एक सेमिनार का सीधा सा अर्थ यह होता है कि यह एक एकेडमी के द्वारा निर्देशित स्वरूप होता है। किसी भी सेमिनार का आयोजन या तो किसी एकेडमी, एजुकेशन इंस्टीट्यूट, किसी बिजनेस या फिर किसी प्रोफेशनल ग्रुप के द्वारा होता है या किया जाता है। एक सेमिनार के आयोजन का उद्देश्य एक ही तरह की विचारधारा रखने वाले लोगों को आपस में मिलाना, किसी न किसी तरह के विशेष उद्देश्य या विषय पर ध्यान देना होता है। एक सेमिनार में प्रत्येक व्यक्ति से भाग लेने का अनुरोध किया जाता है जिससे की वे भी किसी विषय के प्रति अपनी विचारधारा प्रकट कर सकें। सेमिनार कई तरह के होते हैं तथा नए नए विषयों पर आयोजित किए जाते है। इस ब्लॉग में हमारा विषय है CSE के लिए सेमिनार टॉपिक्स। CSE (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) सेमिनार, कंप्यूटर से जुड़ी विभिन्न जानकारी के बारे में लोगों को अवगत कराने, कंप्यूटर रिसर्च डेवलपमेंट तथा इनोवेशन के क्षेत्र में आपस में समन्वय बनाने के लिए किसी टेक्निकल यूनिवर्सिटी तथा अन्य इंस्टिट्यूशन के द्वारा इस सेमिनार का आयोजन किया है।
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CSE के सेमिनार टॉपिक्स क्या होते हैं?
CSE का पूरा नाम कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग है यह उन सबसे ज्यादा पसंदीदा विषयों में से एक है जिन्हें 12वीं कक्षा के बाद अधिकतर विद्यार्थी चुनते हैं। कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के टॉपिक्स की बात करें तो कोई भी सेमिनार टॉपिक वह होता है जिसके विषय में उस सेमिनार में बात की जा रही हो। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग एक इंजीनियरिंग अनुशासन है और इसके सेमिनार टॉपिक्स इस प्रकार हो सकते हैं जिनमे कम्प्यूटेशन, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, प्रोग्राम डिजाइन, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से संबंधित कई विषयों को शामिल किया गया है, जो कंप्यूटर साइंस के कई क्षेत्रों को एकीकृत करतें हैं।
CSE सेमिनार की सहायता से टॉपिक्स के द्वारा क्या बताया जाता है–
- CSE विषय कई प्रकार के होते हैं उन सब में से कुछ ऐसे भी हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- CSE सेमिनार्स सभी लोगों के लिए हो सकते हैं। स्कूलों, कॉलेजों तथा अन्य जगहों पर भी।
- कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के फील्ड में आप अपने लोगों के बीच उनके व्यवहार को बदलने के लिए, कार्यों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, एक अच्छी टीम निर्माण करने के लिए, आप CSE सेमिनार की सहायता ले सकते हैं।
इस फील्ड में सेमिनार की सहायता से जो बताया जाने की कोशिश की जाती है वो करण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:
