Bahadur Shah Zafar: मुग़ल साम्राज्य का आखिरी शासक ‘बहादुर शाह ज़फ़र’ की कहानी

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Bahadur Shah Zafar: ‘बहादुर शाह ज़फ़र’ मुग़ल साम्राज्य का आखिरी शासक

भारतीय इतिहास में मुग़ल राजवंश ने कई सौ वर्षों तक भारत पर राज कर हज़ारों-लाखों लोगों पर शासन किया था। इतिहास के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक मुग़ल साम्राज्य का पहला शासक ‘बाबर’ था जिसने 1526 ई. में मुगल वंश की स्थापना की थी। वहीं कई सालों बाद सफलतापूर्वक शासन करने के बाद यह साम्राज्य पतन की ओर बढ़ता चला गया। बता दें कि इस साम्राज्य पर शासन करने वाले आखिरी मुग़ल शासक ‘बहादुर शाह जफर’ थे। आज के इस लेख में हम जानेंगे बहादुर शाह ज़फ़र का संपूर्ण इतिहास। 

नामबहादुर शाह ज़फ़र या बहादुर शाह द्वितीय 
पूरा नाम अबू जफर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फ़र
जन्म और जन्म स्थान 24 अक्टूबर 1775 ई., दिल्ली 
पिता का नामसम्राट अकबर शाह द्वितीय
माता का नामलालबाई 
कार्यकाल1837 से लेकर 1862 एक
मृत्यु7 नवंबर 1862 

बहादुर शाह ज़फ़र का संक्षिप्त जीवन परिचय 

बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar) का जन्म 24 अक्टूबर 1775 ई. को दिल्ली में हुआ था। वह ‘अकबर शाह’ द्वितीय और ‘लालबाई’ के दूसरे पुत्र थे। प्रारंभ में उनका नाम ‘अबू जफर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फ़र’ था, लेकिन लोकप्रिय रूप से उन्हें बहादुर शाह ज़फ़र या बहादुर शाह द्वितीय के नाम से जाना जाता था। बचपन में उन्होंने अरबी और फ़ारसी भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की और युद्ध, घुड़सवारी और तीरंदाजी में प्रशिक्षित हुए। इन सब के अलावा वह कला और चीजों की सुंदरता के प्रति संवेदनशील थे जिसके कारण उन्होंने कविता, संगीत और सुलेख में अपनी कला का विकास और विस्तार किया। 

अपने पिता ‘सम्राट अकबर शाह द्वितीय’ की मृत्यु के बाद वह उनके उत्तराधिकारी बने और 1837 ई. में, 62 वर्ष की आयु में मुग़ल सिंहासन पर बैठे और करीब 20 वर्षों तक मुग़ल साम्राज्य पर शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान वह एक मात्र शासक थे जिसकी शक्तियां कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित थी।

बहादुर शाह ज़फ़र का शासन काल 

अपने पिता की मृत्यु के बाद 62 वर्ष की उम्र में वह मुग़ल साम्राज्य के शासक बने। उन्होंने 1837 से लेकर 1862 एक शासन किया लेकिन तब तक मुगल साम्राज्य की जड़े कमजोर हो चुकी थी। एक तरफ जहाँ ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के कई हिस्सों में  प्रमुख राजनीतिक शक्ति बनकर उभर रही थी वहीं दूसरी तरफ कई क्षेत्र जो मुग़ल साम्राज्य का हिस्सा थे, उन्होंने भी मुग़लों से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी। ऐसे में मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar) केवल नाम मात्र के शासक बनकर रह गए थे। उस दौरान उनका शासन केवल दिल्ली शहर पर ही था। 

1857 का विद्रोह क्या था?

