुआ था, किंतु बाद में उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया। उनकी प्रथम कविता वर्ष 1967 में दलित साहित्यिक पत्रिका ‘अस्मितादर्श’ में प्रकाशित हुई थी। उनकी कविताओं का पहला संग्रह ‘कोंडवाड़ा’ (काँजी हाउस) वर्ष 1974 में प्रकाशित हुआ, जो उनका बहुचर्चित काव्य संग्रह है।
साहित्य सृजन के साथ ही दया पवार ने फिल्म निर्माता और निर्देशक जब्बार पटेल की फिल्म ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर’ की पटकथा लेखन में भी योगदान दिया था।
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दया पवार की प्रमुख रचनाएँ
दया पवार ने मराठी साहित्य को अमूल्य रचनाएँ दी हैं। इसके साथ ही उन्होंने ‘भगवान बुद्ध’ के ‘धम्मपद’ (Dhammapada) की कुछ गाथाओं का सीधा अनुवाद पाली से मराठी में किया, जो वर्ष 1991 में प्रकाशित हुआ था। उनकी रचनाओं के अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं। यहाँ दया पवार की सभी प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो इस प्रकार हैं:
कहानी-संग्रह
- विटाल (अपवित्र)
- चावड़ी (पंचायत)
कविता-संग्रह
- कोंडवाड़ा’ (काँजी हाउस)
- पाणी कुठवर आलंग बाई! (सखी, पानी कहाँ तक आया?)
आत्मकथा
- बलुतं (अछूत- वर्ष 1979)
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पुरस्कार एवं सम्मान
दया पवार को मराठी साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:
- दया पवार को प्रथम कविता-संग्रह ‘कोंडवाड़ा’ (काँजी हाउस) के लिए ‘महाराष्ट्र शासन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
- वर्ष 1979 में प्रकाशित उनके आत्मकथात्मक उपन्यास ‘बलुतं’ (अछूत) को कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं।
- वर्ष 1990 में उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
नई दिल्ली में हुआ था निधन
दया पवार का निधन वर्ष 1996 में हुआ था, स्रोतों में तिथि को लेकर थोड़ा अंतर मिलता है कहीं पर 20 सितंबर माना जाता है और कहीं पर 20 दिसंबर, किंतु वे अपनी अमूल्य रचनाओं के कारण आज भी स्मरण किए जाते हैं।
FAQs
उनका मूल नाम ‘दगडू मारुति पवार’ था।
उनका जन्म 15 सितंबर, 1935 को महाराष्ट्र के धामणगांव में हुआ था।
उनका प्रथम कविता-संग्रह ‘कोंडवाड़ा’ (काँजी हाउस) वर्ष 1974 में प्रकाशित हुआ था।
भारत सरकार द्वारा वर्ष 1990 में दया पवार को ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से नवाजा गया था।
दया पवार का 20 सितंबर, 1996 को 61 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको मराठी दलित साहित्य के एक युगपुरुष दया पवार का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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