- CSE के सेमिनार एक एक्टिव अनुभव होते हैं: सेमिनार कई प्रकार के होते हैं तथा वे सभी किसी न किसी प्रकार से समान होते हैं, तथा उनके द्वारा कोई संदेश देने की कोशिश की जाति है। आपका सेमिनार एक सिंगल प्रेजेंटेशन के साथ शुरू होता है फिर उपस्थित लोगों के छोटे ग्रुप्स में बंट जाता है, उनमें से सभी किसी न किसी एलिमेंट पर चर्चा और रिपोर्ट करते हैं। आप सभी सहभागियों को कुछ न कुछ डिस्कस करने के लिए कह सकते हैं। सेमिनार का उद्देश्य सभी के लिए एक अनुभव कि रचना करना होता है।
- सबकी राय मायने रखती है: मान लीजिए यदि आपने CSE सेमिनार में भाग लिया, यह एक ऐसा विचार है जिसमें हर किसी की राय मायने रखती है अर्थात इसमें आपका भी महत्व होगा। किसी भी सेमिनार का यह मकसद होता है कि इनमें कम पढ़ाया जाता है तथा अधिक बांटा जाता है मतलब आप लोगों कि राय लेकर सीखते हैं। यह एक ऐसा वातावरण होता है जिसमें सभी लोग अपने विचारों को व्यक्त करने में सहजता महसूस करते हैं तथा आपस में मिलकर नए विचारों तथा दृष्टिकोण के विकास के लिए आदर्श है।
- सेमीनार के फॉर्मेट का कब प्रयोग करना चाहिए: एक सेमिनार फॉर्मेट आपके लिए एक बिजनेस मीटिंग में कब सबसे बेहतर काम कर सकता है? तो जान लें तब जब इसकी आपने उम्मीद नहीं की हो। क्योंकि एक सेमिनार कि विशेषता जरूरी रूप से समस्या के समाधान के लिए ही फॉर्मेट बनाती है, इसलिए जब किसी कार्य को लेकर सभी लोग असहमत होते हैं तब एक सेमिनार उपयोगी होता है। मान लीजिए यदि दो प्रसकता तिभागी (पार्टनर्स) एक दूसरे से किसी कार्य को लेकर असहमत है, तथा उनका असहमत होने का कारण पिछला अनुभव हो तो वे लोग सेमिनार के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं।
- सेमीनार उपयोग के फायदे: यह बात आपके दिमाग में होनी चाहिए कि जितनी अधिक एंप्लॉइज और अन्य लीडर्स को कंपनी के द्वारा मूल्यवान महसूस कराया जाता है, उतना ही अधिक एक कंपनी के प्रदर्शन पर बेहतर प्रभाव होता है। कंपनी के द्वारा समय समय पर फीडबैक लिया जाता है। जिन कंपनियों में अपने एंप्लॉइज का फीडबैक नहीं लिया जाता तथा जहां कर्मचारियों को लगता है कि उनके द्वारा दी जाने वाली राय और विचारों को उतना महत्व नहीं दिया जा रहा है वह कंपनी सभी लोगों को साथ में लेकर पॉजिटिव अप्रोच के साथ कार्य नहीं कर सकती है। हालांकि एक सेमिनार किसी ऑर्गनाइजेशन कि दिक्कतों को तो दूर नही कर सकता लेकिन इसकी सहायता से इनफॉर्मेशन के आदान प्रदान, लोगों के द्वारा आपस में संचार कि पुष्टि तथा किसी परिस्थिति में नुकसान के डर के बिना साथ मिलकर कार्य करने में मदद कर सकता है।
- कब एक एक्सपर्ट की सलाह लें: आपकी ऑर्गनाइजेशन के लिए एक सेमिनार को बनाना कठिन हो सकता है लेकिन कई प्रकार के माहिर लोग हैं जिनकी सहायता ली जा सकती है। आप किसी का भी सुझाव ले सकते हैं जैसे किसी प्रकार की सेमिनार लीडरशिप, किसी प्रोफेशनल एसोसिएशन जो की आपके बिजनेस से संबंधित हो, स्पीकर्स। जिन लोगों ने पहले किसी प्रकार के सेमिनार में भाग लिया हो वे भी उपयोगी हो सकते हैं। आप इंटरनेट की सहायता से भी सर्च कर सकते हैं। आप इनकी सहायता से टीम-बिल्डिंग, एथिक्स, अकाउंटिंग, फाइनेंशियल मैनेजमेंट आदि विषयों पर फोकस कर सकते हैं। एक्सपर्ट कि राय लेना आपके कार्य कि सफलता में भिन्नता ला सकता है तथा भविष्य में आप अपने स्वयं के सेमिनार आयोजित कर सकते हैं।