1857 के विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध के रूप में भी जाना जाता है। यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ भारतीय जनता का एक शक्तिशाली विद्रोह था जो 10 मई, 1857 को मेरठ शहर से शुरू होकर भारत के अन्य हिस्सों तक फैल गया लेकिन यह विद्रोह उत्तरी और मध्य भारत तक ही सीमित था। इस विद्रोह के मुख्य कारण भारतीय सैनिकों के साथ असमान व्यवहार, उच्च पदों पर नियुक्त करने से वंचित, यूरोपीय सैनिकों की तुलना में कम वेतन आदि थे। वहीं इस संघर्ष के साथ ही भारत में मध्यकालीन दौर का अंत हुआ और नए युग की शुरुआत हुई, जिसे आधुनिक काल कहा गया। 

1857 के स्वतंत्रता संग्राम में ज़फ़र की भूमिका

इतिहासकरों के मुताबिक, 1857 ई. के भारतीय विद्रोह में बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar) की अहम भूमिका थी। उन्होंने 1857 ई. के पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया था जिसके लिए उन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है। वहीं इस युद्ध में जब उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि सिपाहियों पर अंग्रेज़ हावी हो रहे हैं, तो वह अपना महल छोड़कर भाग गए और हुमायूँ के मकबरे में छिप गए। लेकिन 20 सितंबर 1857 को उन्हें अंग्रेज़ों ने ‘हुमायूँ’ के मकबरे से गिरफ्तार कर लिया और बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया। उनके गिरफ्तारी के बाद बहादुर शाह के दो बेटों और एक पोते की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

बहादुर शाह ज़फ़र की मृत्यु

इतिहास में उल्लेखित है कि 6 नवंबर 1862 को बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar) द्वितीय को लकवे का तीसरा दौरा पड़ा और इसके बाद 7 नवंबर की सुबह रंगून, बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में उनका देहांत हो गया। उस समय उनकी उम्र 86 वर्ष की थी। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें रंगून में ‘श्वेडागोन पैगोडा’ के नजदीक दफनाया गया। आज उनके दफन स्थल को ‘बहादुर शाह ज़फ़र दरगाह’ के नाम से जाना जाता है। 

इसके अलावा हिंदुस्तान में कई ऐसी जगह है जहाँ सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है। वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। इसके साथ ही बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क भी अब ‘बहादुर शाह ज़फ़र पार्क’ के नाम से जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक ऐसा भी कहा जाता है कि जिस दिन बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar) का निधन हुआ था, उसी दिन उनके दो बेटों और पोते को भी गोली मारकर मौत के घात उतार दिया गया था और इस प्रकार मुग़ल वंश का अंत हो गया। 

बहादुर शाह ज़फ़र के जीवन की मुख्य बातें

बहादुर शाह ज़फ़र के जीवन की मुख्य बातें निम्नलिखित है :

  • बहादुर शाह ज़फ़र का जन्म 24 अक्टूबर 1775 को दिल्ली में हुआ था।
  • वे मुग़ल सम्राट अकबर शाह II के पुत्र थे।
  • 1837 में, अपने पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने मुग़ल साम्राज्य का सम्राट पद ग्रहण किया।
  • उनके शासनकाल के दौरान, मुग़ल साम्राज्य की सत्ता सीमित हो गई थी और ब्रिटिश साम्राज्य की ताकत बढ़ रही थी।
  • 1857 के विद्रोह के दौरान, ज़फ़र ने विद्रोहियों का समर्थन किया और दिल्ली में विद्रोह की अगुवाई की।
  • 20 सितंबर 1857 को, ब्रिटिश सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
  • विद्रोह के आरोप में, उन्हें दोषी ठहराया गया और रंगून (अब यांगून) में निर्वासित कर दिया गया।
  • निर्वासन के दौरान, ज़फ़र ने रंगून में कठिन परिस्थितियों में जीवन बिताया।
  • 7 नवंबर 1862 को रंगून में निधन होगया।
  • ज़फ़र एक प्रमुख उर्दू कवि और शायर थे, जिनकी कविताएँ और गज़लें आज भी साहित्यिक महत्व रखती हैं।

FAQs 

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाला पहला मुगल शासक कौन था?

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाला पहला मुगल शासक औरंगजेब था जिसने 1689 में अंग्रेजों से संघर्ष किया था। 

बहादुर शाह ज़फ़र का जन्म कब हुआ था?

बहादुर शाह ज़फ़र का जन्म 24 अक्तूबर सन् 1775 ई. को दिल्ली में हुआ था। 

बहादुर शाह जफर किसका बेटा था?

बहादुर शाह अकबर शाह द्वितीय और लालबाई के बेटे थे। उनकी मां लालबाई हिंदू परिवार से थीं।

आशा है कि आपको बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar) के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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