अयोध्या सिंह उपाध्याय आधुनिक हिंदी साहित्य में एक अग्रणी स्थान रखते हैं। वे ‘द्विवेदी युग’ के प्रतिनिधि कवि और लेखक होने के साथ-साथ एक अध्यापक, संपादक और आलोचक भी थे। उन्होंने साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। क्या आप जानते हैं कि उनकी काव्य रचना ‘प्रियप्रवास’ को खड़ी बोली का पहला महाकाव्य माना जाता है? इस काव्य के लिए उन्हें वर्ष 1938 में ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ से सम्मानित किया गया था।
अयोध्या सिंह उपाध्याय की कई रचनाओं को विद्यालयों के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के पाठ्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। वहीं, कई शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इसके साथ ही, UGC-NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के लिए भी अयोध्या सिंह उपाध्याय का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।
| मूल नाम | अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |
| उपनाम | ‘हरिऔध’ |
| जन्म | 15 अप्रैल 1865 |
| जन्म स्थान | निज़ामाबाद, आजमगढ़ जिला, उत्तर प्रदेश |
| साहित्य काल | आधुनिक काल |
| पेशा | कवि, लेखक, संपादक, आलोचक व आत्मकथाकार |
| विधाएँ | कविता, उपन्यास, कहानी, निबंध, संपादन |
| पुरस्कार एवं सम्मान | ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ |
| निधन | 16 मार्च, 1947 |
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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था जन्म
हिंदी जगत के प्रतिष्ठित साहित्यकार अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म 15 अप्रैल 1865 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित भोलानाथ उपाध्याय तथा माता का नाम रुक्मणि देवी था। बताना चाहेंगे उनका प्रारंभिक जीवन निजामाबाद कस्बे में ही व्यतीत हुआ और यहीं से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत की।
कई भाषाओं का अध्ययन किया
जब वह मात्र पाँच वर्ष के थे, तभी उनके चाचा ने उन्हें फारसी पढ़ाना प्रारंभ कर दिया था। बताया जाता है कि निजामाबाद से मिडिल परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए बनारस चले गए थे, किंतु स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इसके पश्चात उन्होंने घर पर ही उर्दू, संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेज़ी और पंजाबी भाषाओं का अध्ययन किया।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में किया अध्यापन कार्य
वर्ष 1883 में ‘हरिऔध’ निजामाबाद के मिडिल स्कूल में हेडमास्टर नियुक्त हुए, लेकिन उनका अध्ययन जारी रहा। इसके पश्चात वर्ष 1890 में उन्होंने कानूनगो की परीक्षा उत्तीर्ण की और कानूनगो पद पर नियुक्त हुए। कई वर्षों तक इस पद पर कार्य करने के बाद उन्होंने लगभग 1923 के आसपास बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य आरंभ किया। वर्ष 1942 में सेवानिवृत्त होकर वे पुनः निजामाबाद लौट आए। इसके पश्चात उनका संपूर्ण जीवन साहित्य सृजन में व्यतीत हुआ।
अयोध्या सिंह उपाध्याय का साहित्यिक परिचय
अयोध्या सिंह उपाध्याय ने आधुनिक हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम रचनाओं का सृजन किया है। हिंदी कविता के विकास में उनका विशेष योगदान रहा है। उन्हें हिंदी और खड़ी बोली पर समान अधिकार प्राप्त था। उनकी काव्य कृति ‘प्रियप्रवास’ तथा उपन्यास ‘ठेठ हिंदी का ठाट’ और ‘अधखिला फूल’ को कालजयी रचनाओं का दर्जा प्राप्त है।
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अयोध्या सिंह उपाध्याय की साहित्यिक रचनाएँ
हरिऔध’ ने हिंदी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों विधाओं में अनेक रचनाएँ की हैं। साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण के बाद वे नाटक और उपन्यास लेखन की ओर भी प्रवृत्त हुए, किंतु उनकी प्रतिभा का वास्तविक विकास एक कवि के रूप में ही हुआ। नीचे उनकी प्रमुख साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:
काव्य-रचनाएँ
- प्रियप्रवास
- वैदेही वनवास
- काव्योपवन
- रसकलश
- बोलचाल
- चोखे चौपदे
- चुभते चौपदे
- पारिजात
- कल्पलता
- मर्मस्पर्श
- पवित्र पर्व
- दिव्य दोहावली
- हरिऔध सतसई
उपन्यास
- ठेठ हिंदी का ठाट
- अधखिला फूल
नाटक
- रुक्मिणी परिणय
- प्रद्युम्न विजय व्यायोग
ललित निबंध
- संदर्भ सर्वस्व
आत्मकथात्मक रचना
- इतिवृत्त
आलोचना
- हिंदी भाषा और साहित्य का विकास
- विभूतिमती ब्रजभाषा
संपादन
- कबीर वचनावली
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निधन
कई दशकों तक हिंदी साहित्य को अपनी कृतियों से आलोकित करने वाले अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का निधन 16 मार्च 1947 को निजामाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनकी लोकप्रिय रचनाओं के कारण वह आज भी स्मरण किए जाते हैं।
FAQs
‘हरिऔध’ अयोध्या सिंह उपाध्याय का उपनाम है।
अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म 15 अप्रैल 1865 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के निजामाबाद नामक स्थान पर हुआ था।
‘प्रियप्रवास’ अयोध्या सिंह उपाध्याय की लोकप्रिय काव्य कृति है।
वर्ष 1938 में ‘प्रियप्रवास’ काव्य रचना के लिए अयोध्या सिंह उपाध्याय को ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ से सम्मानित किया गया था।
16 मार्च, 1947 को निजामाबाद में अयोध्या सिंह उपाध्याय का निधन हुआ था।
आशा है कि आपको अयोध्या सिंह उपाध्याय का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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