CSE 2022 के लिए 300+ सेमिनार टॉपिक्स
2022 में CSE के पॉपुलर टॉपिक्स की सूची नीचे दी गई है:
- स्क्रीन डिस्प्ले
- लाई फाई टेक्नोलॉजी
- माइक्रोप्रोसेसर और माइक्रोकंट्रोलर
- सिल्वरलाइट
- ग्रीन कम्प्यूटिंग
- मेनेट
- फैसिलिटी लेआउट डिजाइन यूजिंग जेनेटिक एल्गोरिथम
- टेंपर रेजिस्टेंस
- ISCSI
- वायरलेस नेटवर्क्ड डिजिटल डिवाइसेज
- 3जी vs वाई फाई इंटरफेरोमैट्रिक मॉड्यूलर
- फ्री स्पेस लेजर कम्युनिकेशंस
- वर्चुअल इंस्ट्रूमेंटेशन
- डायरेक्ट मेमोरी एक्सेस
- स्मार्ट नोट टेकर
- कम्प्यूटेशनल इंटेलीजेंस इन वायरलेस सेंसर नेटवर्क्स
- फॉग कम्प्यूटिंग
- पाइथन लाइब्रेरीज फॉर डाटा साइंस
- सॉफ्टवेयर रियूज
- गूगल प्रोजेक्ट लून
- ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग यूजिंग C++/ जावा/ पाइथन
- डायनेमिक सिंक्रोनॉस ट्रांसफर मोड
- सेल्यूलर न्यूरल नेटवर्क
- लाई फाई एंड माई फाई
- जीनी टेक्नोलॉजी
- क्वांटम इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी
- जीएसएम
- डिले टॉलरेंट नेटवर्किंग
- ब्रेन चिप्स
- ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट
- प्रेडिक्टिव एनालिसिस
- सिस्को आईओएस फायरवॉल
- आईफोन
- केल सी
- इंडस्ट्रियल एप्लीकेशंस यूजिंग न्यूरल नेटवर्क्स
- हीलियम ड्राइव्स
- मिलिपेड
- होलोग्राफिक मेमोरी
- ऑटोनॉमिक कंप्यूटिंग
- गूगल ग्लास
- डोमेन नेम सिस्टम
- वेबसाइट लाइब्रेरि एन एंड्रॉयड बेस्ड एप्लीकेशन
- ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी
- डायनेमिक मेमोरी एलोकेशन
- टीसीपी/आईपी
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स
- इंटरनेट टेलिफोनी पॉलिसी इन इंडिया
- स्मार्ट कार्ड्स
- नाइट विजन टेक्नोलॉजी
- वॉइस पोर्टल्स
- स्मार्ट डस्ट
- डीडीओएस अटैक
- फ्यूटेक्स
- परवेसिव कंप्यूटिंग
- स्पीड प्रोटोकॉल प्रोसेसर्स
- आईट्विन
- क्लॉक लेस चिप्स
- रेन टेक्नोलॉजी आर्किटेक्चर
- कोटा डिवीजन डुप्लेसिंग
- बायोमैट्रिक्स इन सिक्योर ई ट्रांजेक्शन
- नेटवर्क टोपोलॉजी
- ऑगमेंटेड रियलिटी वर्सेस वर्चुअल रियलिटी
- डीएनए बेस्ड कंप्यूटिंग
- बायोमैट्रिक्स
- ट्रांजैक्शनल मेमोरी
- नंबर पोर्टेबिलिटी
- वॉइस एक्सएमएल
- प्रिस्क्रिप्शन आईग्लासेस
- लैंप टेक्नोलॉजी
- आई गेज कम्युनिकेशन सिस्टम
- एमआरएएम एंड एसएमआर
- साइबर बुलिंग डिटेक्शन
- फेसबुक टाइमलाइन
- आईडीएमए
- वर्चुअल लेन टेक्नोलॉजी
- ग्लोबल वायरलेस ई वोटिंग
- स्मार्ट फैब्रिक्स
- वॉइस मॉर्फिंग
- डाटा सिक्योरिटी इन लोकल नेटवर्क यूजिंग डिस्ट्रीब्यूटेड फायरवॉल्स
- बिग डाटा टेक्नोलॉजी
- प्रोबेबिलिटी स्टैटिक्स एंड न्यूमेरिकल टेक्निक्स
- रेड
- एमबीओफोनिक्स
- डिजिटल वीडियो एडिटिंग
- सिंक्रोनस ऑप्टिकल नेटवर्किंग
- लेयर 3 स्विचिंग
- इनफीबैंड
- स्टेनोग्राफी
- पैकेट स्निफर्स
