छठ पूजा जिसे महापर्व भी कहते हैं, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोगों के लिए यह त्योहार उतना ही पवित्र है जितना की दिवाली, होली और अन्य पर्व। चार दिनों तक चलने वाला यह ऐसा पर्व है जहां न सिर्फ उगते हुए सूर्य की पूजा होती , बल्कि लोग ढलते हुए सूरज की भी बड़े ही सम्मान पूर्वक पूजा करते हैं। कहा जाता है यह सिर्फ एक त्योहार नहीं है, इस त्योहार से कई लोगों की भावनाएं जुड़ी होती है। इस पूजा के माध्यम से श्रद्धालु व्रत कर संतान व सुख परिवार की समृद्धि के लिए कामना करते हैं। इस त्योहार पर अक्सर विद्यार्थियों को निबंध लिखने को कहा जाता है। इसलिए इस लेख में आप छठ पूजा पर निबंध के कुछ सैंपल्स देखेंगे, जिनकी सहायता से आप आसानी से निबंध तैयार कर सकते हैं।
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छठ पूजा पर 100 शब्दों का निबंध
छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला पवित्र पर्व है, जिसमें उगते और डूबते सूर्य दोनों को अर्घ्य दिया जाता है। भक्त इन दिनों तक कठोर व्रत रखते हैं और पवित्र नदी के घाटों पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं। माना जाता है कि सच्ची श्रद्धा से किया गया व्रत परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देता है। इस पर्व के दौरान घरों में विशेष प्रसाद बनाया जाता है और पूरा वातावरण भक्ति और पवित्रता से भर जाता है।
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छठ पूजा पर 200 शब्दों का निबंध
छठ पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत बिहार से हुई थी। इस त्योहार की खास बात यह है कि इसमें लोग उगते हुए सूर्य देव के साथ-साथ ढलते सूर्य को भी अर्घ्य अर्पित करते हैं। छठ पूजा ऐसा पर्व है जो लोगों को एकजुट करता है- घाट पर खड़े सभी श्रद्धालु एक साथ भगवान को याद करते हैं। यह त्योहार दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है, लेकिन इसकी तैयारी कई महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। घरों में गूंजते छठ के लोकगीत इस बात का संकेत देते हैं कि छठ पूजा आने वाली है।
छठ पूजा का आयोजन कुल चार चरणों में होता है। पहला चरण ‘नहाय-खाय’ कहलाता है, जिसमें श्रद्धालु स्नान कर शुद्ध भोजन करते हैं। दूसरा चरण ‘खरना’ होता है, जब भक्त दिनभर व्रत रखकर शाम को गुड़ की खीर और फल का प्रसाद बनाते हैं। तीसरे दिन मुख्य पूजा होती है, जिसमें व्रती नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। अंत में चौथे दिन ‘पारण’ किया जाता है, जब व्रतधारी उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करते हैं।
छठ पूजा पर 500 शब्दों का निबंध
छठ पूजा पर 500 शब्दों का निबंध इस प्रकार से है:
प्रस्तावना
भारत की सांस्कृतिक विरासत में एक नाम छठ का भी है। जो न सिर्फ एक त्योहार है, बल्कि यह आस्था, अनुशासन और प्रकृति के प्रति दिखाई गई पवित्रता का प्रतीक है। पहले यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता था, लेकिन इसकी भक्ति और परंपरा की गहराई अब पूरे भारत में फैल चुकी है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व नदी घाटों, तालाबों और घर के आंगनों को भक्ति, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
छठ पूजा का इतिहास
छठ पूजा का इतिहास काफी पुराना है और यह त्योहार कई सदियों से मनाया जाता है। इसे सूर्य देवता और उनकी पत्नी छठी मैया की आराधना का पर्व माना जाता है। मान्यता है कि जब पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस पर्व का पालन किया था, तो उन्हें विजय मिली थी। धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण इस पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान राम रावण का वध कर अयोध्या लौट रहे थे, तब माता सीता ने रावण वध से जुड़े पाप बोध से मुक्ति पाने हेतु सूर्य देव की आराधना की थी। इसी कारण माना जाता है कि छठ पूजा का संबंध रामायण काल से भी जुड़ा है ।
छठ पूजा का महत्व
आज छठ पूजा का स्थान भारतीय समाज में बेहद पवित्र है। इस अवसर पर परिवार और समाज के लोग एकजुट होते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं। इस पूजा को हर कोई नहीं मना सकता। कहा जाता है जो भगवान के सामने अपनी इच्छा रख पूजा करने का वचन लेता है वही इस पूजा को पूर्ण करता है। पूजा में लोग मां छठ से स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान सुख की कामना करते हैं। यह पर्व अपने साथ कई प्रकार की परंपराएँ और रीति-रिवाज लेकर आता है, जैसे कि मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनाना, नदी किनारे सजावट करना, और पारंपरिक गीत गाना। इस त्योहार को मनाने के चार चरण है।
पहला दिन नहाय खाय का होता है। जहां श्रद्धालु पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर शरीर और मन की शुद्धी करते हैं। नहान के पश्चात वह सात्विक भोजन करते हैं। दूसरा दिन खरना का होता है जिसमें श्रद्धालु पूरे दिन का निर्जला उपवास रखते हैं। यहां शाम को गुड़ की खीर, रोटी और फल से प्रसाद तैयार उसे ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को कई लोगों में बांटा जाता है। तीसरा दिन होता है संध्या अर्घ्य का जिसमें व्रतधारी सूर्यास्त होने से पहले तालाब के किनारे खड़े होकर सूर्य देव को पहला अर्घ्य अर्पित करते हैं। आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण दिन, जिसे पारण कहते हैं। इस दौरान सुबह 3 या 4 बजे उठकर घर के सभी जन स्नान करते हैं। व्रतधारी भी स्नान करती है। स्नान के बाद सभी छठ घाट पर जाते हैं और सूर्य उदय का इंतज़ार करते हैं। सूर्यउदय होते ही व्रतधारी छठ माता को स्मरण कर सूर्यदेव को अर्घ देते है। फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
उपसंहार
छठ पूजा हमें प्रकृति, सूर्य, जल और पवित्रता के महत्व का संदेश देती है। यह त्योहार अनुशासन, निष्ठा और एकता की भावना को मजबूत करता है। छठ पूजा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि परिवार और समाज को जोड़ने वाला अनोखा पर्व है।
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FAQs
छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित है। सूर्य देवता को ऊर्जा, शक्ति और जीवन का प्रतीक मानकर उनकी उपासना की जाती है जबकि संतान की सुरक्षा और खुशहाली के लिए छठी मैया की आराधना की जाती है।
छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाई जाती है।
सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य का स्रोत माना जाता है। अर्घ्य देना उनका आभार व्यक्त करने और आशीर्वाद पाने का प्रतीक है।
ऐसा जरूरी नहीं है। यदि नदी या तालाब मौजूद न हो तो लोग छत, आँगन या किसी खुले स्थान पर कृत्रिम पोखरा बनाकर भी पूजा कर सकते हैं।
छठ पूजा में घाट या पोखरा पूजा स्थल होता है। इसे साफ-सुथरा और सजाकर रखना भक्तों की भक्ति और पवित्रता का प्रतीक है।
उम्मीद है कि छठ पूजा पर निबंध के सैंपल आपको पसंद आए होंगे। अन्य निबंध के लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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