Bhagat Singh Jayanti : स्वतंत्रता के वीर ‘भगत सिंह’ की अमर कहानी 

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भगत सिंह जयंती (Bhagat Singh Jayanti)

भगत सिंह की जयंती हर साल 28 सितंबर को मनाई जाती है। भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और विचारधारा से देश की आजादी के आंदोलन को नई दिशा दी। उन्होंने न सिर्फ अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि लोगों में स्वतंत्रता और समानता का संदेश भी फैलाया। बहुत कम उम्र में उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, जिससे वे युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए। उनकी जयंती पर हम उनके बलिदान और देशभक्ति को याद करते हैं। इसलिए इस ब्लॉग में भगत सिंह की जयंती (Bhagat Singh Jayanti) के बारे में बताया गया है।

भगत सिंह जयंती क्यों मनाई जाती है?

भगत सिंह जयंती मनाने के कुछ कारण इस प्रकार हैं :

  • भगत सिंह भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनके बलिदान और साहस ने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया।
  • भगत सिंह के विचार और आदर्श आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। वे देशभक्ति, समानता और न्याय के लिए एक प्रेरणा हैं।
  • भगत सिंह जयंती भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को याद करने का एक अवसर है। यह दिन हमें उन सभी लोगों को याद करने का अवसर देता है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी।

भगत सिंह जयंती कैसे मनाई जाती है?

भगत सिंह जयंती के अवसर पर, भारत में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में देशभक्ति गीतों का गायन, भाषण, नाटक और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में भी भगत सिंह के जीवन और कार्यों पर चर्चा की जाती है।

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23 मार्च 1931 को क्या हुआ था?

23 मार्च 1931 को, भारत के तीन महान स्वतंत्रता सेनानी, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। उन्हें लाहौर षड़यंत्र केस में दोषी ठहराया गया था, जिसमें ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बम विस्फोटों में उनकी भागीदारी शामिल थी।

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। उनके बलिदान ने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया था। आज भी, वे भारत के लिए एक प्रेरणा हैं। इसके अलावा 23 मार्च को भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को याद किया जाता है।

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भगत सिंह ने मरते समय क्या कहा था?

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। फांसी के दिन, भगत सिंह ने अपने अंतिम क्षणों में अपने साथियों को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में, उन्होंने कहा कि वे अपने देश के लिए मरने के लिए तैयार हैं और उन्हें कोई पछतावा नहीं है। भगत सिंह ने फांसी के फंदे पर चढ़ने से पहले एक नारा भी लगाया था। यह नारा था “इंकलाब जिंदाबाद”। यह नारा आज भी भारत में स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष का प्रतीक है।

भगत सिंह के कुछ अंतिम शब्द इस प्रकार थे:

  • “मैं अपने देश के लिए मरने के लिए तैयार हूं। मुझे कोई पछतावा नहीं है।”
  • “मैं दुनिया में न्याय और समानता देखना चाहता हूं।”
  • “मैं भारत को एक स्वतंत्र और प्रगतिशील राष्ट्र बनाना चाहता हूं।”

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भगत सिंह को फांसी की सजा क्यों दी गई?

भगत सिंह को लाहौर षड़यंत्र केस में दोषी ठहराया गया था, जिसमें ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बम विस्फोटों में उनकी भागीदारी शामिल थी। इस मामले में, भगत सिंह को सात अन्य लोगों के साथ दोषी ठहराया गया था। उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और 23 मार्च 1931 को उन्हें लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई।

भगत सिंह को फांसी की सजा देने के लिए कई कारण दिए गए थे। एक कारण यह था कि ब्रिटिश सरकार को भगत सिंह की लोकप्रियता से डर था। भगत सिंह एक युवा और आकर्षक व्यक्ति थे और उनकी विचारधारा ने भारत के युवाओं को प्रेरित किया। ब्रिटिश सरकार को डर था कि भगत सिंह के मरने से भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को और अधिक बल मिलेगा।

दूसरा कारण यह था कि ब्रिटिश सरकार को भगत सिंह के विचारों से खतरा था। भगत सिंह एक समाजवादी थे और उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था की वकालत की जो समानता और न्याय पर आधारित थी। ब्रिटिश सरकार एक साम्राज्यवादी सरकार थी और वह भगत सिंह के विचारों को एक खतरा मानती थी।

भगत सिंह की फांसी भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उनके बलिदान ने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। आज भी, भगत सिंह भारत के लिए एक प्रेरणा हैं।

Bhagat Singh Jayanti

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भगत सिंह कितने साल जेल में थे?

भगत सिंह को 1929 में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 1931 में फांसी दी गई थी। इस बीच, उन्होंने लगभग 2 साल जेल में बिताए। भगत सिंह को 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें लाहौर सेंट्रल जेल में रखा गया था और उन्हें 23 मार्च 1931 को लाहौर षड़यंत्र केस में दोषी ठहराया गया था और उन्हें फांसी दी गई थी।

भगत सिंह के प्रसिद्ध कोट्स – Quotes by Bhagat Singh

भगत सिंह के कुछ प्रसिद्ध कोट्स इस प्रकार हैं :

  • वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को नहीं कुचल सकेंगे।
  • अगर बहरों को सुनना है तो आवाज़ बहुत तेज़ होनी चाहिए।
  • क्रांति की शुरुआत बम और पिस्तौल से नहीं होती, क्रांति की तलवार विचारों की धार पर तेज़ की जाती है।
  • क्रांति मानव जाति का एक अविभाज्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का अविनाशी जन्मसिद्ध अधिकार है। श्रम ही समाज का वास्तविक निर्वाहक है।
  • मैं जीवन में महत्वाकांक्षा, आशा और आकर्षण से भरा हूं। लेकिन जरूरत के समय मैं सब कुछ त्याग सकता हूं।

FAQs

भगत सिंह कौन थे?

भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वह अहिंसा के प्रति अपने सख्त निष्ठा और आपकी कोर्ट में अपनी जान की क़ुर्बानी के लिए प्रसिद्ध हैं।

भगत सिंह की जन्म तिथि और स्थान क्या थे?

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पुंजाब के बंदे नगर गाँव में हुआ था।

भगत सिंह की शिक्षा कहाँ से हुई और उन्होंने कौन सी पढ़ाई की?

भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नाकोदर, पंजाब के स्कूलों से प्राप्त की और फिर वे डयल सिंह कॉलेज, लाहौर में गए, जहाँ से उन्होंने आर्ट्स की पढ़ाई की।

भगत सिंह का संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान क्या था?

भगत सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने जीवन को समर्पित किया और उन्होंने जलियांवाला बाग में हुए मासूम लोगों पर ब्रिटिश साम्राज्य की निर्ममता को कठिन शब्दों में आलोचना की। उन्होंने “हक़ीक़त-ए-किस्तवार” के तहत उपयोगकर्ताओं की दिक्कतों का समर्थन किया।

भगत सिंह की शहादत कब और कैसे हुई?

भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव ने ग्यारह माह की सजा काटने के बाद 23 मार्च 1931 को लाहौर की सीटी प्रिसन से बाहर निकलकर जलाना बाग की ओर बढ़ते हुए अंग्रेज सरकार के खिलाफ ब्रिटिश पुलिस के खिलाफ आगे बढ़ते हुए गोलीबारी कर ली और शहीद हो गए।

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आशा है कि इस ब्लाॅग भगत सिंह जयंती (Bhagat Singh Jayanti) में आपको भगत सिंह के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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