- क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी
- सिस्टम सॉफ्टवेयर
- ह्यूमिनॉइड रोबोट
- एक्स विजन
- फायरवॉल्स
- इंट्रोडक्शन टू द इंटरनेट प्रोटोकॉल्स
- बायो इंस्पायर्ड नेटवर्किंग
- बेओवुल्फ क्लस्टर
- एक्सएमएल इंक्रिप्शन
- सिक्योरिटी फीचर्स ऑफ़ एटीएम
- डिजाइन एंड एनालिसिस आफ एल्गोरिथम्स
- ओपन रेन
- एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंट सिस्टम
- डिजिटल सेंट टेक्नोलॉजी
- आइरिश स्कैनिंग
- सिंबियन मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम
- मोट्स
- गूगल क्रोम लैपटॉप और क्रोमबुक
- माइंड रीडिंग कंप्यूटर
- डिस्ट्रिब्यूटेड इंटरैक्टिव वर्चुअल इन्वायरनमेंट
- ट्रस्टवर्थी कम्प्यूटिंग
- टेलिपोर्टेशन
- फिंगर रीडर
- लिनक्स कर्नल 2.6
- मेमटेबल
- वॉइस ब्राउजर
- अल्टरनेटिव मॉडल्स ऑफ कंप्यूटेशन
- डायमंड चिप
- फोटोनिक्स कम्युनिकेशंस
- सिस्टम इन पैकेज
- न्यूरल इंटरफेसिंग
- मल्टीप्ल एक्सेस कंट्रोल प्रोटोकोल
- सिंथेटिक एपर्चर रडार सिस्टम
- व्हाट्सएप
- 5G वायरलेस सिस्टम
- टचस्क्रीन
- वायरलेस फिडिलिटी
- वायरलेस वीडियो सर्विस इन सीडीएमए सिस्टम्स
- 10 गीगा बाइट इथरनेट
- जावा डाटाबेस कनेक्टिविटी
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
- कंप्यूटर इंटेलिजेंस एप्लीकेशन
- एयरबोर्न इंटरनेट
- फास्ट कन्वर्जन एल्गोरिथ्म फॉर एक्टिव नॉइस कंट्रोलइन व्हीकल्स
- सर्वाइवेबल नेटवर्क सिस्टम
- कैपेसिटीव एंड रेजिस्टिव टच सिस्टम
- इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम
- ipv6 द नेक्स्ट जेनरेशन प्रोटोकोल
- जिगबी टेक्नोलॉजी
- लो पावर डिजाइन फॉर डाटा कम्युनिकेशन
- फिंगर वेन रिकॉग्निशन
- इंटीग्रेटेड वॉइस एंड डाटा
- फायर वायर
- फ्री स्पेस ऑप्टिक्स
- चेटबोट फॉर बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन
- हैप्टिक टेक्नोलॉजी
- डीएनएस टनलिंग
- एग्जांपल बेस्ड मशीन ट्रांसलेशन
- होलोग्राफिक वर्सेटाइल डिस्क
- ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग
- फिंगर स्लीव
- कंप्यूटर फॉरेसिक्स
- वॉयरलैस एप्लीकेशन प्रोटोकोल
- फ्री स्पेस ऑप्टिकल
- डिजिटल सिनेमा
- हर्ड
- आई मोमेंट बेस्ट हुमन कंप्यूटर इंटरेक्शन टेक्निक्स
- ऑप्टिकल पैकेट स्विचिंग नेटवर्क
- न्यूरल नेटवर्क्स एंड देयर एप्लीकेशन
- पैलेडियम
- इंटेल सेंट्रिनो मोबाइल टेक्नोलॉजी
- हाई-परफॉरमेंस डीएसपी आर्किटेक्चर
- नेक्स्ट जेनरेशन सिक्योर कंप्यूटिंग
- मिनिडिस्क सिस्टम
- मल्टीप्रोटोकोल लेबल स्विचिंग
- ओपेरा वेब ब्राउजर
- 3D ऑप्टिकल स्टोरेज
- टचलेस टचस्क्रीन
- एसपीसीएस
- कोऑपरेटिव लाइनेक्स
- रियल टाइम एप्लीकेशन इंटरफेस
- ड्राइविंग ऑप्टिकल नेटवर्क इवोल्यूशन
- टेंपेस्ट एंड एक्चेलों
- मोबाइल वर्चुअल रियलिटी सर्विस
- टेरा डाटा
- वर्ड सेंस डिसएंबिगुएशन
- वाई फ्रेमवर्क
- माइक्रोसॉफ्ट होलोलेंस
- प्रोजेक्ट ऑक्सीजन
- वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल
- वेब्री
- हैंडहेल्ड कंप्यूटर्स
- स्निफर फॉर डिटेक्टिंग लॉस्ट मोबाइल्स
- फाइबर चैनल
- डिजिटल ऑडियो ब्रॉडकास्टिंग
- मोबाइल फोन क्लोनिंग
- नियर फील्ड कम्युनिकेशन
- आईपी टेलिफोनी
- ट्रांजियंट स्टेबिलिटी एसेसमेंट यूजिंग न्यूरल नेटवर्क्स
- कॉर्डेक्ट वायरलेस इन लोकल लूप सिस्टम
- गेमिंग कंसोल्स
- ब्रॉडबैंड ओवर पावर लाइन
- रियल टाइम सिस्टम एंड रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
- वारड्राइविंग
- स्मार्ट स्किन फॉर मशीन हैंडलिंग
- एक्सबॉक्स 360 सिस्टम
- यूनिकोड एंड मल्टीलिंगुअल कंप्यूटिंग
- एयरोनॉटिकल कम्युनिकेशन
- डी ब्लास्ट
- स्वाम इंटेलिजेंस एंड ट्रैफिक सेफ्टी
- 3D ह्यूमन सेंसिंग
- वॉयरलैस सेंसर नेटवर्क्स
- ब्रेकिंग द मेमोरी वॉल मोनेट डीबी
- एक्सेस गेटवेज
- ऑप्टिकल नेटवर्किंग एंड डेंस वेवलेंथ डिविजन मल्टीप्लेक्सिंग
- हाइपर-थ्रेडिंग टेक्नोलॉजी
- इंटेलिजेंट रैम
- गोल लाइन टेक्नोलॉजी
- जिगबी
- स्मार्ट टैक्सटाइल्स
- नैनो रोबोटिक्स
- डिजाइन ऑफ 2 डी फिल्टर्स यूजिंग अ पैरलल प्रोसेसर आर्किटेक्चर
- डिजिटल प्रिजर्वेशन
- डीएनए स्टोरेज
- नेटवर्क अटैच्ड स्टोरेज
- डायनेमिक केशे मैनेजमेंट टेक्निक
- एन्हांसिंग लेन यूजिंग क्रिप्टोग्राफी
- कंडीशनल एक्सेस सिस्टम
- रिकंफीग्रेबल कम्प्यूटिंग
- थर्मोग्राफी
- नैनो कार्स इंटू द रोबोटिक्स
- प्रोजेक्ट लून
- ऑपरेटिंग सिस्टम्स विद एसिंक्रोनॉस चिप्स
- प्रोटोटाइप सिस्टम डिजाइन फॉर टेलीमेडिसिन
- वर्चुअल स्मार्ट फोन
- 3जी vs वाईफाई
- सैंडबॉक्स कंप्यूटर सिक्योरिटी
- फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी
- बायोमैट्रिक्स बेस्ड ऑथेंटिकेशन
- ऑप्टिकल कंप्यूटर
- एम कॉमर्स
- वायरलेस इंटरनेट
- ई पेपर टेक्नोलॉजी
- वेब स्क्रेपिंग
- ब्लूटूथ बेस्ड स्मार्ट सेंसर नेटवर्क्स
- स्मार्ट डस्टबिंस फॉर स्मार्ट सिटिज
- सैटेलाइट रेडियो
- मॉड्यूलर कम्प्यूटिंग
- 3 डी ऑप्टिकल डाटा स्टोरेज
- रोबोटिक सर्जरी
- डिजिटल ज्वैलरी
- होम नेटवर्किंग
- फ्लेक्सपैड
- वेब क्लस्टरिंग इंजन
- पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर
- इनवर्स मल्टीप्लेक्सिंग
- वायरलेस यूएसबी
- फाइबर डिस्ट्रिब्यूटेड डाटा
- एलास्टिक्स कोट्स
- बायोनिक आई
- जीनोस कोर
- क्वाड्रिक्स इंटरकनेक्शन नेटवर्क
- यूनिफाइड मॉडलिंग लैंग्वेज
- कंप्यूटर यूनिफाइड डिवाइस आर्किटेक्चर
- क्वांटम क्रिप्टोग्राफी
- लोकल मल्टी पॉइंट डिस्ट्रीब्यूशन सर्विस
- हाई फाई
- एचएवीसी
- मोबाइल ओएस (ऑपरेटिंग सिस्टम)
- इमेज प्रोसेसिंग
- रोवर टेक्नोलॉजी
- साइबर्ग्स
- डैशबोर्ड
- हाई परफॉर्मेंस कम्प्यूटिंग विद एक्सीलरेटर
- एनोनिमस कम्युनिकेशन
- क्रूसोए प्रोसेसर
- सीम कार्विंग फोर मीडिया रिटार्जेटिंग
- फ्लोरेसेंट मल्टी लेयर डिस्क
- क्लाउड स्टोरेज
- होलोग्राफ टेक्नोलॉजी
- टीसीपीए पैलेडियम
- ऑप्टिकल बर्स्ट स्विचिंग
- यूबीक्विट्स नेटवर्किंग
- एनएफसी एंड फ्यूचर
- डाटा बेस मैनेजमेंट सिस्टम
- इंटेल कोर i7 प्रोसेसर
- मोडम्स एंड आईएसडीएन
- ऑप्टिकल फाइबर केबल
- सॉफ्ट कम्प्यूटिंग
- 64 बिट कम्प्यूटिंग
- क्लाउड ड्रॉप्स
- इलेक्ट्रॉनिक पेपर
- स्पॉनिंग नेटवर्क्स
- मनीपैड द फ्यूचर वॉलेट
- एचएएलओ
- जेस्चर रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी
- अल्ट्रा मोबाइल ब्रॉडबैंड
- कंप्यूटर सिस्टम्स आर्किटेक्चर
- पोकोमो
- कंपोजिशनल एडेप्टेशन
- कंप्यूटर वायरसेस
- लोकेशन इंडिपेंडेंट नेमिंग
- अर्थ सिमुलेटर
- स्काई एक्स टेक्नोलॉजी
- 3 डी इंटरनेट
- परम 10000
- एनविडिया टेगरा 250 डेवलपर किट हार्डवेयर
- क्लेयोडोर
- ऑप्टिकल माउस
- ट्रिपवायर
- टेलीप्रेसेंस
टॉप 20 बेस्ट CSE सेमिनार टॉपिक्स
कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के लिए 2022 के 20 सबसे अच्छे सेमिनार टॉपिक्स नीचे दिए गए हैं-
- क्वांटम कम्प्यूटिंग
- ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स
- बिग डेटा
- ऑगमेंटेड, वर्चुअल एंड मिक्सड रियलिटी
- मशीन लर्निंग
- साइबर सिक्योरिटी
- न्यूरोमॉर्फिक कम्प्यूटिंग
- होलोग्राफिक टेक्नोलॉजी
- सेमेंटिक वेब
- कंप्यूटर विजन
- नेचुरल लैंग्वेज जेनरेशन
- सॉफ्टवेयर डिफाइंड नेटवर्क
- एज कम्प्यूटिंग
- डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी
- डिफरेंशियल प्राइवेसी
- एक्सास्केल कम्प्यूटिंग
- अल्गोरिथिमीक एडवांसेज
- ऑपरेटिंग सिस्टम लेवल वर्चुअलाइजेशन
- हिट एसिस्टेड मैग्नेटिक रिकॉर्डिंग
FAQs
क्वांटम कम्प्यूटिंग के सेमिनार टॉपिक्स इस प्रकार हो सकते हैं-
-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी
-क्वांटम इंटरनेट
-क्वांटम मशीन
-क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट्स
-क्वांटम सुप्रीमेसी
-क्वांटम नेटवर्क
-क्वांटम लॉजिक गेट
क्लाउड कम्प्यूटिंग के सेमिनार टॉपिक्स इस प्रकार हो सकते हैं-
-इंट्रोडक्शन टू क्लाउड कंप्यूटिंग
-इवोल्यूशन ऑफ क्लाउड कंप्यूटिंग
-ए सर्वे ऑफ़ क्लाउड कंप्यूटिंग
-क्लाउड कंप्यूटिंग फॉर रूरल डेवलपमेंट
-द कैलकुलस ऑफ क्लाउड कंप्यूटिंग
-सिक्योरिटी इश्यूज इन क्लाउड कंप्यूटिंग
-स्टडी ऑन क्लाउड स्टोरेज एंड इट्स इश्यूज इन क्लाउड कंप्यूटिंग
CSE सेमिनार विभिन्न स्कूल्स, कॉलेजों, यूनिवर्सिटीज, बिजनेस ऑफिसेज तथा कई ऐसी जगहों पर आयोजित किए जा सकते हैं जो किसी न किसी प्रकार से CSE से जुड़े हुए हों।
CSE का क्षेत्र बहुत ही बड़ा है अतः इसमें सेमिनार टॉपिक्स के लिए किसी प्रकार कि लिमिटेशन नहीं है।
यदि आप एक छात्र हैं तो आपको विदेशी यूनिवर्सिटीज के ऑनलाइन सेमिनार्स में भाग लेना चाहिए जिनकी सहायता से आप उन यूनिवर्सिटीज के द्वारा प्रदान कि जाने वाली शिक्षा के बारे में भी जान पाएंगे।
हमे उम्मीद है कि, CSE के लिए सेमिनार से संबंधित यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा, यदि आप भी किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं तो आज ही 1800 572 000 पर कॉल करके हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। वे एक उचित मार्गदर्शन के साथ आवेदन प्रक्रिया में भी आपकी मदद करेंगे।